Friday, September 20"खबर जो असर करे"

‘चित्रकूट, में बाघों का स्वागत है!’

– मुकुंद

भगवान श्रीराम की तपोभूमि ‘चित्रकूट’ बाघों के स्वागत के लिए जल्द तैयार होगी। दुनिया में सफेद शेरों की राजधानी के रूप में विख्यात मध्य प्रदेव के रीवा को इसी चित्रकूट जिले की सीमा मानिकपुर से कुछ दूर पर छूती है। मानिकपुर का ‘पाठा’ पानी के अभाव और दस्युओं के लिए कुख्यात रहा है। इनकी बर्बरता की वजह से उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के चित्रकूट के इसी ‘पाठा’ को संसार ‘मिनी चंबल’ भी कह चुका है। रीवा में साल 2016 में सफेद बाघों का दुनिया का पहला अभयारण्य आबाद हो चुका है। अब केंद्र सरकार ने रानीपुर टाइगर रिजर्व की घोषणा की है। यह इसी पाठा का अभिन्न हिस्सा होगा। अब रानीपुर वन्यजीव विहार बंदूकों की तड़तड़ाहट से नहीं, बाघों की दहाड़ से गूंजेगा। यह उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी पहल का नतीजा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गठित उत्तर प्रदेश राज्य वन्यजीव बोर्ड ने रानीपुर को प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की परियोजना को मंजूरी देते हुए आदिवासी बहुल गांव बहिलपुरवा में रेस्क्यू सेंटर बनाने की घोषणा की थी।

करीब 600 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र के रानीपुर वन्यजीव विहार के जंगल की देखरेख अब तक मीरजापुर का कैमूर वन्यजीव प्रभाग करता था। अब यहां की देखरेख चित्रकूट वन प्रभाग करेगा। टाइगर रिजर्व अधिसूचना जारी होने की पहली सूचना केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर दी। रानीपुर टाइगर रिजर्व भारत का 53 वां टाइगर रिजर्व है। प्रभागीय वनाधिकारी आरके दीक्षित खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि इस रिजर्व में तपोभूमि के पूरे जंगल चित्रकूट वन प्रभाग से समाहित हो गए हैं। प्रभागीय वनाधिकारी ही इस रिजर्व का उप निदेशक होगा। भूपेंद्र यादव ने इसे बाघ संरक्षण की दिशा में सार्थक पहल करार दिया है।

यहां सबसे महत्वपूर्ण यह है कि रानीपुर देश का एकमात्र रिजर्व है जिसमें एक भी बाघ का स्थाई निवास नहीं है। बावजूद इसके यह बाघों की आवाजाही का महत्वपूर्ण गलियारा है। यह मध्य प्रदेश के बाघों के लिए आदर्श आवाजाही और पड़ाव मार्ग है। रानीपुर वन्यजीव विहार की स्थापना 1977 में हुई थी। इसका मकसद स्थानीय स्तर पर विचरण वाली वन्यजीव आबादी को सुरक्षित स्थान देना और अपनी तरह के अनोखे वन क्षेत्र की संरक्षण करना था। अब बाघों को मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में पानी भरने की स्थिति में चित्रकूट की पहाड़ियों में सुरक्षित और स्थायी निवास मिल सकेगा। इसकी वजह यह है कि यह पूरा इलाका ऊष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन है। यहां बड़े संख्या में भालू, चित्तीदार हिरण, सांभर, चिंकारा के अलावा तेंदुए आदि विचरण करते हैं।

भारत में पिछले दो दशक से बाघ संरक्षण पर ठीक-ठाक काम हुआ है। संभवतः इसी का नतीजा है कि देश में पिछले आठ साल में बाघों की संख्या दोगनी हो गई है। हाल ही में हुई बाघों की गणना में यह साफ हुआ है। इस समय देश में बाघों की संख्या 2967 है। यह विश्व की बाघों की आबादी का 75 फीसद है। इस बाघ गणना को अपने अनोखे अंदाज और प्रमाणिकता के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया है। देश में 1973 में सिर्फ नौ टाइगर रिजर्व थे। अब इनकी संख्या 53 है। इस समय मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 526 बाघ हैं। यह संख्या देश के किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे अधिक है। रानीपुर टाइगर रिजर्व के बन जाने से पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों को विचरण के लिए लंबा विस्तार मिलेगा और उन्हें संरक्षित करने में मदद मिलेगी। बाघ संरक्षण के लिए केंद्र सरकार भी कुछ ज्यादा गंभीर नजर आ रही है। तभी तो बजट आवंटन में बाघ संरक्षण के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। रानीपुर रिजर्व के पांच किलोमीटर दायरे में करीब 1.19 लाख की आबादी है। इसमें 60 फीसदी अनुसूचित जाति के हैं। यहां के जंगलों में तेंदू पत्ता, जड़ी बूटी, आंवला, बेल, महुवा आदि की पैदावार अधिक होती है। इस रिजर्व के आसपास मरविया देवी मंदिर, बेधक, धारकुंडी आश्रम, हनुमान धारा, सती अनसुइया आश्रम हैं। रानीपुर टाइगर रिजर्व का निदेशालय चित्रकूट जिले के मुख्यालय कर्वी में होगा। कुछ साल पहले इन्हीं धार्मिक केंद्रों के आसपास बाघों को विचरण करते देखा जा चुका है। रिजर्व बन जाने से यहां के जंगल वन्य प्राणियों से गुलजार होंगे। तब सरकार को शिकारियों पर पैनी नजर रखनी होगी।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)