– प्रहलाद सबनानी
भारत में आज भी लगभग 60 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है एवं अपने जीवन यापन के लिए मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र पर ही आश्रित रहती है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार किये जा रहे विकास कार्यों के चलते इन क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत व्यय की जाने वाली राशि में अतुलनीय वृद्धि दर्ज हुई है। इससे, ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के नए अवसर निर्मित होने लगे हैं एवं ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन कुछ कम हुआ है। विशेष रूप से कोरोना महामारी के खंडकाल में शहरों से ग्रामीण इलाकों की ओर शिफ्ट हुए नागरिकों में से अधिकतर नागरिक अब ग्रामीण क्षेत्रों में ही बस गए हैं एवं अपने विशेष कौशल का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों को प्रदान कर रहे हैं।
हाल ही में जारी किए गए कुछ सर्वे प्रतिवेदनों के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग की एक नई कहानी लिखी जा रही है क्योंकि अब विभिन्न उत्पादों की मांग ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती दिखाई दे रही है। उपभोक्ता वस्तुओं एवं ऑटो निर्माता कम्पनियों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में हाल ही के समय में उपभोग की जाने वाली विभिन्न वस्तुओं एवं दोपहिया एवं चार पहिया वाहनों (ट्रैक्टर सहित) की मांग में तेजी दिखाई दे रही है, जो कि वर्ष 2023 में लगातार कम बनी रही थी। यह संभवत: रबी फसल के सफल होने के चलते भी सम्भव हो रहा है।
उक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने भी हाल ही में सम्पन्न अपनी द्विमासिक मोनेटरी पॉलिसी की बैठक में रेपो दर में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की है, ताकि बाजार, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार में, उत्पादों की मांग विपरीत रूप से प्रभावित नहीं हो, ताकि इससे अंततः वित्तीय वर्ष 2024-25 में देश के आर्थिक विकास की दर भी अच्छी बनी रहे।
भारत में पिछले कुछ समय से ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न उत्पादों की मांग, शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध मांग की तुलना में कम ही बनी रही है। परंतु, वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाही के बाद से इसमें कुछ परिवर्तन दिखाई दिया है एवं अब ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादों की मांग में तेजी दिखाई देने लगी है। यह तथ्य विकास के कुछ अन्य सूचकांकों से भी उभरकर सामने आ रहा है। जनवरी-फरवरी 2024 माह में दोपहिया वाहनों की बिक्री में, पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान की बिक्री की तुलना में, 30.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि दर रही है, जो हाल ही के कुछ वर्षों में अधिकतम वृद्धि दर मानी जा रही है। दोपहिया वाहनों की बिक्री ग्रामीण इलाकों (लगभग 10 प्रतिशत) में शहरी इलाकों (लगभग 7 प्रतिशत) की तुलना में अधिक रही है। महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत प्रदान किए जाने वाले रोजगार के अवसरों की मांग में भी फरवरी-मार्च 2024 माह के दौरान 9.8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में निवासरत नागरिकों को रोजगार के अवसर अन्य क्षेत्रों में उपलब्ध हो रहे हैं। इसी प्रकार, ट्रैक्टर की बिक्री में भी जनवरी-फरवरी 2024 माह के दौरान 16.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में कुल 892,313 ट्रैक्टर की बिक्री हुई है जो पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में 7.5 प्रतिशत अधिक है।
भारत के मौसम विभाग द्वारा जारी की गई भविष्यवाणी के अनुसार, वर्ष 2024 के मानसून मौसम के दौरान भारत में मानसून की बारिश के सामान्य से अधिक रहने की प्रबल सम्भावना है। इससे भारत के किसानों में हर्ष व्याप्त है क्योंकि मानसून के अच्छे होने से खरीफ की फसल के भी बहुत अच्छे रहने की सम्भावना बढ़ गई है। मौसम विभाग के सोचना है कि इस वर्ष अल नीनो के स्थान पर ला नीना का प्रभाव दिखाई देगा। अल नीनों के प्रभाव में देश में बारिश कम होती है एवं ला नीना के प्रभाव में देश में बारिश अधिक होती है। साथ ही, भारतीय किसान अब तिलहन, दलहन एवं बागवानी की फसलों की ओर भी आकर्षित होने लगे हैं। दालों, वनस्पति, फलों एवं सब्जियों के अधिक उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि दृष्टिगोचर है। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न खाद्य उत्पादों की बिक्री के लिए ई-पोर्टल के बनाए जाने के बाद से तो भारतीय किसान अपनी फसलों को वैश्विक स्तर पर सीधे ही बेच रहे हैं और अपने मुनाफे में वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। भारतीय खाद्य पदार्थों की मांग अब वैश्विक स्तर पर भी होने लगी है एवं खाद्य पदार्थों के निर्यात में भी नित नए रिकार्ड बनाए जा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादों की मांग सामान्यतः अच्छे मानसून के पश्चात अच्छी फसल एवं विभिन्न सरकारों, केंद्र एवं राज्य सरकारों, द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों पर किए जा रहे खर्चो में बढ़ौतरी के चलते ही सम्भव होती है। केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लागू की गई विकास की विभिन्न योजनाओं पर व्यय में लगातार वर्ष दर वर्ष वृद्धि की जा रही है एवं इसके लिए केंद्रीय बजट में भी बढ़े हुए व्यय का प्रावधान प्रति वर्ष किया जा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर निर्मित हो रहे हैं एवं इन इलाकों में विभिन्न उत्पादों की मांग भी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।
नीलसन द्वारा किए गए एक सर्वे के यह बताया गया है कि जनवरी एवं फरवरी 2024 माह में भारत में विभिन्न उत्पादों की शहरी क्षेत्रों में मांग 1.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग 2.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। विशेष रूप से फरवरी 2024 के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादों की मांग में वृद्धि लगातार बढ़ती दिखाई दे रही है। रबी की फसल के भी अच्छे रहने की सम्भावना बलवती हुई है जिसके कारण किसानों की मनोदशा भी सकारात्मक बन रही है और यह वित्तीय वर्ष 2024-25 में देश की आर्थिक वृद्धि दर को बलवती करने के मुख्य भूमिका निभाने जा रही है। आज देश की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है यदि ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत नागरिकों की मनोवृत्ति सकारात्मक हो रही है तो निश्चित ही वित्तीय वर्ष 2024-25, आर्थिक विकास की दृष्टि से अतुलनीय परिणाम देने वाला वर्ष साबित होने जा रहा है।
(लेखक, आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ हैं।)