जानकारी के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में जापान के साथ सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। जापान को सामान्यतः हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखा जाता है। ऐसे में जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए सुरक्षा समझौते को भी प्रशांत क्षेत्र में चीन को सीमित करने के प्रयास के रूप में परिभाषित किया जा रहा है। यही कारण है यह समझौता चीन स्वीकार नहीं कर पा रहा है। भड़के चीन ने ऑस्ट्रेलिया को द्वितीय विश्व युद्ध तक की याद दिला दी है।
चीन ने मंगलवार को कहा है कि जापान से दोस्ती करने से पहले ऑस्ट्रेलिया को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के युद्ध अपराधों को याद रखना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया में चीन के राजदूत जिओ कियान ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ऑस्ट्रेलिया पर जापानी हमलों को देखते हुए सरकार को जापान पर भरोसा करने के बारे में सावधान रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने ऑस्ट्रेलिया पर आक्रमण किया था और डार्विन पर भारी बमबारी की थी। जापान ने उस दौरान ऑस्ट्रेलियाई लोगों को मार डाला था और ऑस्ट्रेलियाई युद्ध बंदियों को गोली मार दी थी।
चीनी राजदूत यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि चीन ऑस्ट्रेलिया का मित्र रहा है। जापान से दोस्ती से पहले उसे सोचना चाहिए कि भविष्य में क्या हो सकता है और इसके बारे में सावधान रहना चाहिए। जब कोई आपको धमकी देता है, तो वह आपको फिर से धमकी दे सकता है।
इससे पहले भी चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच विवाद हो चुका है। यह विवाद 2020 में चरम पर था, जब चीन ने जौ और शराब जैसे प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई निर्यात पर टैरिफ को खत्म कर दिया था। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई कोयले के आयात को रोक दिया। एक समय तो चीनी सरकार के मंत्रियों ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों के फोन तक उठाने से मना कर दिया था। (हि.स.)