Friday, November 22"खबर जो असर करे"

सच हो सकता है उप्र में वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का सपना

– मनीष खेमका

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को आगामी पाँच वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी माने डॉलर के आज के रेट के हिसाब से 80 लाख करोड़ रुपये होते हैं। उत्तर प्रदेश की वर्तमान अर्थव्यवस्था 17.49 लाख करोड़ रुपये की है। वित्त वर्ष 2016-17 में जब पहली बार उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का गठन हुआ था तब प्रदेश की अर्थव्यवस्था 12.47 लाख करोड़ रुपये की थी। माने पिछले पाँच सालों में इसमें 40% की वृद्धि हुई है। आगामी पाँच सालों में भी उत्तर प्रदेश इसी दर से आगे बढ़ता रहा तो हमारी अर्थव्यवस्था बिना किसी विशेष प्रयास के क़रीब 25 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी।

नए लक्ष्य के मुताबिक उत्तर प्रदेश को अगले पाँच वर्षों में 55 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त दौड़ लगानी होगी। यह कहना आसान है लेकिन करना कठिन। मुख्यमंत्री योगी ने इस नुकीले लक्ष्य को उसकी सींगों से पकड़ने का साहस किया है। वे इसके लिए निश्चित ही बधाई व साधुवाद के पात्र हैं। इस पर काम शुरू भी हो गया है। अन्य सरकारों की तरह दिखावटी बयानबाजी नहीं हो रही है। अंतरराष्ट्रीय संस्था डेलॉयट को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया जा चुका है। उसे 90 दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र के विकास के लिए अपनी योजना बताने को कहा गया है। साथ ही अगले साल जनवरी में 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लक्ष्य के साथ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की योजना भी जारी हो चुकी है।

अब उत्तर प्रदेश के प्रबुद्ध नागरिकों के पास दो विकल्प हैं। असंभव से दिखने वाले इस लक्ष्य की आलोचना करें या फिर व्यापक जनहित के साथ-साथ अपने ख़ुद के लाभ के लिए भी योगी सरकार को इसे हासिल करने में मदद करें। अर्थव्यवस्था जब इस अभूतपूर्व दर से सुधरेगी तो इसका लाभ हर किसी को होगा। वास्तव में यह लक्ष्य प्राप्त करना किसी एक दो या चार लोगों के बस की बात नहीं। सरकार अकेले इसे नहीं कर सकती। दुनिया के बड़े से बड़े कंसल्टेंट यदि यह कर पाते तो आज दुनिया में एक भी देश ग़रीब ना होता। भारत को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने में 55 साल लगे थे। बीते पाँच वर्षों में केंद्र सरकार ने भारत की जीडीपी में एक ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा जोड़े हैं। प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य के अनुरूप यदि भारत को पाँच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनना है तो पहले उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनना ही होगा। यह लक्ष्य कठिन जरूर हो सकता है लेकिन असंभव कतई नहीं।

हमें यह लक्ष्य हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के संपूर्ण 23 करोड़ नागरिकों को प्रेरित और उत्साहित करना होगा। एक-एक व्यक्ति, छोटे-बड़े व्यापारी, कर्मचारी, किसान, मज़दूर समेत हर अमीर और गरीब की सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। उसका लाभ सुनिश्चित करना होगा। यह काम लफ़्फाज़ी से नहीं होगा। इनोवेटिव लेकिन समर्पित जानकारों की बड़ी टीम बनानी होगी। जो मिशन मोड में लगातार पाँच सालों तक इस पर काम कर सकें। अर्थव्यवस्था से संबंधित अनेक अनुत्तरित प्रश्न हैं जिनका जवाब और समाधान हमें ढूँढना होगा।

उत्तर प्रदेश के कारोबार को पाँच गुना बढ़ाना है तो वर्तमान से पाँच गुना अधिक निवेश भी हमें चाहिए होगा। यह सीधा-सा गणित है। पहली चुनौती निवेश की है। यदि पैसे आ भी गए तो इमारतें-दफ्तर व फैक्ट्रियां बनते-बनते बनेंगी। रातों रात नहीं उग जाएँगी। बन भी जाएं तो तत्काल कारोबार के चरम पर नहीं पहुँच जाएंगी। हमें असाधारण उपलब्धि चाहिए तो उपाय भी असाधारण और त्वरित गति से करने होंगे। बेहद इनोवेटिव व आउट ऑफ द बॉक्स तरीके से सोचना होगा। कुछ ऐसा जो पहले कभी न हुआ हो। ऐसी व्यावहारिक व कारगर योजनाएं और उपाय जिनके नतीजे तुरंत दिखाई भी दें।

सबसे संतोष की बात यह है कि आज की तारीख़ में देश और प्रदेश में मोदी और योगी के रूप में हमारे पास दो बेहद ईमानदार और साहसिक नेता मौजूद है। जिनकी असीमित क्षमता हम सभी देख चुके हैं। आवश्यकता है तेज़ी से उपाय ढूंढ कर उस पर एकमत होने की। फिर उस पर अमल आसानी से हो सकेगा। उत्तर प्रदेश ने यदि निर्धारित लक्ष्य का आधा भी हासिल कर लिया तो कायदे से वह भी योगी सरकार की उपलब्धि माना जाएगा। लेकिन मुद्दे की बात यह है कि यदि हम पूरा लक्ष्य हासिल कर इतिहास रच सकते हैं तो आधे पर संतोष क्यों करें?

उत्तर प्रदेश में 80 लाख करोड़ रुपयों की बारिश होनी है। पूरे प्रदेश का कारोबार पाँच गुना बढ़ाने की योजना है। विकास के बादल यदि वाकई घिरने वाले हैं तो बरसने से पहले उनके उमड़ने-घुमड़ने की उमंग, उसकी मनमोहक महक आम आदमी तक न पहुँचे क्या यह संभव है? प्रदेश में पाँच वर्षों तक लगातार विकास की मूसलाधार वर्षा होने वाली है। यह सूचना विज्ञापनों के माध्यम से नहीं बल्कि इसका एहसास और रोमांच स्वतः ही उत्तर प्रदेश के एक-एक व्यक्ति तक पहुँचना चाहिए। सरकार के कहने से नहीं बल्कि उसके कामों के ज़रिए। तब इस लक्ष्य के संभव होने में देर नहीं लगेगी।

(लेखक, ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के चेयरमैन हैं।)