Friday, November 22"खबर जो असर करे"

कांग्रेस अब नई यात्रा की तैयारी में

– ऋतुपर्ण दवे

कांग्रेस ने 30 जनवरी को श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा का समापन कर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगली यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है। यह जुलाई में गुजरात के सोमनाथ से शुरू होगी और शिलांग में खत्म होगी। राहुल के नेतृत्व में पहली यात्रा पिछले साल 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी। इस यात्रा ने 145 दिन में 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से होकर करीब 4080 किलोमीटर की दूरी तय की। राहुल को केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को जानने समझने का मौका मिला। इसी दौरान गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव हुए। राहुल ने दोनों प्रदेशों के चुनाव से दूरी बनाकर रखी।

सोमनाथ-शिलांग यात्रा कितने दिन की होगी, कहां-कहां से गुजरेगी, अभी ज्यादा साफ नहीं है। कुछ समय बाद पूर्वोत्तर में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव होने हैं। यहां कांग्रेस के लिए वजूद बचाने और बढ़ाने की चुनौती है। बेशक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हैं लेकिन कांग्रेस के कमांडर राहुल हैं। वह पूर्वोत्तर में कैसा प्रभाव दिखा पाएंगे, यह देखना काफी दिलचस्प होगा। भारत में राजनीतिक यात्राओं का महत्व पहले कई मौकों पर दिख चुका है। देश में यूं तो स्वतंत्रता खातिर कई यादगार यात्राओं ने फिजा बदली। लेकिन मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर बीते तीन दशकों की यात्राएं अलग रहीं।

1990 में लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा सभी को याद है। गुजरात के सोमनाथ मंदिर से शुरू हुई आडवाणी की रथयात्रा भले ही अपने पड़ाव तक नहीं पहुंची पर इससे भाजपा को जबरदस्त ताकत मिली और राम मंदिर आन्दोलन उफान पर आ गया। आडवाणी ने दोबारा 2004 में फिर एक यात्रा निकाली और इंडिया शाइनिंग का नारा दिया। मुरली मनोहर जोशी की 1991 की यात्रा भी चर्चा में रही। ऐसी यात्राओं के शुरुआत का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को जाता है। उन्होंने 1983 में कन्याकुमारी से यात्रा शुरू की और छङ महीने बाद दिल्ली पहुंचे। लेकिन तब इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से इसका फायदा उन्हें नहीं मिला। 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मुंबई से कांग्रेस की सद्भावना यात्रा निकलवाई। यह तीन महीने बाद दिल्ली पहुंची। यह उतना प्रभाव नहीं दिखा पाई।

ऐसी यात्राओं के इतिहास में आंध्र प्रदेश के वाईएस राजशेखर रेड्डी की दक्षिण की झुलसाने वाली प्रचंड गर्मी में निकली यात्रा कैसे भुलाई जा सकती है। यह चुनाव से पहले शुरू हुई और साल भर बाद हुए चुनाव में जबरदस्त सफलता दिलाई। उनके बेटे वाईएस जगनमोहन रेड्डी की 2017 की यात्रा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनवा दिया। मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा भी चर्चा में रही। इसके बाद कांग्रेस की वापसी तो हुई लेकिन अंतर्कलह से बहुमत के बावजूद कैसे सत्ता से बेदखल हुई सबने देखा।

15 अगस्त, 2021 से 28 अगस्त, 2021 तक 14 दिन चली भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा ने भी 24 हजार किलोमीटर की दूरी तय की और जन-जन तक जन कल्याण एवं विकास के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता का संदेश पहुंचाया। राहुल की यात्रा तुषार गांधी, मेधा पाटकर, अमोल पालेकर, पूजा भट्ट, स्वरा भास्कर, आनंद पटवर्धन, रश्मि देसाई, ऋतु शिवपुरी, सुनिधि चौहान, उर्मिला मातोंडकर और कैप्टन बाना सिंह जैसे नामचीनों के जुड़ने से सुर्खियों में रही।

( लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)