Friday, November 22"खबर जो असर करे"

आयुष के जरिये विश्व को आरोग्य बना रहा भारत

भोपाल! जिस कोरोना वायरस ने समूचे विश्व को हलाकान कर दिया, उससे निपटने में होम्योपैथी, आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा जैसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धितयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसीलिये अब इन्हें वैकल्पिक के बजाय सहयोगी अथवा समानांतर चिकित्सा पद्धति कहा जाने लगा है। आयुष मंत्रालय इन चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देता है। इनके माध्यम से भारत संपूर्ण विश्व को आरोग्यता का वरदान प्रदान कर रहा है। ये बात केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार, वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य एवं वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी ने पंचमढ़ी में “आयुष चिकित्सा पद्धतियों द्वारा वैश्विक अगुआई” विषय पर आयोजित वैश्विक आयुष चिकित्सक समागम में कही। संजीवनी वेलफेयर सोसायटी द्वारा आयोजित तीन दिनी समागम में उन्होंने कहा कि हम जल्द ही मध्य प्रदेश के दूरदराज इलाकों में पहुचेंगे और वहाँ अप्लास्टिक एनीमिया, सिकल सेल एवं थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को रोगमुक्त करने के हरसंभव प्रयास करेंगे। सबसे अच्छी बात ये है कि अब देश के युवा भारत की पुरानी चिकित्सा पद्धतियों पर भरोसा करने लगे हैं। इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि भविष्य में भारत स्वास्थ्य जागरूकता, वेलनेस एवं रोगमुक्ति की दिशा में आयुष चिकित्सा पद्धति के माध्यम से विश्व की अगुआई करेगा।
*एक दशक पूर्व हुआ था “मिशन हेल्दी इंडिया” का आगाज* : आयोजकों के मुताबिक भारत सरकार द्वारा पंजीकृत स्व-वित्तपोषित संस्था “संजीवनी वेलफेयर सोसायटी” ने लगभग एक दशक पूर्व परियोजना “मिशन हेल्दी इंडिया” का संचालन प्रारम्भ किया था। जिसके जरिये वंचित क्षेत्रों मरीजों को सुलभ, सस्ती व सुरक्षित आयुष चिकित्सा पद्धति के माध्यम से स्वास्थ्य जागरूकता, चिकित्सकीय परामर्श, दवाइयां, रोगों से बचने के उपाय एवं अन्य सुविधाओं सहित न सिर्फ सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जा रहा है बल्कि आयुष चिकित्सा पद्धति का प्रचार – प्रसार भी किया जा रहा है। इस अवसर पर इस क्षेत्र में सुदीर्घ सेवायें प्रदान कर रहे विषय विशेषज्ञों को अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान (आयुष रत्न, आयुष लीजेंड एवं राष्ट्रीय आयुष गौरव सम्मान) से सम्मानित भी किया गया।