– डॉ. वेदप्रताप वैदिक
भाजपा नीति राजग सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया और अब उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ का नाम घोषित हुआ है। दोनों उम्मीदवारों को मंत्री और राज्यपाल रहने का अनुभव है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इन दोनों को इन सर्वोच्च पदों के लिए चुनते हुए भाजपा नेताओं ने किस बात का ध्यान रखा है? वह बात है वंचितों के सम्मान और वोट बैंक की। एक उम्मीदवार देश के समस्त आदिवासियों को भाजपा से जोड़ेगा और दूसरा समस्त पिछड़ों को। यह देश के आदिवासियों और पिछड़ी जातियों में यह भाव भी भरेगा कि वे लोग चाहे सदियों से दबे-पिसे रहे लेकिन यदि उनके दो व्यक्ति भारत के सर्वोच्च पदों पर पहुंच सकते हैं तो वे भी जीवन में आगे क्यों नहीं बढ़ सकते?
किसान पुत्र धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने की घटना देश के किसानों में नई उमंग जगाए बिना नहीं रहेगी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के आदिवासियों को भाजपा की तरफ खींचने में और ममता बनर्जी के वोट बैंक में सेंध लगाने में ये दोनों पद कोई न कोई भूमिका जरूर निभाएंगे। जगदीप धनखड़ की उपस्थिति का लाभ भाजपा को राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी मिलेगा। धनखड़ उपराष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा के सभापति भी होंगे। यह शायद पहला संयोग होगा कि लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति धनखड़ एक ही राज्य राजस्थान के होंगे। यह तथ्य राजस्थान की कांग्रेस सरकार के लिए चुनौती भी बन सकता है।
धनखड़ को विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री रहने का अनुभव भी है। वे जनता पार्टी और कांग्रेस में भी रह चुके है। उन्हें उप राष्ट्रपति पद पर भाजपा बिठा रही है, इससे यह सिद्ध होता है कि भाजपा अपने दरवाजे बड़े कर रही है। वे यदि अपनी विनम्रता के लिए जाने जाते हैं तो उनकी स्पष्टवादिता भी सर्वज्ञात है। उनके जितने दो-टूक राज्यपाल देश में कितने हुए हैं? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जितनी खुली खिंचाई धनखड़ ने की है, क्या कोई अन्य राज्यपाल किसी मुख्यमंत्री की कर पाया है? इसीलिए उन्हें ‘जनता का राज्यपाल’ कहा जाता है।
पिछले साल की बात है। धनखड़ जी ने मेरे खातिर अपने राजभवन में प्रीति भोज आयोजित किया तो मैंने अपने कोलकाता के सभी खास मित्रों को आमंत्रित किया। उसमें भाजपा, संघ के अलावा कांग्रेस, ममता के तृणमूल के लोग और कुछ पत्रकार भी थे। उन्हें देखकर राज्यपाल ने कुछ लोगों से कहा कि आप लोगों से मैं बहुत नाराज हूं लेकिन आप इनके मित्र हैं, इसलिए आपका विशेष स्वागत है। कौन कहेगा, ऐसी दो-टूक बात?
धनखड़ राजस्थान के किसान परिवार के बेटे हैं लेकिन उन्होंने अपनी योग्यता के बल पर अपनी वकालत की धाक सर्वोच्च न्यायालय तक में जमा रखी थी। पश्चिम बंगाल में इस बार भाजपा विधायकों की संख्या तीन से बढ़कर 71 हो गई। इसक बड़ा श्रेय जगदीप धनखड़ को भी है। मुझे विश्वास है कि अब राज्यसभा का सदन जरा बेहतर और अनुशासित ढंग से काम करेगा। धनखड़ की जीत तो सुनिश्चित है ही, उनके सदव्यवहार का असर हमारे विपक्ष पर भी देखने को मिलेगा।
(लेखक, ख्यातिलब्ध पत्रकार और स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)