Friday, September 20"खबर जो असर करे"

दाने-दाने को मोहताज पाकिस्तान की चिंता अमेरिकी हथियार

– आरके सिन्हा

पड़ोसी देश पाकिस्तान की प्राथमिकताएं कभी-कभी हैरान करती हैं। जो देश फिलहाल अपने अब तक के इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ से हुई तबाही को झेल रहा है, उसे इस समय बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत देने की तनिक भी चिंता नहीं है। चिंता होती तो इस समय वह अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमानों की डील को अंतिम रूप देने के लिये उतावलापन न दिखा रहा होता। अमेरिका ने एफ-16 विमान कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर की मदद देने का ऐलान किया है। जाहिर है इस राशि से बाढ़ के पानी में लाखों बह गए घर बन जाते और बेबस लोगों को मदद पहुंचाई जा सकती थी। पर पाकिस्तान के हुक्मरानों की प्राथमिकता तो कुछ और ही हैं। वहां पर सब अहम फैसले लंबी-लंबी मूछों वाले फौजी जनरल ही लेते हैं। जिनकी उपलब्धि टके भर की भी नहीं होती है। उन्होंने देश को भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। आज उनकी गलत नीतियों और भ्रष्ट आचरण ने पूरे पाकिस्तान को भूखे मरने को मजबूर करके रख दिया है।

जाहिर है, पाकिस्तान के अमेरिका से एक-16 लड़ाकू विमान खरीदने पर भारत को चिंतित होना भी लाजिमी ही है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने अमेरिका के समकक्ष से फोन पर बात करके उन्हें भारत की चिंता से अवगत करवा दिया है। राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन से बातचीत की है । रक्षा मंत्री ने लॉयड से पाकिस्तान के एफ-16 बेड़े को पैकेज देने से संबंधित अमेरिकी सरकार के फैसले को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। भारत पहले भी पाकिस्तान के इन लड़ाकू विमानों को लेने को लेकर आपत्ति जता चुका है। पाकिस्तान फिलहाल चुप है। पर अमेरिका का कहना है कि यह उनके और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों का अहम हिस्सा है।

दरअसल पाकिस्तान का जनता का दुर्भाग्य है कि उन्हें बेहद गैरजिम्मेदार नेता और गैरजिम्मेदार सरकारें मिलती रही हैं। ऊपर से पूरी तरह भ्रष्ट सेना ने पाकिस्तान को कहीं का नहीं रहने दिया। अब जरा देखिए कि बाढ़ से बर्बाद पाकिस्तान एक तरफ कटोरा लेकर दुनिया से मदद की गुहार लगा रहा है और, दूसरी तरफ वह हथियारों का सौदा भी कर रहा है। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने बाढ़ प्रभावित हिस्सों में राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद मांगनी शुरू कर दी है। बाढ़ की घटनाओं में देशभर में 800 से अधिक लोगों मारे गये हैं और लाखों लोगों के बेघर हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान में बाढ़ से हुए नुकसान पर दुख भी जताया है। माना जा रहा था कि भारत पाकिस्तान को इस संकट के समय मदद भी देगा। लेकिन, पाकिस्तान मदद मांगे भी तो किस मुंह से ? पर क्या भारत को उस पाकिस्तान को मदद देनी चाहिए जो एफ-16 लड़ाकू विमान खरीद रहा है? किसे नहीं मालूम कि ये लड़ाकू विमान भारत पर हमला करने के लिए ही खरीदे जा रहे हैं। दूसरा इन रक्षा सौदों को इसलिए भी किया जाता है, ताकि कुछ नेताओं और जनरलों को मोटी कमाई हो जाए। साफ है कि पाकिस्तान के कर्णधारों को अपने अवाम की फिक्र ही कहां है।

पकिस्तान में बाढ़ के चलते भारी संख्या में घर उजड़ गए हैं। खेत तबाह हो गए हैं। पेट्रोल पंप डूब गए हैं। बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मचाई है। देश का एक तिहाई हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ है। बाढ़ ने पाकिस्तान में अनाज से लेकर पीने का पानी तक छीन लिया है। सिंध और पंजाब में कपास की खेती बर्बाद हो चुकी है। कपास की करीब 10 लाख एकड़ की फसल बाढ़ के चलते तबाह हो चुकी है। इसके अलावा, 6 लाख एकड़ का चावल, एक लाख एकड़ में लगा खजूर और करीब 7 लाख एकड़ में लगा गन्ना तबाह हो चुका है। वहीं, 50 फीसद सब्जियां भी बर्बाद हो चुकी हैं। पर वह फिर भी हथियार लेने के लिए उतावला दिखता है।

दरअसल पाकिस्तान में सरकार चाहे इमरान की हो या शहबाज शरीफ की, उन्हें जनता के दुख-दर्द से कोई सरोकार नहीं है। उनका सारा फोकस रक्षा बजट में बढ़ोतरी करना रहता है। उन्हें देश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की रत्तीभर भी चिंता नहीं है। वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर नाम की कोई चीज नहीं है। शिक्षा और सेहत पर भी खर्च को लेकर किसी तरह की गंभीरता नजर नहीं आती। उन्हें तो अपना रक्षा बजट ही बढ़ाना है। इसका एक उदाहरण ले लीजिए। पाकिस्तान ने चालू वित्त वर्ष का रक्षा बजट पिछले वर्ष के मुकाबले 11 प्रतिशत से बढ़ाकर 1523 अरब रुपये कर दिया है।

पाकिस्तान में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 9502 अरब रुपये का वार्षिक बजट पेश किया। इसमें रक्षा क्षेत्र के लिए 1523 अरब रुपये आवंटित किए गए हैं। बजट अनुमानों के अनुसार, कर्ज के भुगतान के बाद पाकिस्तान रक्षा क्षेत्र में वार्षिक आधार पर सबसे अधिक खर्च कर रहा है। पाकिस्तान सरकार ने रक्षा क्षेत्र के लिए 1,523 अरब रुपये की प्रतिबद्धता जताई है, जो पिछले साल के 1,370 अरब रुपये से अधिक है। हालांकि, इसे बाद में रक्षा मंत्रालय की मांग पर बढ़ाकर कर 1,450 अरब रुपये कर दिया गया था। इस साल 1,523 अरब रुपये का रक्षा आवंटन पिछले साल के 1,370 अरब रुपये के आवंटन की तुलना में 11.16 प्रतिशत अधिक है।

गौर करें कि पाकिस्तान के बजट में कर्ज अदायगी पर खर्च बढ़कर कुल बजट का 29.1 प्रतिशत हो गया है। यह सरकार का सबसे बड़ा व्यय है और चालू व्यय का 45.4 प्रतिशत है। सीधी सी बात है कि पाकिस्तान सुधरने वाला मुल्क नहीं है। वहां पर बाढ़ से तबाही आए या फिर कोई अन्य कारण रहे, पाकिस्तान का पागलपन जारी रहता है। पिछले 75 सालों में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन गया और पाकिस्तान कटोरा लेकर दुनिया के सामने खड़ा है। विकास से कोसों दूर बसती है पाकिस्तान की दुनिया। हां, पाकिस्तान ने अपने को आतंकवाद की फैक्टरी के रूप में जरूर स्थापित कर लिया है। सबको पता है कि पाकिस्तान में ही रह रहा था ओसामा बिन लादेन। मौलाना अजहर महमूद और हाफिज सईद जैसे मानवता के दुश्मन आज भी पाकिस्तान में ही मौज काट रहे हैं। जाहिर है, उस देश का ऊपर वाला भी भला नहीं कर सकता।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)