– डॉ. निवेदिता शर्मा
दुनिया भर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पहचान देने एवं अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनकर उभरे हैं, मगर यह महिलाओं के असम्मान का भी एक बड़ा कारण बने हैं। तकनीकी का उपयोग आप किस तरह से करते हैं, यह आपके विवेक पर निर्भर है। ऐसे में असामाजिक तत्व इसी सोशल मीडिया की सुविधा को किसी को बदनाम करने, फेक न्यूज के माध्यम से समाज में असंतोष पैदा करने तथा अन्य प्रकार के नकारात्मक कार्यों के लिए करते हुए दिखाई देते हैं। इसका विरोध विश्व के अनेक देशों में हो रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी लम्बे समय से जागरूक नागरिकों द्वारा यह मांग की जा रही थी कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी की मनमानी पर नकेल कसने के लिए सरकार अतिशीघ्र कदम उठाए। अब इसमें अच्छी बात है कि केंद्र की मोदी सरकार इससे संबंधित शीघ्र निर्णय लेने जा रही है।
केंद्र की यह पहल वास्तव में उन अपराधियों का हौसला पस्त करेगी, जोकि ई-अपराध करने के बाद बच निकलते हैं। ऐसे सभी अपराधियों को आगे चिह्नित करना और पकड़ना आसान हो जाएगा। सरकार जो टेलीकम्युनिकेशन बिल 2022 ला रही है, इसका उद्देश्य यही है कि आने वाले समय में कानूनी ढांचे को मजबूत किया जा सके। साइबर सिक्योरिटी, राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य खतरों से निपटने में आसानी हो। टेलीकॉम सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले नामों और उनकी परिभाषाओं को नए टेलीकॉम कानून के हिसाब से फिर से तैयार किया जाएगा। इसलिए अंग्रेजों के जमाने के कानून इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885, इंडियन वायरलेस टेलीग्राफ एक्ट 1933, द टेलीग्राफ वायर्स एक्ट 1950 को समाप्त कर सरकार इन तीनों की जगह एक कानून ले आएगी। इसी कानून के लिए टेलीकॉम विभाग की तरफ से टेलीकम्युनिकेशन बिल, 2022 का मसौदा जारी किया गया है। इसके ड्राफ्ट से स्पष्ट है कि इसमें टेलीकम्युनिकेश सेवाओं में ब्रॉडकास्ट, ई-मेल, वायसमेल, वीडियो और डेटा कम्युनिकेशन, ब्रॉडबैंड सेवाएं, सेटेलाइट कम्युनिकेशन, इंटरनेट आधारित कम्युनिकेशन सेवाएं, मैरीटाइम कनेक्टिविटी, मशीन टू मशीन कम्युनिकेशन, ओवर-द-टॉप यानी ओटीटी कम्युनिकेश सेवाएं शामिल की गई हैं।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि नए टेलीकॉम बिल में यूजर्स के प्रोटेक्शन का पूरी तरह ध्यान रखा गया है। इसकी मदद से साइबर क्राइम को रोका जा सकेगा। इसका ज्यादा फोकस लोगों की प्रोटेक्शन पर ही होगा। यहां तक की अनवांटेड कॉल और मैसेज से यूजर्स को परेशान होने से रोकने के लिए एक लीगल फ्रेमवर्क भी तैयार किया गया है। इतना ही नहीं तो इस बिल में दूरसंचार सेवा के हिस्से के रूप में ओटीटी को भी शामिल किया गया है। अब तक तमाम तरह के सोशल मीडिया ऐप और ओटीटी प्लेटफॉम पर मनमाने कंटेंट आसानी से चलाए जा रहे थे, लेकिन अब सरकार ने इसे काबू करने की पूरी तैयारी कर ली है।
यहां समझने की बात यह है कि देश में साइबर अपराध के मामले बढ़ रहे हैं। लगातार इस संबंध में आ रही रिपोर्ट्स आज यह बता रही हैं कि दुनिया में भारत ऐसा देश हैं जहां सबसे अधिक साइबर अपराध के प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं। सीईआरटी (इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) के आंकड़ों के अनुसार 2022 में भारत में सबसे अधिक साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए गए हैं। सीईआरटी साइबर सुरक्षा हमलों से निपटने के लिए केन्द्र सरकार की एक नोडल एजेंसी है, जो सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है। 2022 के पहले दो महीनों में 2,12,285 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि इसकी तुलना में साल 2018 में 2,8,456 साल 2019 में 3,94,499 घटनाएं 2020 में 11,58,208 और 2021 में 14,2,809 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन तीन बर्षों में साइबर क्राइम के मामलों में लगभग सात गुना वृद्धि देखी गई है।
इसके विस्तार को भी देखें-साल 2019 में अपराध दर 3.3 से बढ़कर 2020 में 3.7 हो गई। 2020 में धोखाधड़ी के 60.2 प्रतिशत मामले तकरीबन (50,035 मामलों में से 30,142) दर्ज किए गए। जबकि 6.6 प्रतिशत (3,293) मामले यौन शोषण के पाए गए। इसके अलावा 4.9 प्रतिशत (2,440) केस जबरन वसूली के जारी किए गए थे। ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के 4047 मामले, ओटीपी जालसाजी के 1093 केस, डेबिट क्रेडिट कार्ड से ठगी की 1194 घटनाएं और एटीएम से सम्बन्धित 2160 मामले दर्ज किए गए। सोशल मीडिया पर फर्जी सूचना के 578 केस, ऑनलाइन परेशान करने या महिलाओं और बच्चों को साइबर धमकी से जुड़े 972 मामले, फर्जी प्रोफाइल के 149 और आंकड़ों की चोरी के 98 मामले जारी किए गए थे।
हाल ही में मोहाली के निजी विश्वविद्यालय से प्राइवेट वीडियोज सामने आने के बाद देश भर में इसका विरोध होते हुए देखा गया। यहां यदि पिछले कुछ समय से महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध की बात करें तो वर्ष 2021 में महिलाओं से जुड़े 2597 साइबर अपराध के मामले पंजीकृत हुए। गत पांच सालों में ऐसे अपराधों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी होकर यह 8396 की बड़ी संख्या के साथ दर्ज हुए थे । पिछले वर्ष साइबर अपराधों का आंकड़ा 2597 रहा था। कम से कम नए नियम और कानून आने के बाद यह उम्मीद जगेगी कि अपराधी आसानी से पकड़े जा सकेंगे। उनकी पहचान निश्चित हो सकेगी और उनके लिए अपने को बचाना आसान नहीं होगा।
इसके साथ इन नियमों का एक लाभ यह भी है कि व्हाट्स ऐप, टेलीग्राम जैसे ऐप के साथ सभी ओटीटी को अपनी सेवा देने के लिए लाइसेंस लेना होगा। इस प्रकार की सभी सेवाएं टेलीकॉम सेवा के दायरे में आ जाएंगी। बिना सरकारी इजाजत के जैमर जैसे उपकरण के इस्तेमाल पर जुर्माना लिया जाएगा। राष्ट्रहित या देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सरकार को सभी संचार सेवा को सीमित समय के लिए रोकने का अधिकार होगा और सार्वजनिक हित में सरकार किसी भी मैसेज या टेक्स्ट को देख सकेगी । वहीं, केंद्र के साथ राज्य सरकार और सरकारी विभागों को इस प्रकार की कार्रवाई का अधिकार होगा।
इसमें यूजर्स के कर्तव्यों का भी जिक्र किया गया है। यूजर्स से कहा गया है कि वे किसी भी प्रकार की गलत जानकारी या दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले काम न करे। भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 की मदद से केंद्र का लक्ष्य स्पेक्ट्रम के आवंटन के अलावा दूरसंचार सेवाओं, दूरसंचार नेटवर्क और बुनियादी ढांचे के प्रावधान, विकास, विस्तार और संचालन को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानूनों को संशोधित करना है। सरकार की कोशिश है कि रेग्युलेशन के स्तर पर लगातार सुधार होता हुआ प्रत्यक्ष दिखाई दे।
इसके साथ ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जिस प्रकार से महिलाओं को लेकर गंदगी परोस दी जाती है, जिसमें की कई बार परिवार के साथ ऐसे दृश्य टीवी स्क्रीन पर अचानक से आ जाने पर देखना असहज हो जाता है, कम से कम नए नियमों के आने से यह उम्मीद तो जगती है कि आगे इस प्रकार के दृश्यों को प्रभावी तरीके से रोका जा सकेगा। कुल मिलाकर केंद्र की मोदी सरकार की यह पहल महिलाओं एवं सपूर्ण भारतीय समाज व्यवस्था के हित में उठाया गया सही कदम दिखाई दे रहा है, क्योंकि इसमें एक ओर जहां पूरी तरह से निगरानी का तंत्र विकसित किया गया है तो दूसरी ओर इसमें उपभोक्ताओं के हितों का भी पूरी तरह से ध्यान रखा गया है।
(लेखिका, पर्यावरण, बाल एवं महिला विषय की जानकार हैं) ।