Friday, November 22"खबर जो असर करे"

सीयूईटी : शिक्षा में समान अवसर

– डॉ. सीमा सिंह

बिहार के एक गांव में कोरियन भाषा में अपना भविष्य देखने वाला युवा यह जानता ही नहीं था की जेएनयू के अलावा भी किसी और विश्वविद्यालय में इसकी डिग्री स्तर पर पढ़ाई होती है। जेएनयू में एडमिशन नहीं हो पाने के कारण उसे अपना सपना छोड़ किसी और कोर्स में दाखिला लेना पड़ा। यह किसी एक युवा के साथ नहीं घटता बल्कि अधिकतर इसी समस्या से जूझ रहे हैं। पहली बार देश में सीयूईटी ने सभी युवाओं को ऐसा मंच दिया जहां 44 केंद्रीय विश्वविद्यालय में मौजूद सैकड़ों कोर्सेस को देखा जा सकता है। इनमें से अपने मतलब के कोर्स का चयन कर युवा अपने बेहतर भविष्य के आगे का रास्ता तय कर सकता है ।

देश का युवा बेहतर भविष्य की चाह में अपने पसंद के कोर्स में एडमिशन लेने के लिए अक्सर अन्य राज्यों का रुख करता है। पुरानी चयन प्रक्रिया जो कट ऑफ के माध्यम से होती थी उसके लिए रोड़ा सिद्ध होती है, क्योंकि उसका बोर्ड अन्य बोर्ड की तरह उतने नंबर नहीं देता है। हर स्टेट बोर्ड में नंबर की प्रक्रिया भिन्न होती है। कुछ बोर्ड अपनी चेकिंग ऐसी रखते हैं जिससे बच्चों को उतने नंबर प्राप्त नहीं हो पाते जबकि कुछ बच्चों को खुलकर नंबर देने के पक्षधर होते है। इस बार कई विश्वविद्यालयों ने सीयूईटी (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) के माध्यम से एडमिशन लिया। सीयूईटी में अभी तक 79 विश्वविद्यालय भाग ले चुके हैं, जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों की संख्या 44 है, राज्य बोर्ड से अभी तक 12 विश्वविद्यालय इससे जुड़ चुके हैं, डीम्ड विश्वविद्यालय की संख्या 13 और 21 प्राइवेट यूनिवर्सिटी हिस्सा बन चुके हैं।

इस चयन प्रक्रिया के शुरुआती नतीजे अब देखे जा सकते है। दिल्ली विश्वविद्यालय को ही देख लीजिये यहां सत्तर हजार सीट पर लाखों संख्या में फॉर्म भरे जाते रहे हैं। पहली बार विश्वविद्यालय में सीयूईटी के माध्यम से प्रक्रिया सम्पन्न हुई है, इसके नतीजे भी चौकाने वाले मिले है। कई बार देखने में आया है की एक ही राज्य के बच्चे का किसी-किसी कोर्स में बहुतायत, अन्य राज्य के विद्यार्थियों को कम अंक प्राप्त होने के कारण कट ऑफ में नाम नहीं आता था। विश्वविद्यालय में लम्बे समय से यह कवायद चल रही थी की एंट्रेंस के माध्यम से बच्चों का चयन हो।

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार इस बार केरल बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन के छात्रों की संख्या, जो गत वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले उम्मीदवारों में दूसरी सबसे अधिक थी, कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) की शुरुआत के बाद इस प्रवेश सत्र में सातवें स्थान पर आ गई। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से देश भर में कई स्कूल संबद्ध हैं और इस कारण विभिन्न राज्यों के आवेदकों की संख्या इस वर्ष भी सबसे अधिक है जिसके बाद काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन का स्थान है।

सीट आवंटन के दूसरे राउंड के बाद उपलब्ध प्रवेश संबंधी आंकड़ों के अनुसार, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के राज्य शिक्षा बोर्डों के विद्यार्थियों की संख्या केरल बोर्ड के विद्यार्थियों से अधिक है। इस साल डीयू ने एक नई प्रवेश नीति आरंभ की है जिसके अंतर्गत स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्रों का प्रवेश सीयूईटी स्कोर के आधार पर किया जाता है। अब बोर्ड परीक्षा का स्कोर अर्हक अंक ही माना जाएगा और यह सुनिश्चित किया गया है कि “अंकों को बढ़ाने” के कारण अक्सर किसी विशेष बोर्ड के छात्रों द्वारा अधिकतर सीटें भरने संबंधी विसंगति उत्पन्न नहीं हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह कहते हैं कि- “सीयूईटी ने सभी को एक साझा मंच और समान अवसर प्रदान किया है, क्योंकि अलग-अलग बोर्डों के अपने नियम, विनियम और मूल्यांकन के तरीके हैं। हम इस असमानता को कम करना चाहते थे और सीयूईटी एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह एक समान मंच प्रदान करता है।

गत वर्ष, पहली दो कट-ऑफ लिस्ट के बाद हिंदू कॉलेज में बीए (विशेष) राजनीति विज्ञान में दाखिला लेने वाले 146 छात्रों में से 120 छात्र केरल बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन से थे। पहली लिस्ट में पाठ्यक्रम के लिए कट-ऑफ 100 फीसदी थी। वर्ष 2016 में, तमिलनाडु राज्य बोर्ड के छात्रों ने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में अधिकांश सीटों पर प्रवेश मिला था, जहां निर्धारित कट-ऑफ 98 फीसद थी। दिल्ली विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि, यह इस बात का कोई संकेत नहीं है कि किसी विशेष क्षेत्र के छात्रों को डीयू में प्रवेश नहीं मिल रहा है क्योंकि सीबीएसई के देश भर में संबद्ध स्कूल हैं। प्रवेश सत्र 2021-22 के अंत में, तत्कालीन कुलपति योगेश त्यागी ने यह अध्ययन करने के लिए नौ सदस्यीय पैनल का गठन किया था कि केरल बोर्ड के छात्रों को इतनी अधिक संख्या में प्रवेश किस कारण मिला। डीन ऑफ एडमिशन डीएस रावत की रिपोर्ट में यह पाया गया कि भारत में राज्य बोर्डों में मार्किंग स्कीम में अत्यधिक भिन्नता थी।

इतने कम समय में सीयूईटी के माध्यम से इतने विद्यार्थियों की चयन प्रक्रिया करा कर डीयू ने इतिहास रच दिया। डीयू ईसी मेम्बर प्रो. वीएस नेगी ने इसकी सफलता के लिए डीयू वीसी योगेश सिंह को बधाई देते हुए विद्यार्थियों का स्वागत किया। प्रोफेसर नेगी का मानना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय का इतने कम समय में देश भर के लाखों छात्रों को एक समान मापदंड पर लाकर मूल्यांकन करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारंभिक सत्र में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करना अपने आप में एक अप्रत्याशित सफलता है।

(लेखिका, दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।)