शिकागो। फिलिस्तीन के दुर्दांत आतंकवादी संगठन हमास की सात अक्टूबर को इजराइल पर किए गए हमले के दौरान चौंकाने वाली बर्बरता सामने आई है। इसकी गूंज कल (सोमवार) संयुक्त राष्ट्र में सुनाई पड़ी। अमेरिका के प्रमुख अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार हमास के यौन उत्पीड़न के शिकार जीवित बचे लोगों की पीड़ा से मानवाधिकार कार्यकर्ता नाराज हैं। इसकी वजह यह है कि हमास ने कथित तौर पर इजराइल से संघर्ष के दौरान बंधक बनाई गई इजराइली महिलाओं का युद्ध के हथियार के रूप में ‘बलात्कार’ के रूप में इस्तेमाल किया।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र और शिकागो में अधिवक्ताओं ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया भर में प्रमुख महिला अधिकार संगठनों की सात अक्टूबर को हुई यौन हमलों की संख्या पर ‘चुप्पी’ खतरनाक है। शिकागो में यौन उत्पीड़न से बचे लोगों की पैरोकार वकील जूली स्मोलेन्स्की कहती हैं- ‘मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दुनिया बचे लोगों से मुंह मोड़ लेगी, जब अपराधियों ने अपनी हिंसा को ‘इतनी खुशी से’ रिकॉर्ड किया और इसे दुनिया के साथ साझा किया।’
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने इजराइली पत्रकार ताल हेनरिक की पीड़ा सामने रखी है। हेनरिक का कहना है कि सात अक्टूबर को हमास ने इजराइली लोगों के घरों को आग लगाने से पहले, सैकड़ों इजरायली महिलाओं की दो बार हत्या की। पहले उनके साथ बलात्कार किया। इसके बाद हमास के आतंकवादियों ने उन्हें गोलियों से भून दिया। उल्लेखनीय है कि इजराइल डिफेंस फोर्सेज शुरू से कह रहा है कि सात अक्टूबर को हमास के हमले के दौरान मारे गए 1,200 लोगों में से 300 से अधिक इजरायली महिलाएं हैं। वह आरोप भी लगाता रहा है कि उनमें से कई पीड़ितों का यौन उत्पीड़न किया गया।
अखबार के अनुसार हमास के आधिकारिक सूत्रों ने इस संबंध में बात करने से इनकार कर दिया। मगर गाजा पट्टी के युद्ध अपराध में दोनों पक्षों की भूमिका की जांच के लिए 29 नवंबर को गठित संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग ने घोषणा की है कि वह इजराइली महिलाओं के साथ की गई यौन हिंसा के साक्ष्य जुटाने के लिए सार्वजनिक अपील करेगा। वह इसे अपनी जांच का प्रमुख बनाएगा।