Friday, November 22"खबर जो असर करे"

मप्र में महाकाल लोक के बाद सलकनपुर का देवी लोक बनेगा श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्रः मुख्यमंत्री

– नर्मदा मैया के पास विंध्याचल पर्वत पर विराजी माता विजयासन देवी के साथ होंगे माता के सभी रूपों के दर्शन

भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि मध्यप्रदेश (madhya pradesh) की पवित्र धरती (holy land) पर सदैव माँ की कृपा रही है। उज्जैन में भगवान शिव (Lord Shiva) के आशीर्वाद से महाकाल लोक (Mahakal Lok) विकसित हुआ। अब सीहोर जिले के सलकनपुर में देवी लोक (Devi Lok in Salkanpur) का निर्माण किया जाएगा, इसके लिए आगामी 31 मई को भूमिपूजन एवं शिला पूजन कार्यक्रम होने जा रहा है। देवी लोक के निर्माण में जन-जन का योगदान हो, इस उद्देश्य से ग्रामों से ईंट/शिला संकलन का कार्य प्रारंभ हो रहा है, जो माँ के चरणों में अर्पित की जाएंगी। श्रद्धालुओं का यह उत्साह और देवी लोक के निर्माण के लिए बना वातावरण मैया की कृपा से ही संभव हुआ है।

मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास में ग्राम और नगर स्तरीय आयोजन समितियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने देवी लोक महोत्सव के पूर्व ग्रामों से शिलाएं एकत्र करने के लिए रथ यात्रा रवाना की। एकत्र शिलाओं का उपयोग देवी लोक के निर्माण के लिए किया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने सिर पर देवी जी की चरण पादुका रखकर रथ यात्रा के वाहन के लिए सौंपी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह चौहान ने भी चरण पादुकाएं यात्रा के लिए प्रदान की। मुख्यमंत्री ने देवी लोक महोत्सव की डीपी और पोस्टर का अनावरण भी किया। एक लघु फिल्म के माध्यम से देवी लोक निर्माण के प्रकल्प का विवरण दिया गया।

अनेक सुविधाओं से युक्त होगा सलकनपुर का देवी लोक
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में सलकनपुर में निर्मित होने वाले देवी लोक का धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्व रहेगा। राजधानी भोपाल से नजदीक होने के कारण इस प्रमुख आराधना स्थल में पहुंचने वालों की संख्या लाखों में होती है। अनेक जिलों से श्रद्धालु पद यात्रा करते हुए प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण स्थान सलकनपुर पहुंचते हैं। यहां अनेक पर्यटक सुविधाएं विकसित की गई हैं। देवी लोक के निर्माण से इन सुविधाओं में वृद्धि होगी और श्रद्धालु मैया जी के दर्शन के साथ ही विभिन्न सुविधाओं का उपयोग करते हुए यहां कुछ समय व्यतीत कर सकेंगे।

इस आस्था केन्द्र तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का मार्ग, सड़क मार्ग, रोप-वे आदि उपलब्ध है। देवी लोक के निर्माण के पश्चात श्रद्धालुओं के निवास, खान-पान से जुड़ी सुविधाओं में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि सिद्ध क्षेत्र सलकनपुर में मूल मंदिर यथावत रहेगा। मैया के नवरूप भी रहेंगे। यही नहीं 64 योगिनी के निर्माण, विभिन्न दुकानों के निर्माण और अन्य व्यवस्थाओं के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ेगा।

शिला एकत्रीकरण, चुनरी यात्राएं, महिला और पुरुषों की भजन स्पर्धा
मुख्यमंत्री चौहान ने देवी लोक महोत्सव के लिए ग्राम और नगर स्तरीय कार्यक्रमों के अंतर्गत 28, 29 एवं 30 मई को होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा की जानकारी भी दी। देवी लोक महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 31 मई के पूर्व 28 मई को सभी ग्रामों में शिला एवं चुनरी यात्रा निकाली जाएंगी। ‘मेरी घर की मिट्टी माँ के चरणों में अर्पित’ करने और प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रत्येक घर से ईंट, शिला के संकलन का कार्य होगा।

दिनांक 29 मई को रंगोली प्रतियोगिता रहेगी। इसी दिन माता के श्रंगार के लिए भी प्रतियोगिता होगी। महिला एवं पुरुष भजन मंडल भजनों की प्रस्तुति देंगे। प्रथम आने वाले प्रतिभागियों को एक लाख 51 हजार, द्वितीय आने वाले प्रतिभागियों को एक लाख रूपए एवं तृतीय स्थान पर आने वाले प्रतिभागियों 51 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। महिलाओं के लिए भजन प्रतियोगिता 29 मई और पुरुषों के लिए 30 मई को होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 30 मई के कार्यक्रम में नगर स्तरीय शिला और चुनरी यात्रा के साथ ही यात्रा मार्ग में अलग-अलग समाज और संस्थाएं स्वागत करेंगे। मुख्य कार्यक्रम सलकनपुर में 31 मई को होगा। इसके अंतर्गत भूमिपूजन एवं शिला पूजन के साथ धर्मगुरूओं तथा कथावाचकों का सम्मान किया जाएगा। वैदिक रीति से स्वस्ति गान और मंत्रोच्चार भी होगा। आतिशबाजी और भजनों की प्रस्तुति के साथ माता जी की चुनरी, शिला, कलश यात्रा का स्वागत होगा। रेहटी नगर समिति के सौजन्य से गरबा नृत्य की प्रस्तुति भी होगी। उन्होंने कार्यक्रमों को अद्भुत स्वरूप देने के लिए आयोजन समितियों से सक्रिय भूमिका की अपेक्षा की।

सांसद रमाकांत भार्गव ने कहा कि 17 से 28 मई तक चरण पादुकाओं के पूजन और उन्हें ग्राम-ग्राम ले जाने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। ग्रामों के मंदिर से पवित्र मिट्टी भी 31 मई के मुख्य कार्यक्रम के लिए समर्पित की जाएगी। इसके साथ ही चुनरियां भी प्रदान की जाएंगी। ग्रामों में चौपाल में इसके लिए आयोजन समितियों द्वारा जन-जन की भागीदारी पर चर्चा कर आवश्यक तैयारी भी की जाए।