Friday, November 22"खबर जो असर करे"

आरिफ मोहम्मद की अयोध्या यात्रा

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

अयोध्याधाम के भव्य श्रीराम मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या कम नहीं हो रही है। मंदिर लोकार्पण के बाद से यह सिलसिला अनवरत जारी है। यहां प्रतिदिन लघु भारत के भी दर्शन होते हैं। भाषा अलग है। लेकिन श्रद्धा भाव समान है। भीषण गर्मी में भी किसी का उत्साह कम नहीं है। अयोध्या की सड़कें, मंदिर सभी जगह श्रीराम की जय जयकार गूंजती रहती है। एक-दूसरे की जो भाषा भी जो नहीं समझते वह भी जय श्रीराम से परस्पर अभिवादन करते है। श्रीराम लला के दर्शन कर लोग भावविह्वल होते है। दर्शनार्थियों के इस हुजूम में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी शामिल हैं। उन्होंने श्रीराम लला के दर्शन किए। मत्था टेका। अयोध्या का पड़ोसी जिला बहराइच आरिफ मोहम्मद खान का चुनावी क्षेत्र रहा है। आरिफ मोहम्मद खान ने न केवल रामलला को जीभर के निहारा बल्कि उन्होंने रामलला के दरबार में उन्हें लेटकर प्रणाम किया और उनके प्रति अपनी भावना समर्पित की।

उन्होंने सामाजिक सौहार्द का एक बड़ा संदेश दिया। आरिफ मोहम्मद अपने राष्ट्रवादी विचारों के लिए प्रसिद्ध हैं। वह उर्दू, फारसी, हिंदी संस्कृत आदि अनेक भाषाओं के जानकर हैं। बहुत अध्ययनशील हैं। अपने संबोधन में वह वेद पुराण उपनिषदों का उद्धहरण देते हैं। भारतीय संस्कृति की महत्ता का प्रतिपादन करते हैं। कहते हैं कि यह भारत है जिसने ज्ञान और उसके प्रसार का मानवीय चिंतन दुनिया को दिया। सूर्य सिद्धांत यूरोपीय पुनर्जागरण का आधार है। नौवीं शताब्दी में भारतीय सूर्य सिद्धांत ग्रंथ को लेकर भारतीय मनीषी अरब गए थे। बगदाद के सुल्तान ने उसका अनुवाद कराया। इसके बाद यह ग्रंथ स्पेन के राजा ने मंगवाया। उसका अनुवाद वहां हुआ। युरोपीय पुनर्जागरण इसी भारतीय सिद्धांत पर आधारित है।

उपनिषद कहते हैं ज्ञान प्राप्त करो फिर उसको साझा करो। कपिल मुनि ने ज्ञान प्राप्त किया। फिर उसे अपनी मां को सुनाया। यह प्रसार की ही ललक थी। भारतीय चिंतन में सेवा सहायता पूजा की भांति है। इसमें भेदभाव नहीं है। इस भारतीय विरासत पर अमल तय हो जाए तो सभी कार्य अपने आप होते चलेंगे। भारतीय ज्ञान का सारांश गीता में है। भारत में ज्ञान की पूजा हुई। इस मार्ग से भटके तभी भारत परतंत्र हुआ। ज्ञान का प्रसार बंद कर दिया। इसलिए गुलाम हुए। जो ज्ञान को साझा नहीं करता वह सरस्वती का उपासक नहीं खलनायक होता है। महामना मालवीय ने इसी चेतना का जागरण किया।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इसका एक निमित्त या पड़ाव मात्र है। भारतीय संस्कृति का जागरण हो रहा है। ज्ञान की तरह पवित्र करने वाला कुछ नहीं है। ब्रह्मचारी वह है जो विद्यार्थी है। जिसमें जिज्ञासा है। विज्ञान का महत्व है। विज्ञान प्रकृति पर नियन्त्रण का प्रयास करता है। ज्ञान ब्रह्म की ओर ले जाता है। एकता का आधार आत्मा है। मनुष्य ही नहीं जीव-जन्तु सभी में आत्मा है। इसलिए भेदभाव नहीं होना चहिए।

आरिफ मोहमद जनवरी में मणिराम दास छावनी में हुए अयोध्या उत्सव में सहभागी हुए थे। उसमें उन्होंने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण से पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। उस खुशी में हिस्सा लेने के लिए आया हूं। श्रीराम का जीवन हमें सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भक्ति आंदोलन की शुरुआत दक्षिण में उत्तर भारत से काफी पहले हो गई थी। आंदोलन में श्रीराम को अवतार के रूप में देखा गया है। सबमें राम सबके राम यह वास्तविकता नजर आती है।

आरिफ मोहम्मद खान की भगवान राम पर आस्था किसी से छुपी नहीं है। वह अकसर कहते हैं कि आज भी अगर आप ग्रामीण इलाकों में चले जाएं तो लोग एक दूसरे से राम-राम करते हैं। यहां तक कि जब झगड़ा हो जाता है तो लोग कहते हैं कि राम-राम करो, झगड़ा मत करो। ऐसा कोई नहीं है जिसके दिल में राम न हों। मुसलमान के दिल में भी राम हैं। हम ऐसे देश में रहते हैं जहां कि संस्कृति ये नहीं कहती है कि हम दूसरों पर हमला करें। भगवान राम भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि हैं। राम के व्यक्तित्व की विशेषता यह है कि वह हर युग के महानायक हैं। प्रभु राम समावेशी समाज, सामाजिक समरसता और एकता का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। रामकथा की लोकप्रियता भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)