Friday, November 22"खबर जो असर करे"

राजनीति में आध्यामित्कता व नैतिकता न होने से मूल्यों में गिरावट: राजगोपाल पीव्ही

मुरैना। चम्बल घाटी में शांति के सुधारों के तहत 1960 से लेकर अभी तक जो प्रयास हुये उससे प्रत्यक्ष हिंसा यानि की बंदूक की हिंसा लगभग समाप्त हो गई, लेकिन अप्रत्यक्ष हिंसा के तहत शोषण, अन्याय, अत्याचार, दमन आज भी जारी है। इससे गरीब व कमजोर को पलायन करना पड़ रहा है, उनसे जमीन छीनी जा रही है। इस क्षेत्र में स्थाई शांति के लिये युवाओं का प्रशिक्षण निरंतर होना चाहिए। वहीं भूमि सुधार के काम सभी लोग मिलकर करें। यह विचार गांधीवादी राजगोपाल पीव्ही ने पत्रकारों से चर्चा करते हुये व्यक्त किये। अभी हाल ही में जापान के निवानो शांति पुरस्कार से राजगोपाल पीव्ही को टोक्यो में सम्मानित किया गया। इस सम्मान के बाद वह मुरैना आये हुये थे। चम्बल के समाजसेवियों द्वारा रेलवे स्टेशन पर आत्मीय स्वागत किया गया। रेस्ट हाउस पर भी शहर के गणमान्य नागरिकों व राजनीतिज्ञों ने भी इस पुरस्कार के लिये बधाई देते हुये स्वागत किया। पत्रकारों से चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि चम्बल में काम करने के कारण ही उन्हें यह पुरस्कार मिला है। यहां काम का वातावरण और जनता से मिले प्यार के कारण ही वह इस ऊंचाई पर पहुंचे।

अंचल में अप्रत्यक्ष हिंसा को समाप्त करने तथा स्वाबलंबी समाज की स्थापना को कार्य करने के लिये अत्यधिक आवश्यकता है। इसके लिये भूमि सुधार के कार्य तेजी से होने चाहिए। स्थाई रोजगार की व्यवस्था की अत्यधिक आवश्यकता है। श्री राजगोपाल ने एक प्रश्न के जबाव में बताया कि 2006 के आदिवासी जल जंगल जमीन आंदोलन की सफलता में वन अधिकार अधिनियम लागू हुआ, लेकिन इसका पालन ठीक नहीं हुआ। इसे ईमानदारी से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत देश में गांधी के सपनों को साकार करने के लिये मूल्यों पर आधारित राजनीति होनी चाहिए। आज की राजनीति में आध्यामित्कता व नैतिकता न होने के कारण मूल्यों में गिरावट आ रही है। यह देश के लिये खतरनाक है। राजनीतिज्ञों तथा सामाजिक लोगोंं को इसमें सुधार करना पड़ेगा, क्येांकि देश बहुत जरूरी है। समाज को व्यवस्थित करने की कलां राजनीति है, लेकिन वर्तमान की राजनैतिक गतिविधि से समाज विखर रहा है। वहीं लोकतंत्र भी मजबूत नहीं हो पा रहा है।

आज अहिंसक अर्थ व्यवस्था की आवश्यकता –
देश के जन-जन को समान अर्थ व्यवस्था पर आना चाहिए। आज देश की 70 प्रतिशत सम्पत्ति एक प्रतिशत लोगों के हाथ में है। शेष के पास 30 प्रतिशत सम्पत्ति है। इस कारण लोगोंं में असमानता है। सम्पत्ति के कारण कुछ समाज हिंसक हो जाते हैं क्योंकि दैनिक मजदूरी वाले लोग सुरक्षित नहीं है। अर्थ व्यवस्था उनके पक्ष में काम नहीं करती। इसलिये आज हिंसा उत्पन्न करने वाली अर्थ व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता है। श्री राजगोपाल ने कहा कि आदिवासी मछुआरों, झुग्गी झोपडिय़ों में काम करने वाले लोगों को असमान अर्थ व्यवस्था दु:ख दे रही है। इसके लिये स्थाई रोजगार की महती आवश्यकता है।

केन्द्र सरकार पर लापरवाही का लगाया आरोप –
निवानो शांति पुरस्कार से सम्मानित राजगोपाल पीव्ही ने वर्तमान केन्द्र सरकार पर जल जंगल जमीन तथा वन अधिकार अधिनियम का पालन करने में लापरवाही का आरोप लगाते हुये कहा कि 2012 में विशाल पैदल मार्च के तहत आगरा में केन्द्र सरकार के साथ अनुबंध हुआ था। इसे आगरा एग्रीमेंट का नाम दिया गया । इसके तहत शोषित पीडि़त वर्ग के लिये 10 मांगें, जल जंगल जमीन से संबंधित की गईं थीं। इस एग्रीमेंट को अनदेखा किया जा रहा है। वर्तमान की केन्द्र सरकार आगरा एग्रीमेंट को ईमानदारी से लागू करे तो बड़ा परिवर्तन देश में आ सकता है। श्री राजगोपाल ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुये कहा कि इसमें हिंसा, असमानता, गरीबी उन्मूलन तथा पर्यावरण सुधार को 2030 तक किया जाना है। सरकार गंभीरता व ईमानदारी से क्रांतिकारी कदम उठाते हुये कार्य करे तो यह संभव हो सकता है।