– डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इस साल देश में आजादी का अमृत महोत्सव भी मनाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला की अपनी विशिष्ठ पहचान है। समूचे देश की झलक यहां देखने को मिल जाती है। इस बार खास बात यह है कि लोकल, वोकल और ग्लोबल को इस मेले में साकार किया जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि इस दफा व्यापार मेले में 95 प्रतिशत उत्पाद स्वेदशी (भारतीय) इसका सीधा अर्थ है कि यहां लोकल फॉर वोकल की थीम साकार हो रही है। देशी-विदेशी दर्शकों को यह उत्पाद भा भी खूब रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई, 2020 में देश के नाम संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा के साथ ही लोकल, वोकल और ग्लोबल का संदेश दिया था। तब लोगों ने यह नहीं सोचा था कि इस संदेश का असर इतना गहरा है। बहुत कम समय में यह संदेश समूचे देश की आवाज बन गया। यह हमारी अर्थव्यवस्था की खूबसूरती ही ही है कि स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे कुटीर उद्योग हमारी परंपरा से चलते आए हैं । इसके साथ ही औद्योगिकरण के दौर में स्थानीय स्तर पर जो औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुए वे स्थानीय जरूरतों खासतौर से खाद्य सामग्री की आपूर्ति में पूरी तरह से सफल रहे हैं और यही कारण रहा कि कोरोना काल में सब कुछ थम जाने के बावजूद देश में कहीं भी खाद्य सामग्री की सप्लाई चेन नहीं टूटी। यहां तक कि दुनिया के देशों के लिए दवा की आपूर्ति करने में सफल रहे। बल्कि कोरोना का टीका उपलब्ध कराकर भारत की साख को और अधिक मजबूत किया। यह अपने आप में बड़ी बात है।
मई 2020 के संदेश में प्रधानमंत्री ने स्थानीय उत्पादों को अपनाने का संदेश देने के साथ ही उसकी आवाज बनने का यानी की उसके प्रचार-प्रसार में सहभागी बनने का संदेश भी दिया था। अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में स्थानीय उत्पाद को वैश्विक मंच पर पहुंचा कर यह साफ कर दिया गया है कि बदलते दौर में स्वदेशी ही आर्थिक समस्याओं का बड़ा समाधान है। इससे निश्चित रूप से विदेशी का मोह भी कम होगा। महात्मागांधी की 150 वीं जयंती समारोह और उसके बाद जयपुर में आयोजित ग्लोबल खादी कॉन्फ्रेंस में भी यही संदेश दिया गया। ग्रामोद्योग को अपनाने के लिए कहने के साथ ही खादी उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक की छूट दी गई। राजनीतिक प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि आज देश और विदेश में खादी ब्रांड बनकर उभरी है और लोगों की पसंद बनने लगी है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला में लकड़ी और मिट्टी के बने उत्पादों की जबरदस्त मांग है। यह प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरण के प्रति सजगता की पहचान है। लोग अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं। इसकी वजह यह है भी है कि उत्पादों को आज की जरूरत के हिसाब से तैयार किया जा रहा है। लोग जूट के उत्पाद भी खरीद रहे हैं। जड़ी-बूटियों पर भी जन विश्वास बढ़ा है। बदलते हालात में देश के सामने नए अवसर आए हैं। स्थानीय उत्पाद ग्लोबल पहचान बन रहे हैं। यह देश और देश की अर्थव्यवस्था के लिए नया अवसर है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)