पाकिस्तान सरकार की तरफ से इमरान खान पर आरोप लगाया गया था कि वे भड़काऊ भाषण देकर देश की जनता को सरकार, अदालत और सेना के खिलाफ भड़काना चाहते हैं। भड़काऊ भाषण के आरोप में उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। आरोप था कि बीते 20 अगस्त को इस्लामाबाद की एक सभा में उन्होंने पाकिस्तान की एक न्यायाधीश जेबा चौधरी को धमकी दी थी। इसके अलावा कई अधिकारियों और सरकार के खिलाफ आपत्तिजनक बातें करने के आरोप लगाए गए थे। सरकार ने इमरान के भाषण को भड़काऊ माना है। आरोप लगाया गया था कि इसके जरिए इमरान खान देश की जनता को सरकार, न्यायालय और सेना के खिलाफ भड़का कर देश में गृहयुद्ध कराना चाहते थे।
जैसे ही मामले ने तूल पकड़ना शुरू किया, सरकार और पुलिस सक्रिय हो गई। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी ने इमरान के भाषण के लाइव प्रसारण पर रोक लगा दी। उनके भाषणों को लाइव न प्रसारित करने का आदेश जारी किया गया। पुलिस ने इस मामले में इमरान खान पर आतंकवाद निरोधी कानून की धारा सात के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था। इमरान की गिरफ्तारी के लिए पुलिस उनके घर बनीगाला भी पहुंची थी लेकिन लोगों की भारी भीड़ देखते हुए उसे लौटना पड़ा। समर्थकों ने इमरान की गिरफ्तारी होने पर देशभर में बवाल होने की चेतावनी दी थी।
गिरफ्तारी से बचने के लिए इमरान खान ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जिस पर बीती 22 अगस्त को तीन दिन के लिए उनकी जमानत मंजूर कर दी गयी थी। जमानत के तीन दिन बीतने पर इमरान 25 अगस्त को इस्लामाबाद स्थित आतंकवादरोधी अदालत में पेश हुए, तब अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर एक सितंबर तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। गुरुवार को इमरान खान फिर आतंकवादरोधी अदालत में पेश हुए। न्यायाधीश राजा जवाद अब्बास हसन ने उनकी अंतरिम जमानत 12 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी है।(हि.स.)