– आर.के. सिन्हा
भारत को जी-20 देशों के समूह की सांकेतिक रूप से अध्यक्षता आगामी 16 नवंबर को ही मिल जाएगी जब इंडोनेशिया के शहर बाली में चल रहा जी-20 शिखर सम्मेलन समाप्त होगा। हां, भारत विधिवत रूप से जी-20 की अध्यक्षता अगले माह 1 दिसंबर से संभालेगा। भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है दुनिया को नेतृत्व प्रदान करने का और अपनी नेतृत्व क्षमता प्रदर्शित करने का । जी-20 ऐसे देशों का समूह है, जिनका आर्थिक सामर्थ्य, विश्व की 85 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करता है। जी-20 उन 20 देशों का समूह है, जो विश्व के 75 प्रतिशत व्यापार का भी प्रतिनिधित्व करता है और भारत अब इसी जी-20 समूह का नेतृत्व करने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में जी-20 का “लोगो” (प्रतीक चिह्न) “वसुधैव कुटुम्बकम” को जारी करते हुए कहा कि यह केवल एक प्रतीक चिह्न ही नहीं है। यह एक गहरा संदेश है, एक भावना है, जो हमारी रगों में बसता है। यह एक ऐसा संकल्प है जो हमारी सोच में शामिल रहा है। इस लोगो और थीम के जरिए भारत ने विश्व को फिर एक संदेश दिया है। युद्ध से मुक्ति के लिए बुद्ध के जो संदेश हैं, हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का प्रयास रहेगा कि विश्व में कोई भी फर्स्ट वर्ल्ड या थर्ड वर्ल्ड न हो, बल्कि केवल वन वर्ल्ड हो। भारत ने वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड के मंत्र के साथ विश्व में अक्षय ऊर्जा क्रांति का आह्वान भी किया है।
राजधानी नई दिल्ली में अगले साल 9-10 सितंबर, 2023 में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज, रूस के राष्ट्रपति पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत दुनिया के शिखर नेता भाग लेंगे। उस दौरान प्रधानमंत्री मोदी जी-20 के नेताओं के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। शी चिनफिंग के साथ सीमा विवाद को हल करने पर भी बात हो सकती है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद बना हुआ है। भारत जी-20 सम्मेलन में ब्रिटेन के भारतीय मूल के हिन्दू प्रधानमंत्री सुनक का खासतौर पर स्वागत करना चाहेगा। उनको लेकर सारा भारत स्वाभाविक कारणों से सद्भाव रखता है।
इस बीच, यह सारे देश के लिए एक गर्व का विषय है कि भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिल रही है। जी- 20 के सफल आयोजन की तेजी से तैयारियां शुरू भी हो गईं हैं। करीब चार दशक पहले 1983 में राजधानी में गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। उसमें दर्जनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष भाग लेने आए थे। उनमें क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो, पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जिया उल हक, फलस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) नेता यासर अराफात आदि प्रमुख थे। निर्गुट सम्मेलन के चालीस सालों के बाद जी-20 सम्मेलन राजधानी में आयोजित होना है। इसमें दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेता भाग लेंगे। इस लिहाज से ये निर्गुट सम्मेलन से अलग है। जी-20 देशों के हजारों प्रतिनिधियों की भारत के अलग-अलग शहरों में बैठकें अगले माह से ही शुरू हो जाएंगी। राजधानी की जिन सड़कों से जी-20 सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के काफिले निकलेंगे उनका सौंदर्यकरण किया जा रहा है। जी-20 सम्मेलन के मद्देनजर राजधानी की करीब पौने चार सौ जगहों को नये सिरे से सजाया-संवारा जाना है। इनमें कुछ खास पार्क, फ्लाईओवर के नीचे के हिस्से तथा चौराहे शामिल हैं।
निर्गुट सम्मेलन के समय राष्ट्राध्यक्ष अशोक होटल या फिर राष्ट्रपति भवन में ठहरे थे। सम्मेलन विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था। अशोक होटल तथा विज्ञान भवन 1956 में बन कर तैयार हुए थे। पर जी- 20 के दौरान न तो अशोक होटल में कोई राष्ट्राध्यक्ष रात गुजारेगा और न ही विज्ञान भवन में कोई खास बैठक होगी। जी-20 शिखर सम्मेलन प्रगति मैदान में तैयार विश्व स्तरीय सभागार में आयोजित होगा। बाइडेन, पुतिन, शी जिनपिंग, सुनक और अन्य राष्ट्राध्यक्ष कहां ठहरेंगे? ये भी सवाल है। अमेरिका के दो पूर्व राष्ट्रपति क्रमश: बराक ओबामा तथा बिल क्लिंटन राजधानी के मौर्या शेरटन होटल में रुक चुके हैं। तो क्या बाइडेन भी वहां पर ठहरेंगे? पुतिन भी अपनी दिल्ली की यात्राओं के समय मौर्या शेरटन में ही ठहरे हैं। इस बीच, ये लगभग तय है कि नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) लुटियंस दिल्ली के किसी खास पार्क का नाम जी-20 पार्क ही रख दे। उसने पूर्व में लुटियंस दिल्ली के दो पार्कों को नया नाम क्रमश: भारत-आसियान मैत्री पार्क तथा इंडो- अफ्रीका फ्रेंडशिप रोज गॉर्डन दिया है। भारत-आसियान मैत्री पार्क का उद्घाटन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सन 2018 में किया था। तब राजधानी में भारत- आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। इसी तरह से राजधानी के न्याय मार्ग में है इंडो- अफ्रीका फ्रेंडशिप रोज गॉर्डन। ये भारत-अफ्रीकी देशों के शिखर सम्मेलन से पहले 2015 में स्थापित किया गया था। ये भारत के आसियान तथा अफ्रीकी देशों से मैत्री के महत्वपूर्ण प्रतीक हैं। तो जी-20 मैत्री पार्क भी बनना भी लगभग तय है।
हां, यह ठीक है कि आधुनिक विश्व के प्रमुख आर्थिक मंच जी-20 की अध्यक्षता करने की जिम्मेदारी पहली बार भारत को मिली है, लेकिन यदि इतिहास के झरोखे से देखें, तो भारत हमेशा से दुनिया के लिए गंभीर जिज्ञासा का विषय रहा है। हजारों साल की सांस्कृततिक विरासत की थाती और प्रेम व शांति सरीखे मानवीय मूल्यों की विश्व में प्रतिष्ठा करने वाला यह देश सदियों से दुनिया के आकर्षण का केंद्र रहा है।
कोरोना महामारी की विभीषिका झेल चुके विश्व के तमाम देशों के लिए आज भारत इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है कि आठ अरब की विश्व की कुल आबादी में से अकेले सवा अरब से अधिक की आबादी होने के बावजूद इस देश ने मिलजुलकर बहुत ही बहादुरी से इस महामारी को परास्त करने में कामयाबी हासिल की। कोरोना के खिलाफ टीका विकसित कर रिकार्ड टाइम में अपने तमाम नागरिकों को इस महामारी से सुरक्षित करना कोई आसान काम नहीं था।
कोरोना ने समूची दुनिया के आर्थिक ढांचे को भारी क्षति पहुंचाई। विकास के पहिए की गति प्रभावित हुई और विशेषज्ञों की माने, तो एक बड़ी आर्थिक मंदी पुन: दुनिया की चौखट पर दस्तक दे रही है। इसको लेकर समूची दुनिया में बेचैनी का माहौल है। गरीब और विकासशील देशों में इसका असर जाहिर तौर पर ज्यादा होने वाला है। ऐसे वक्त में भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलना महत्वपूर्ण है। अब भारत को दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियां का हल खोजने में अहम भूमिका निभानी होगी।
(लेखक, वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)