Thursday, November 21"खबर जो असर करे"

जनजाति संस्कृति एवं कला को संर‍क्षित रखने में कलाकारों का योगदान महत्वपूर्णः राष्ट्रपति

इंदौर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Draupadi Murmu) ने बुधवार शाम को इंदौर प्रवास के दौरान मृगनयनी एंपोरियम (Mrignayani Emporium) में बुनकरों द्वारा हाथकरघा पर तैयार की गई रेशम एवं कॉटन (silk and cotton) की चंदेरी, महेश्वरी साड़ियों को देखा। उन्होंने आदिवासी क्षेत्र के हस्तशिल्पी, बुनकरों एवं जनजाति कारीगरों के साथ चर्चा की और उनकी कला को सराहा। उन्होंने इन कलाकारों से चर्चा के दौरान कहा कि हमारी पुरानी संस्कृति (Old culture) एवं परम्परा को संजोकर एवं संरक्षित रखने की जरूरत है। यह कलाकार इसमें अच्छा योगदान दे रहे हैं। इन्हें प्रोत्साहन देने की जरूरत है, जिससे इन कलाकारों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।

राष्ट्रपति को इस मौके पर कलाकारों द्वारा अपने हाथों से निर्मित हस्तशिल्प भी भेंट किया गया। यह सभी कलाकार अपनी विधा में पारंगत हैं और राष्ट्रीय स्तर पर इनकी एक अलग ही पहचान है। यह सभी कलाकार राष्ट्रपति से मुलाकात को लेकर बहुत उत्साहित थे और उनसे मिलकर बहुत खुश हैं कि उन्हें देश के सर्वोच्च पद पर आसीन द्रौपदी मुर्मू से रूबरू होने का अवसर मिला। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तथा लघु उद्योग निगम के प्रबंध संचालक एवं सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति को इन कलाकारों ने अपने द्वारा निर्मित सामग्री भेंट की। राष्ट्रपति ने इन कलाकारों के आग्रह पर उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई।

धार जिले के कारीगर मुबारिक खत्री से चर्चा के दौरान राष्ट्रपति ने उनकी कला के बारे में जानकारी ली और पूछा कि वे कब से यह काम कर रहे हैं। इस पर मुबारिक खत्री ने बताया कि उनकी 11 पीढ़ियों से बाग प्रिंट का कार्य किया जा रहा है। वे अपनी इस कला को आने वाली पीढ़ियों को भी सिखा रहे हैं। उन्होंने कॉटन के कपड़े पर बाग प्रिंट कैसे किया जा सकता है, यह करके भी दिखाया और बताया कि अब बांस एवं सिल्क की साड़ियों पर भी बाग प्रिंट किया जाता है।

खरगोन जिले के महेश्वर के बुनकर अलाउद्दीन अंसारी ने राष्ट्रपति को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हथकरघा साड़ी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि नर्मदा नदी में दोपहर के समय सूर्य की जो किरणें पड़ती हैं और उनसे नदी में जो लहरें चमकती हैं, उन्हीं लहरों का प्रिंट हथकरघा साड़ियों की बॉर्डर पर उतारा जाता है। राष्ट्रपति इस कलाकारी से बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने पूछा कि वे यह काम कब से कर रहे हैं। तब अलाउद्दीन अंसारी ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी यह कार्य कर रहा है। वर्तमान समय में वे अपने इस कार्य से 300 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं, जिसमें 70 महिलाएं भी हैं।

वर्तमान में भोपाल निवासी एवं मूलत: डिंडोरी की निवासी गोंड भित्तिचित्र की कलाकार पद्मश्री दुर्गा बाई व्याम की कला को देखकर राष्ट्रपति बहुत प्रभावित हुईं और उसकी इस बात के लिए सराहना की कि वे संस्कृति एवं कला को जीवित रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिए कार्य कर रही हैं। दुर्गा बाई ने बताया कि वे बच्चों को इस कला को सिखा रही हैं और एक संस्था के माध्यम से अन्य लोगों को भी नि:शुल्क इस कला का प्रशिक्षण दे रही हैं।

झाबुआ जिले के कलाकार दंपत्ति पद्मश्री रमेश एवं शांति परमार द्वारा निर्मित गुड़ियों को देखकर राष्ट्रपति ने उनसे पूछा कि क्या यह गुड़िया मिट्टी से बनाई गई है। तब इन कलाकारों ने बताया कि उनके द्वारा कपास एवं कपड़े से आकर्षक गुड़ियों का निर्माण किया जाता है। वे अपनी इस कला को जीवित रखने के लिए अन्य लोगों को भी नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं। उन्होंने बताया कि बाजार, मेलों में वे जितनी गुड़िया लेकर जाते हैं, वे सभी बिक जाती हैं।

राष्ट्रपति ने मृगनयनी एंपोरियम में हथकरघा पर निर्मित साड़ियों को देखा और उनकी कलाकारी देखकर प्रसन्न हुईं। वहां कार्यरत महिला कर्मचारियों से उन्होंने साड़ियों के नाम एवं पैटर्न की जानकारी ली। इस पर उन्हें चंदेरी, महेश्वरी, कॉटन एवं सिल्क की साड़ियां दिखायी गईं और उनके बारे में विस्तार से बताया गया। राष्ट्रपति ने वहां की म‍हिला कर्मचारियों से अपनी पसंद की हल्के रंग की एक साड़ी उनके लिए चुनने का अनुरोध किया। जिस पर सरिता गव्हाड़े ने उन्हें हल्के पिंक रंग की महेश्वरी साड़ी पसंद कर दी। राष्ट्रपति ने इस साड़ी का काउंटर पर जाकर यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान भी किया। काउंटर के कर्मचारी कविता भिलवारे एवं विपुल सिंह द्वारा डिजिटल पेमेंट जमा कराया गया। राष्ट्रपति को महिला कर्मचारी अरुणा रापोतू, साधना शुक्ला, संगीता शुक्ला, मीना चौरसिया एवं वंदना कोठारी द्वारा साड़ियां एवं सिल्क के कपड़े दिखाये गये। राष्ट्रपति के मृगनयनी एम्पोरियम इंदौर में हस्तशिल्प कलाकारों से संवाद एवं उनकी कला के अवलोकन अवसर पर राष्ट्रपति को मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भी प्रदेश की ओर से चंदेरी साड़ी भेंट की।