Friday, November 22"खबर जो असर करे"

आईएनएस मोरमुगाओ: पलक झपकते करेगा दुश्मन का काम तमाम

– योगेश कुमार गोयल

अरुणाचल के तवांग सेक्टर में भारत-चीन के बीच एकाएक बढ़ी तनातनी और हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच भारत की समुद्री क्षमता को बढ़ावा देने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 18 दिसम्बर को मुम्बई में नौसेना डॉकयार्ड में स्वदेश निर्मित पी15बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ का जलावतरण किया गया। सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार सहित कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में यह युद्धपोत भारतीय नौसेना को सौंपा गया।

इस अवसर पर रक्षामंत्री ने समुद्री सुरक्षा में नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए पुराणों का भी हवाला दिया। रक्षामंत्री के मुताबिक भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन और मुम्बई के ‘मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड’ (एमडीएसएल) द्वारा तैयार किया गया यह युद्धपोत भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोत में से एक है, जो भारत की समुद्री क्षमता में बढ़ोतरी करेगा और इसके जरिये हिन्द महासागर में भारतीय नौसेना की पहुंच बढ़ेगी तथा देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और चाक-चौबंद होगी।

आईएनएस मोरमुगाओ वॉरशिप पहली बार गोवा मुक्ति दिवस के अवसर पर भारतीय नौसेना के दूसरे स्वदेशी विध्वंसक युद्धपोत के रूप में 19 दिसम्बर 2021 को ट्रायल के लिए समुद्र में उतारा गया था, इसी दिन गोवा के पुर्तगाली शासन से मुक्ति पाने के 60 वर्ष पूरे हुए थे। पिछले एक वर्ष से समुद्र में इस युद्धपोत का परीक्षण जारी था। जहां तक इस युद्धपोत का नाम ‘मोरमुगाओ’ रखे जाने की बात है तो नौसेना में शहरों के नाम पर ही जहाजों के नाम रखने की परम्परा है और यह नाम पश्चिमी तट पर गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर रखा गया है। मोरमुगाओ गोवा का सबसे पुराना बंदरगाह है, जिस पर आजादी से पहले सदैव विदेशी ताकतों की नजरें गड़ी रही।

‘आईएनएस मोरमुगाओ’ भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में शामिल है और ऐसी कई विशेषताओं से लैस है, जो दुश्मन के लिए काल साबित होंगी। एंटी सबमरीन वॉरफेयर (एएसडब्ल्यू) क्षमता वाला यह युद्धपोत स्वदेशी रॉकेट और टारपीडो लांचर से लैस है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही कि इसकी बाहरी परत को विशेष स्टील से बनाया गया है ताकि दुश्मन के रडार लाख प्रयासों के बाद भी इसे ट्रैक नहीं कर पाएं। यह युद्धपोत चार ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसकों में से दूसरा है, जो परिष्कृत अत्याधुनिक हथियारों, सेंसरों, दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक निगरानी रडार के अलावा सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है और हथियार प्रणालियों को लक्ष्य डेटा प्रदान करता है, जिसकी वजह से यह सदैव दुश्मन देश के जहाजों पर भारी पड़ेगा। आधुनिक रडार की मदद से इस पर बेहद खराब मौसम के दौरान भी नौसेना के हेलीकॉप्टर लैंड कर सकते हैं। 127 मिलीमीटर गन से लैस इस युद्धपोत में एके-630 एंटी मिसाइल गन सिस्टम भी लगा है। 163 मीटर लंबे, 17 मीटर चौड़े और 7400 टन वजनी आईएनएस मोरमुगाओ को 4 शक्तिशाली गैस टर्बाइन से गति मिलती है, जिनकी मदद से यह युद्धपोत 30 समुद्री मील से भी अधिक की रफ्तार से दौड़ते हुए एक ही झटके में दुश्मन का काम तमाम कर सकता है तथा परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध स्थितियों में भी दुश्मनों को धूल चटा सकता है। युद्धपोत में लगी मिसाइलें आसमान में उड़ान भरते विमान पर 70 किलोमीटर और जमीन या समुद्र पर मौजूद लक्ष्य पर 300 किलोमीटर दूर से निशाना लगाने में सक्षम हैं।

भारतीय नौसेना के अनुसार मोरमुगाओ युद्धपोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है, जिसमें रॉकेट लांचर, तारपीडो लांचर और एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है। इसके साथ ही इसमें एंटी सबमरीन रॉकेट लांचर भी लगे हैं। निर्देशित मिसाइल प्रणाली से लैस आईएनएस मोरमुगाओ पर ब्रह्मोस तथा बराक-8 जैसी बेहद खतरनाक और अत्याधुनिक आठ मिसाइलें लगाई जाएंगी। मोरमुगाओ पर लगे रडार सिस्टम से दुश्मन को ट्रैक किया जा सकता है और ये आधुनिक रडार दुश्मन के हथियारों की जानकारी देने में सक्षम हैं। यह युद्धपोत दुश्मन की पनडुब्बियों को ढूंढ़कर उन्हें तबाह करने की विलक्षण क्षमता रखता है। इस युद्धपोत के मिलने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी बढ़ोतरी हुई है। आईएनएस मोरमुगाओ युद्धपोत को प्रोजेक्ट 15बी के तहत निर्मित किया गया है, जिसमें चार विध्वंसक युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है। इसी प्रोजेक्ट के पहले युद्धपोत आईएनएस विशाखापत्तनम को 2021 में ही भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और दो अन्य युद्धपोतों आईएनएस इम्फाल तथा आईएनएस सूरत का निर्माण तेज गति से अभी मझगांव डॉकयार्ड में ही हो रहा है। प्रोजेक्ट 15बी के तहत भारत विश्वस्तरीय मिसाइल विध्वंसक तैयार कर रहा है, जिनकी गुणवत्ता अमेरिका और यूरोप के विख्यात युद्धपोत निर्माताओं को टक्कर देती है। प्रोजेक्ट 15बी से पहले शुरू हुए प्रोजेक्ट 15ए के तहत प्रमुख रूसी प्रणालियों को स्वदेशी प्रणालियों से बदला गया था। प्रोजेक्ट 15ए के तहत आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कोच्चि तथा आईएनएस चेन्नई अस्तित्व में आए थे।

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार के मुताबिक यह उपलब्धि पिछले दशक में युद्धपोत डिजाइन और निर्माण क्षमता में हमारी ओर से उठाए गए बड़े कदमों का बड़ा संकेत है। एमडीएसएल द्वारा तैयार यह युद्धपोत हमारी स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है और इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले समय में हम न केवल अपनी जरूरतों के लिए बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों की जरूरतों के लिए भी ऐसे युद्धपोतों तथा अन्य रक्षा सामग्री का निर्माण करेंगे। आईएनएस मोरमुगाओ युद्धपोत की विशेषता यह है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत निर्मित किए गए इस युद्धपोत में करीब 75 फीसदी हिस्से पूर्ण रूप से स्वदेशी हैं। फिलहाल आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के दृढ़ निश्चय के साथ 44 पोतों और पनडुब्बियों में से 42 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में ही किया जा रहा है। इसके अलावा 55 पोतों और पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आदेश जारी हो चुके हैं, जिनका निर्माण भी भारतीय शिपयार्ड में ही किया जाएगा। बहरहाल, आईएनएस मोरमुगाओ के भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने से नौसेना की ताकत काफी बढ़ गई है। हिन्द महासागर में चीन के लगातार बढ़ते दखल के मद्देनजर अत्याधुनिक हथियारों से लैस इस युद्धपोत का नौसेना में शामिल होना बहुत महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि भारत के हित सीधे तौर पर हिन्द महासागर से जुड़े हैं। आईएनएस मोरमुगाओ के नौसेना में शामिल होने से हिन्द महासागर में हमारी नौसेना की पहुंच और ताकत बढ़ेगी, जिससे देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा पहले के मुकाबले और ज्यादा मजबूत होगी।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)