नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कर्ज (global debt) से जुड़ी असुरक्षा से मंदी का खतरा (risk of recession) बढ़ रहा है। ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसका सामना कई देश कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने गुरुवार को यहां ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए यह बात कही। सीतारमण ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा की स्थिति बढ़ रही है। यह प्रणालीगत वैश्विक कर्ज संकट के लिए खतरा पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि ‘भारत दशकों से विकास के पथ पर हमारी सहयात्री रहे वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के दृष्टिकोण को रखने को उत्सुक है।
उन्होंने कहा कि यह बाह्य कर्ज की अदायगी एवं खाद्य और ईंधन जैसी आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बीच फंसी अर्थव्यवस्थाओं से स्पष्ट होती है। वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है जिसका सामना कई देश टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत 12-13 जनवरी 2023 के लिए दो दिवसीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा खाद्य एंव ऊर्जा सुरक्षा सहित कई वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया है। दरअसल ग्लोबल साउथ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कहा जाता है। (एजेंसी, हि.स.)