– डॉ. रमेश ठाकुर
‘मोहल्ला क्लीनिक’ योजना पर लगे फर्जीवाड़े के आरोप ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की छवि पर एक बार फिर बड़ा प्रहार किया है। मोहल्ला क्लीनिक उनकी ऐसी योजना रही है जिसे उन्होंने अभी तक अपने चुनावी जीत वाले मंत्र के तौर पर इस्तेमाल किया। इसलिए अन्य योजनाओं के मुकाबले उनकी ये सबसे अग्रणी योजना रही है। इसे उन्होंने चुनावी ‘मॉडल’ के रूप में प्रचारित किया और उसका नाम लेकर लोगों से वोट भी मांगे। लेकिन अब इसमें भी भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है। 2023-24 के लिए दिल्ली सरकार ने 80 हजार करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया था जिसमें मोहल्ला क्लीनिक के लिए करीब एक तिहाई बजट रखा। पर, इस भारी-भरकम धनराशि की ऐसी बंदरबांट होगी, इसकी दिल्ली वासियों ने कल्पना तक नहीं की होगी।
अन्य राज्यों के मुकाबले दिल्ली में टैक्स देने वालों की संख्या कहीं अधिक है। लेकिन उन्हें क्या पता उनके टैक्स के पैसों पर यूं डाका डाला जाएगा। आरोप निश्चित रूप से बेहद गंभीर हैं। हालांकि, मोहल्ला क्लीनिक में गड़बड़झाला है, इसकी भनक खुद केजरीवाल हो चुकी थी, तभी उन्होंने पिछले वर्ष अगस्त में इसकी जांच के आदेश दिए थे। जांच में पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी टेस्ट में जमकर फर्जीवाड़ा पाया लेकिन ये रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें न देकर सीधे उप-राज्यपाल को थमा दी। नतीजतन, केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंत्रणा के बाद एलजी ने बिना देर किए तुरंत सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। जांच की परतें जब एक-एक कर खुलेंगी तो कई बेनकाब होंगे। हालांकि, मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पल्ला झाल लिया। लेकिन इतनी आसानी से वह भी नहीं बच पाएंगे। मोहल्ला क्लीनिक में भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद दिल्ली के लोग बस यही कह रहे हैं कि जब आरोप साबित हो जाएं तो स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को ऐसी कठोर सजा मिले जो सभी के लिए नजीर हो।
चुनावी फायदे के तौर पर देखें तो ‘आम आदमी पार्टी’ ने ‘मोहल्ला क्लीनिक’ को कभी योजना नहीं माना, उन्होंने हमेशा चुनावी ‘मॉडल’ के रूप में इसे प्रस्तुत किया। दरअसल ये योजना उनके लिए अप्रत्याशित ‘वोटबैंक’ रही जिसके जरिए आम आदमी पार्टी की चुनावी नैया पार हुई। पर, अब ये चुनावी नौका समुद्र के बीच मंझधार में फंसती दिखने लगी है। निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव से पहले चिकित्सा विभाग में भ्रष्टाचार के ये आरोप आम आदमी पार्टी की विश्वसनीयता पर गहरा चोट करेंगे। भाजपा के अलावा कांग्रेस भी हमलावर हो जाएगी। इंडी गठबंधन को भी तगड़ा धक्का लग सकता है। विरोधी दल जानते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए मोहल्ला क्लीनिक योजना अरविंद केजरीवाल सरकार की प्रमुख पहल में से एक है। जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगने का मतलब है विपक्ष को बैठे-बिठाए बड़ा मुद्दा हाथ लगना। भाजपा अब केजरीवाल की रही-सही इमेज को डेमेज करने में शायद ही कसर छोड़े। आरोप लगने के बाद दिल्ली में भाजपा की समूची टीम आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो गई है। चुनाव के ऐन वक्त लगा ये झटका शायद ही केजरीवाल को जल्द उबरने दे।
मोहल्ला क्लीनिक पर भ्रष्टाचार का जो आरोप लगा है, उसकी पृष्टभूमि पर गौर करें तो दिल्ली विजिलेंस डिपार्टमेंट ने जब अपनी प्रारंभिक जांच की और निरीक्षण के लिए राजधानी में बने मोहल्ला क्लीनिक पहुंचे तो किसी भी क्लीनिक में उन्हें कोई डॉक्टर नहीं मिला। जो मिले, वो चिकित्सक नहीं बल्कि चतुर्थ श्रेणी स्टॉफ थे। कई जगहों पर तो अनुभवहीन स्टाफ मरीजों को दवा और टेस्ट लिखते दिखाई दिए। जब उनसे पूछा गया तो वो भाग खड़े हुए। दरअसल, ये सब दिल्ली सरकार की नाक के नीचे हुआ। गडबड़झाले की खबर जानते हुए भी दिल्ली सरकार अनजान बनी रही।
बहरहाल, योजना के कमजोर पड़ने का एक वाजिब कारण ये भी है कि जब से निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन भ्रष्टाचार में फंसकर जेल गए हैं, तभी से दिल्ली का स्वास्थ्य विभाग रामभरोसे हो गया। विभाग से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी बेलगाम हुए, भ्रष्टाचारी दीमक के कीड़े उन्होंने ही सबसे पहले इस योजना में लाकर छोड़े। बीते करीब दो-ढाई वर्षों से आम आदमी पार्टी किसी न किसी पचड़े में फंसती ही रही है। उनके प्रमुख नेता इस वक्त जेलों में हैं। केजरीवाल पर भी ईडी की गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। ईडी के बार-बार बुलावे पर नहीं पहुंच रहे। अब ये नई आफत और उनके गले पड़ गई। इसमें भी उनका नाम आना स्वाभाविक है। कुल मिलाकर लोक व्यवस्था से दिल्ली सरकार की पकड़ कमजोर हो गई है। विभागों में आनन-फानन में लगाए अनुभवहीन मंत्री बिगड़ी व्यवस्था को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए सभी क्षेत्र भ्रष्टाचार की दलदल में समाते जा रहे हैं।
एक वक्त ऐसा भी था जब ‘मोहल्ला क्लीनिक’ की विदेशों में भी चर्चा हुई। अग्रणी मेडिकल जर्नल, द लैंसेट ने भी अपने संपादकीय कॉलम में टिप्पणी की थी कि दिल्ली मोहल्ला क्लीनिक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित आबादी को सफलतापूर्वक सेवा देता है। उस रिपोर्ट को भी केजरीवाल ने बीते विधानसभा चुनाव में भुनाया था। आरंभ में निपुण चिकित्सक इस योजना को आगे बढ़ा रहे थे, बाद में उन्होंने भी किनारा कर लिया। नौबत ऐसी है कई मोहल्ला क्लीनिक में स्टॉफ के लोग ताश के पत्ते खेलते मिलते हैं। कई जगहों पर कुछ अप्रिय घटनाएं भी हुईं। पूर्वी दिल्ली के एक क्लीनिक में तो महिला स्टॉफ के साथ छेड़छाड़ की घटना भी घटी। कुल मिलाकर केजरीवाल के इस चुनावी जीत वाले ‘मंत्र’ या ‘मॉडल’ पर लगे आरोप उन्हें सियासी रूप से परेशान जरूर करेंगे।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)