Sunday, March 9"खबर जो असर करे"

लोकसभा सीटें घटने के डर से स्टालिन ने चेन्नई में बुलाए 7 सीएम

नई दिल्‍ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने जनगणना आधारित परिसीमन के खिलाफ एक बार आवाज उठाई है। शुक्रवार को उन्होंने परिसीमन से लोकसभा सीटें घटने का डर पश्चिम बंगाल, ओडिशा समेत 7 राज्यों तक बढ़ा दिया।
स्टालिन ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और भाजपा शासित ओडिशा के मोहन चंद्र माझी सहित 7 अन्य मुख्यमंत्रियों को चेन्नई बुलाया है। उन्होंने केंद्र की ओर से प्रस्तावित परिसीमन अभ्यास के खिलाफ राजनीतिक दलों की संयुक्त कार्रवाई समिति में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने केरल के पिनाराई विजयन, कर्नाटक के सिद्धारमैया, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी, आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू और पुडुचेरी के एन रंगास्वामी को भी बुलावा भेजा है। 22 मार्च को चेन्नई में इस मामले पर बैठक होगी, जहां मिलजुलकर रणनीति तैयार की जाएगी।

सीएम स्टालिन ने इन 7 राज्यों के दूसरे राजनीतिक दलों के सीनियर नेताओं को भी आमंत्रित किया है। उन्होंने एक्स पर कहा, ‘परिसीमन संघवाद पर खुला हमला है, जो जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने वाले राज्यों की आवाज संसद में दबाने का काम करेगा। यह उन्हें दंड देने जैसा है। हम इस लोकतांत्रिक अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे!’ स्टालिन परिसीमन के मुद्दे पर बीते कई दिनों से केंद्र पर दबाव बढ़ा रहे हैं। बुधवार को उन्होंने प्रस्ताव दिया कि 1971 की जनगणना को 2026 से अगले 30 वर्षों के लिए संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का आधार बनाया जाए। उन्होंने इसी के साथ सभी दक्षिणी राज्यों को शामिल करते हुए एक संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) का गठन रखने का प्रस्ताव किया। स्टालिन ने परिसीमन पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें मुख्य विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) सहित अन्य पार्टियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि संसद में सीटों की संख्या में वृद्धि की स्थिति में 1971 की जनगणना को आधार बनाया जाना चाहिए। इसके लिए समुचित संविधान संशोधन किया जाना चाहिए।

स्टालिन की क्या है मांग?
सीएम स्टालिन का कहना है कि 1971 की जनगणना के आंकड़ों को 2026 से अगले 30 वर्षों के लिए लोकसभा सीटों के परिसीमन का आधार बनाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में इसका आश्वासन देना चाहिए। स्टालिन की ओर से पेश प्रस्ताव के मुताबिक, जेएसी ऐसी मांगों को आगे बढ़ाएगी और लोगों के बीच जागरूकता पैदा करेगी। बैठक में जनसंख्या के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया का सर्वसम्मति से विरोध किया गया और कहा गया कि यह संघवाद और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के दक्षिणी राज्यों के अधिकारों के लिए खतरा होगा। प्रस्ताव में कहा गया कि संसद में तमिलनाडु का वर्तमान प्रतिनिधित्व 7.18 प्रतिशत है, जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं बदला जाना चाहिए।

केंद्र का क्या कहना है?
सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) परिसीमन की कवायद का कड़ा विरोध कर रही है। पार्टी अध्यक्ष व मुख्यमंत्री स्टालिन का दावा है कि इससे तमिलनाडु में लोकसभा की सीट कम हो जाएंगी। उन्होंने सवाल किया कि क्या राज्य को पिछले कुछ साल में जनसंख्या नियंत्रण उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दंडित किया जा रहा है। हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया तमिलनाडु सहित दक्षिणी राज्यों को प्रभावित नहीं करेगी। उन्होंने स्टालिन पर इस मामले पर गलत सूचना अभियान चलाने का आरोप लगाया था। अटकलों पर विराम लगाते हुए शाह ने कहा था कि जब आनुपातिक आधार पर परिसीमन किया जाएगा, तो किसी भी दक्षिणी राज्य के संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी नहीं आएगी।