– योगेश कुमार गोयल
स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री और पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का भारत के राजनीतिक एकीकरण में अविस्मरणीय योगदान है। 31अक्टूबर, 1875 को गुजरात में एक किसान परिवार में जन्मे सरदार पटेल ने देश की एकता को सदैव सर्वोपरि माना। इसीलिए उन्हें एकता की मिसाल माना जाता है। राष्ट्रीय एकता के प्रति उनकी निष्ठा आजादी के इतने वर्षों बाद भी पूरी तरह प्रासंगिक है। भारत को खण्ड-खण्ड करने की अंग्रेजों की साजिश को नाकाम करते हुए सरदार पटेल ने बड़ी कुशलता से देश की आजादी के बाद करीब 550 देशी रियासतों तथा रजवाड़ों का एकीकरण करते हुए अखण्ड भारत के निर्माण में सफलता हासिल की थी। सरदार पटेल भाई-भतीजावाद की राजनीति के सख्त खिलाफ थे और ईमानदारी के ऐसे पर्याय थे कि उनके देहांत के बाद जब उनकी सम्पत्ति के बारे में जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि उनकी निजी सम्पत्ति के नाम पर उनके पास कुछ नहीं था। वह जो भी कार्य करते थे, पूरी ईमानदारी, समर्पण, निष्ठा और हिम्मत के साथ पूरा किया करते थे।
राष्ट्रीय एकता की मिसाल रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देशवासियों के लिए अनेक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए। समय-समय पर उन्होंने अपने वक्तव्यों से लोगों को आलस्य त्यागने, मेहनत करने, ईश्वर तथा सत्य में विश्वास रखने, अन्याय का डटकर मुकाबला करने जैसे प्रेरक संदेश दिए और देश के लिए कुछ अलग हटकर कार्य करने को प्रेरित किया। वे कहा करते थे कि जो काम कल करना हैं, उसकी बातों में ही आज का काम बिगड़ जाएगा और आज के काम के बिना कल का काम नहीं होगा, इसलिए आज का काम कीजिए तो कल का काम अपने आप हो जाएगा। कल हमें कोई मदद देने वाला है, यदि यही सोचकर आज बैठे रहे तो आज भी बिगड़ जाएगा और कल तो बिगड़ेगा ही। कोशिश करना हमारा फर्ज है और अगर हम अपने फर्ज को ही पूरा न करें तो हम ईश्वर के गुनहगार बनते हैं। कर्म पूजा है लेकिन हास्य जीवन है और जो कोई भी अपना जीवन बहुत गंभीरता से लेता है, उसे एक तुच्छ जीवन के लिए तैयार रहना चाहिए। पुराना दुखड़ा रोना कायरों का काम है और हिसाब लगाकर मुकाबले की तैयारी करना बहादुरों का काम है। कठिन समय में कायर लोग बहाना ढूंढ़ते हैं जबकि बहादुर व्यक्ति रास्ता खोज लेते हैं। उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिए।
सरदार पटेल कहते थे कि बेकार मत बैठिये क्योंकि बेकार बैठने वाला अपना ही सत्यानाश कर डालता है। रात-दिन कार्य करने वाला अपनी इन्द्रियों को आसानी से वश में कर लेता है, इसलिए आलस्य छोड़िये। उनका कहना था कि अगर कोई चीज मुफ्त मिलती है तो उसकी कीमत कम हो जाती है जबकि परिश्रम से पाई हुई चीज की कीमत ठीक तरीके से लगाई जाती है। लोगों को मेहनत और कर्म करने के लिए प्रेरित करते हुए वह कहते थे कि यह सच है कि पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहने वाले नहीं लेकिन इससे भी बड़ा सच यह है कि किनारे पर ही खड़े रहने वाले लोग तैरना भी नहीं सीखते। अहिंसा का समर्थन करते हुए सरदार पटेल का कहना था कि कायरों की अहिंसा का कोई मूल्य नहीं है। जो तलवार चलाना जानते हुए भी तलवार को म्यान में रखता है, उसी की अहिंसा सच्ची अहिंसा होती है। वह कहते थे कि आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिए और अपने मजबूत हाथों से अन्याय का डटकर सामना कीजिए।
लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल सदैव कहते थे कि गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। उनका कहना था कि हमारा सिर कभी न झुकने वाला होना चाहिए। हमें केवल भगवान के आगे झुकना चाहिए, दूसरों के आगे नहीं। जो कोई भी सुख और दुख का समान रूप से स्वागत करता है, वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीवन जीता है। हमें सदैव ईश्वर और सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए। यहां तक कि अगर हम हजारों की दौलत भी गंवा दें और हमारा जीवन बलिदान हो जाए तो भी हमें मुस्कुराते रहना चाहिए। बहुत बोलने से कोई लाभ नहीं होता बल्कि हानि ही होती है। हमें गम खाना सीखना चाहिए और मान-अपमान सहन करने की आदत डालनी चाहिए।
सरदार पटेल को देश के छोटे से छोटे स्तर के व्यक्ति की भी कितनी चिंता थी, उसी को व्यक्त करते हुए उन्होंने एक बार कहा था कि उनकी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई भी व्यक्ति अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा न रहे। वह कहते थे कि हर इंसान सम्मान के योग्य है, जितना उसे ऊपर सम्मान चाहिए, उतना ही उसे नीचे गिरने का डर नहीं होना चाहिए। लौहपुरुष का कहना था कि आम का फल समय से पहले तोड़ोगे तो वह खट्टा ही लगेगा और दांत खट्टे हो जाएंगे लेकिन अगर उसे पकने देंगे तो वह अपने आप टूट जाएगा और अमृत के सामान लगेगा। एकीकृत भारत के निर्माता इस महान शख्सियत का दिल का दौरा पड़ने के कारण 15 दिसंबर, 1950 को निधन हो गया था। इसी दिन को प्रतिवर्ष ‘सरदार पटेल स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)