वाशिंगटन। गूगल की टेंशन बढ़ सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस गूगल के ऊपर क्रोम ब्राउजर को सेल करने का दबाव बना सकता है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के अधिकारी एक जज की मदद से गूगल को इसके लिए मजबूर करने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा करके डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस इंटरनेट सर्च मार्केट में गूगल की मोनोपॉली को खत्म करना चाहता है। गूगल के खिलाफ डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने पिछले महीने ‘structural remedies’ का हवाला देते हुए कोर्ट पेपर फाइल किया था, ताकि गूगल को उसके ही कुछ प्रोडक्ट्स को यूज करने से रोका जा सके।
ऐंड्रॉयड ओएस और AI के खिलाफ भी उठाया जा सकता है बड़ा कदम
गूगल की परेशानी और बढ़ सकती है क्योंकि डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस कंपनी के ऐंड्रॉयड ओएस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर भी बड़ा कदम उठा सकता है। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस गूगल की मोनोपॉली को एंटीट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन मानता है। एंटीट्रस्ट अधिकारी फेडेरल जज अमित मेहता से बुधवार को डेटा लाइसेंसिंग आवश्यकताओं को लागू करने की सिफारिश कर सकते हैं। गूगल के खिलाफ यह मामला पहले ट्रम्प प्रशासन में दायर किया गया था और राष्ट्रपति जो बाडेन के आने पर भी यह जारी रहा। यह बाइडन प्रशासन में किसी भी बड़ी टेक कंपनी के खिलाफ उठाया गया सबसे आक्रामक कदम बन सकता है।
गूगल की उपाध्यक्ष ने इसे एक कट्टरपंथी कदम बताया
अगस्त में आए एक फैसले में कोर्ट ने गूगल को एंटीट्रस्ट नियमों के उल्लंघन का दोषी माना था। फैसले में कोर्ट ने कहा था कि गूगल ने सर्च और एडवर्टाइजमेंट मार्केट में अपनी मोनोपॉली का गलत फायदा उठाया है। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के कदम पर गूगल की उपाध्यक्ष ली-ऐनी मुलहोलैंड ने कहा कि यह एक कट्टरपंथी कदम है, जो कानूनी मुद्दों से कहीं आगे जाता है और इससे यूजर्स को काफी नुकसान पहुंच सकता है।
अप्रैल 2025 में होगी मामले की सुनवाई
इस मामले की सुनवाई अप्रैल 2025 में होगी। इसका फैसला अगस्त 2025 में आ सकता है। कोर्ट से फैसला आने के बाद गूगल इसके खिलाफ अपील कर सकता है। बताते चलें कि क्रोम गूगल के लिए बड़ा प्रोडक्ट है और इससे कंपनी की काफी कमाई होती है। मौजूदा ग्लोबल ब्राउजर मार्केट में गूगल क्रोम का मार्केट शेयर 65 पर्सेंट का है।