– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के अमृत महोत्सव के बाद अब भारत के आगामी 25 वर्षों के लिए तय किए गए अमृत काल पर चर्चा शुरू हो गई है। अमृत महोत्सव के दौरान नई पीढ़ी में स्वतंत्रता संग्राम के प्रसंगों से नई ऊर्जा का संचार हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि ने इसे घर-घर पहुंचा दिया। इसमें आत्मनिर्भर भारत और विकास के अनेक पहलू दिखे। डिजिटल इंडिया अभियान के सप्तरंग भी सजे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अमृत महोत्सव को व्यापक अवसर के रूप में स्वीकार किया। उनकी सरकार ने इस अवधि में अनेक उल्लेखनीय कार्य किए। हर घर तिरंगा अभियान जनान्दोलन के रूप दिखा। विधानसभा भवन भी इसकी अभिव्यक्ति कर रहा हैं। ई कार्यवाही की व्यवस्था ने इसमें चार चांद लगा दिए।उत्तर प्रदेश विधानसभा ने पांच वर्षों में अभिनव प्रयोग किए है। दो वर्ष पहले पेपरलेस बजट प्रस्तुत किया गया। सतत विकास के लक्ष्यों पर छत्तीस घंटे निरन्तर चर्चा की गई। महात्मा गांधी की एक सौ पचासवीं जयन्ती पर विधान मंडल का विशेष सत्र आहूत किया गया।
यह आगामी पच्चीस वर्ष के लक्ष्य निर्धारण का अमृत काल भी है। इसमें विधानसभा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। आशा की जा सकती है कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना, को साकार करेगी। प्रधानमंत्री ने यह अमृत काल पूरे देश के लिए तय किया है। आजादी का शताब्दी वर्ष अधिक शानदार होगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा के इतिहास में 48 घंटे का विशेष सत्र नया अध्याय जोड़ चुका है।इसके बाद पहली बार राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के भारत प्रक्षेत्र सम्मेलन का यहां आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास प्रस्तावों पर चर्चा हुई। कुछ समय पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और विधानसभा अध्यक्ष राष्ट्रमंडल सम्मेलन में भाग लेने गए थे। वहां इनके विचारों को गम्भीरता से सुना गया। उत्तर प्रदेश में विदेशी मेहमानों के सम्मेलन में भाग लेने के अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण यात्रा को भी जोड़ा गया था। राष्ट्रमंडल देशों के प्रतिनिधियों को अयोध्या में रामलला के दर्शन कराए गए।
पिछली दीपावली पर फिजी की स्पीकर अयोध्या आई थीं। यहां उन्होंने रामचरित मानस की चौपाइयों का गायन किया था। स्वतंत्रता दिवस पर देश महात्मा गांधी को हर साल याद करता है। वैसे भी विश्व में कहीं भी जब अहिंसा, स्वतंत्रता, मानवता, सौहार्द, स्वच्छता, गरीबों की भलाई आदि का प्रसंग उठता है, तब महात्मा गांधी का स्मरण किया जाता है। गांधी पीर पराई को समझते थे। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सत्रह प्रस्तावों को घोषणा की थी। इनके मूल में गांधीवाद की ही प्रतिध्वनि थी। वह ऐसा विश्व चाहते थे जिसमें गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, बीमारी, असमानता,भुखमरी न हो। गांधी चिंतन की भावना थी कि कोई पीछे न छूटे। संयुक्त राष्ट्र संघ का भी यही विचार है। इस लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करना आवश्यक है। अंत्योदय का मूलमंत्र भी यही है। इसी के मद्देनजर नरेन्द्र मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, जैसी योजनाएं लागू कीं। इन सतत विकास लक्ष्यों का सीधा संबंध प्रदेश सरकारों से है। निश्चिततौर पर अब अमृत काल की भगीरथ योजनाओं को धरातल पर उतारकर विकास की गंगा बहाई जाएगी।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)