– आर.के. सिन्हा
लखनऊ और मुंबई के बीच फासला भले ही 1350 किलोमीटर से कुछ अधिक ही हो, पर अब महाराष्ट्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी निवेशक झोली भरकर निवेश लाने में लगे हैं। महाराष्ट्र तो परंपरागत रूप से भारत का सबसे खास औद्योगिक राज्यों में से एक रहा है। उत्तर प्रदेश अब महाराष्ट्र का तेजी से निजी क्षेत्र के निवेश में मुकाबला कर रहा है। हालांकि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य की छवि कभी महाराष्ट्र जैसी नहीं रही थी। केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट देखें तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक निजी क्षेत्र का निवेश आ रहा है। उसके बाद दिल्ली का स्थान है और फिर उत्तर प्रदेश का। उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि अप्रत्याशित ही मानी जाएगी। बेशक, उत्तर प्रदेश अपने को अब तेजी से बदल रहा है। राज्य सरकार को समझ आ गया है कि बिना निजी क्षेत्र के निवेश के राज्य का हरेक क्षेत्र में विकास मुमकिन नहीं होगा। देखिए महाराष्ट्र और दिल्ली में तो निवेशक आते ही रहे हैं। ये दोनों राज्य देशी-विदेशी निवेशकों को भी अपनी तरफ खींचते हैं। पर नोट करने लायक तथ्य यही है कि अब उत्तर प्रदेश भी निवेशकों को लुभा रहा है।
उत्तर प्रदेश के विकास का एजेंडा तय करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए बड़ी छलांग लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश में 10 लाख करोड़ रुपये का औद्योगिक निवेश लाने की युद्ध स्तर पर कोशिशें चल रही है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं सक्रिय हैं। वे बड़े निवेशकों और उद्योगपतियों से मिल रहे हैं। उन्हें बता रहे हैं कि उन्हें उत्तर प्रदेश में निवेश करने से क्या लाभ होगा। याद नहीं आता कि उनसे पहले राज्य का कोई मुख्यमंत्री अपने राज्य में निवेश लाने को लेकर इतना एक्टिव रहा हो।
आप जानते हैं कि कोरोना काल में सब तरफ आर्थिक गतिविधियां ठप सी पड़ गई थीं। पर उत्तर प्रदेश में उस दौर में भी निवेशकों ने 66,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। दरअसल अगर आप भारत के निजी क्षेत्र के निवेश के लिहाज से सबसे पसंदीदा राज्यों की सूची में नजर डालेंगे तो आपको मोटा-मोटी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली जैसे राज्य ही नजर आएंगे। इनमें हुई आर्थिक प्रगति ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। नब्बे के दशक में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण का लाभ उठाते हुए इन सब राज्यों ने अपनी जीडीपी को मजबूत बनाया और वर्तमान में जीडीपी के हिसाब से महाराष्ट्र देश का सबसे अग्रणी राज्य है। कर्नाटक तो देश की आई टी राजधानी बन चुका है और तमिलनाडु ऑटो सेक्टर का बडा हब। ये सब राज्य देश की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें आर्थिक प्रगति की रफ्तार लाजवाब रही है। महाराष्ट्र की जीडीपी का आकार पूरे पाकिस्तान की जीडीपी से भी अधिक है। अब इन राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश का आना सुखद है। राम और कृष्ण की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश भारत की आत्मा है। करीब 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के विकास को छोड़कर भारत की प्रगति की कल्पना करना असंभव होगा।
एक बात तो समझनी ही होगी कि कोई भी देश और उसका राज्य अपने देश के निवेशकों पर ही निर्भर नहीं रह सकता है। उसे विदेशी निवेश भी तो खींचना ही होगा। अच्छी बात यह है ब्रिटेन, मारीशस, नीदरलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर जैसे देशों के निवेशक भी उत्तर प्रदेश में निवेश को लेकर गंभीर हैं। हां, निवेश तो तब ही आएगा जब सरकारें अपने यहां निवेश का माहौल पैदा करेंगी। निवेशकों को सुरक्षित जीवन का भरोसा देंगी। उत्तर प्रदेश यह भरोसा देने में हाल के दिनों में कामयाब रहा है। निवेशकों को भी उत्तर प्रदेश में निवेश करना लाभ का सौदा नजर आ रहा है। जाहिर सी बात है कि कोई भी निवेशक घाटा खाने के लिए कहीं निवेश करेगा नहीं। उत्तर प्रदेश में गौतम अडानी, कुमार मंगलम बिड़ला, निरंजन हीरानंदानी, सज्जन जिंदल जैसे उद्योगपति निवेश लेकर आ रहे हैं।
दरअसल लंबे समय तक अंधेरे में डूबा रहा उत्तर प्रदेश अपनी छवि तेजी से बदलना चाहता है। आपको आज के दिन सारे राज्य में स्तरीय सड़कें, साफ सुथरे चमकते बाजार, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूल वगैरह देखने को मिलेंगी। सरकारी दफ्तरों में भी काहिली काफी हद तक खत्म हो गई है। इस बीच, आप गौर करें कि जिन राज्यों में विकास का पहिया काफी सालों- दशकों से घूम रहा है वहां के नौजवान भी अब आंत्रप्योनर बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश के नौजवानों को भी अब नौकरी की जगह अपना कोई काम-धंधा शुरू करने के संबंध में सोचना होगा। उनके सामने ओला के फाउंडर भाविश अग्रवाल, जोमैटो के दीपेन्द्र अग्रवाल, इंफोसिस के नंदन नीलकेणी जैसे सैकड़ों पहली पीढ़ी के आंत्रप्योनर की सफल कहानियां हैं। पहली पीढ़ी के उद्यमी सफल हो रहे हैं। ये रोजगार दे रहे हैं और नौजवानों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं। देश के सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तो हजारों इस तरह के युवा एक्टिव हैं जिनके परिवारों में उनसे पहले कभी किसी ने कभी कोई बिजनेस नहीं किया था। यह समय अपना धंधा करने के लिहाज से सर्वोत्तम है। आपको बैंकों और वित्तीय संस्थानों से आसान शर्तों पर लोन भी मिल जाता है। यह स्थिति कुछ साल पहले तक नहीं थी। उस दौर में लोन के लिए बहुत धक्के खाने पड़ते थे। लेकिन, आज अगर आपके कोई बढ़िया आइडिया है तो आपकी सफलता तय है।
एक तरफ उत्तर प्रदेश में निवेश और दूसरी तरफ राज्य के युवा अपने खुद के काम-काज शुरू करें तो फिर सोने पर सुहागा ही होगा। इससे राज्य विकास की दौड़ में तेजी से लंबी छलांग लगाने लगेगा। आप खुद देख लें कि महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों के नौजवान नौकरी की तुलना में कारोबारी बनना पसंद करने लगे हैं। जिन राज्यों में निवेश नहीं आ रहा है, वहां के युवा नौकरी पाने की जुगाड़ में रहते हैं। नौकरी के लिए अपने घरों से सैकड़ों-हजारों मील दूर चले जाते हैं। मान कर चलिए कि उत्तर प्रदेश में निवेश आना जैसे-जैसे बढ़ता रहेगा, वैसे-वैसे राज्य के युवा भी बदलेंगे। वे भी कारोबारी बनने के संबंध में सोचेंगे। मतलब निवेश से राज्य का कई स्तरों पर कायाकल्प होगा।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)