– योगेश कुमार सोनी
चारधाम की पवित्र यात्रा के लिए देशभर से श्रद्धालु उत्तराखंड जाते हैं। हर वर्ष की भांति इस बार रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम जाने के इच्छुक पर्यटकों की संख्या लगभग दोगुनी हुई है। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा के दौरान अब तक 14 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। वहीं, बदरीनाथ धाम में भी तीन यात्रियों की मौत रिपोर्ट की गई थी। ऐसे में कुल मिलाकर चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 17 श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है।
राज्य सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार 15 मई तक 1.65 लाख से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ, सत्तर हजार से अधिक यमुनोत्री और साठ हजार से अधिक तीर्थयात्री गंगोत्री की यात्रा कर चुके हैं। हर बार इस तरह की घटनाओं को देख कर पीड़ा यह होती है कि हम लगभग हर वर्ष ऐसी घटनाओं का शिकार होते हैं लेकिन हमारी सरकार क्यों नहीं जाग रही। आजतक कई हजार श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवा दी और जरा सोच कर देखिए कि ऐसे में जिसकी भी मौत होती है उसके परिजनों को कितनी परेशानी व दुख होता होगा। सरकार लगातार सड़कों, पुल व फ्लाईओवर का निर्माण कर हर रोज नए कीर्तिमान बना रही है लेकिन क्या यहां सुगमता बनाने के लिए सरकार सरकार किसी चीज के लिए बाध्य है?
चारधाम यात्रा करना किसी भी इंसान के लिए एक बहुत बड़ा सौभाग्य माना जाता है। हर वर्ष लाखों लोग इस यात्रा के लिए जाते हैं। बीते शुक्रवार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘चारधाम यात्रा राज्य की लाइफ लाइन है। यह यात्रा राज्य की आर्थिकी से भी जुड़ी है। जिस तेजी से यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, हम सबका दायित्व है कि इसको सुगम और सरल बनाने में सभी मिलकर सहयोगी बनें। व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने में राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।’
यह प्रयास हर वर्ष किए जाते हैं लेकिन सार्थक आज तक नहीं हुए। यात्रा को सुगम बनाने व इस प्रकरण पर काम करने के लिए बहुत काम किया जा सकता है लेकिन नहीं किया जाता। जिस तरह वहां श्रृद्धालुओं का तांता लगता है उसके लिए सीमित लोगों को ही यहां आने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा यहां चढ़ाई के दौरान भी जगह-जगह कैंप लगाए जाने चाहिए। वहां भीड़ बढ़ने के अफरातफरी भी हो जाती है जिससे जान का खतरा हमेशा बना रहता है। कुछ दिन पहले वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में भीड़ ज्यादा होने के कारण अफरातफरी मच गई थी ओर लोगों की जान चली गई थी। हर वर्ष कई भक्तों को बिना वजह अपनी जान गंवानी पड़ रही है।
दरअसल समस्या जो सामने आ रही है वह यह है कि जितने भी पुराने मंदिर व तीर्थस्थल हैं वह समय के साथ अपडेट व अपग्रेड नहीं हुए। पहले जनसंख्या कम थी तो काम चल जाता था लेकिन अब भक्तों की संख्या बहुत बढ़ी और लगातार बढ़ती जा रही है। जगह उतनी-सी है और श्रद्धालु बढ़ते चले गए। बीते वर्ष 2022 में केदारनाथ यात्रा स्थानीय व्यवसायियों के लिए काफी बेहतर रही थी सिर्फ यात्रा के टिकट, घोड़ा खच्चरों और हेली और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े की बात करें तो लगभग 200 करोड़ के आस-पास का कारोबार किया था। केदारनाथ धाम इस बार घोड़े खच्चर व्यवसायियों ने करीब 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपए का रिकॉर्ड कारोबार किया था जिससे सरकार को भी 8 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ था और बीते वर्ष 2023 में इससे भी ज्यादा कारोबार हुआ था।
उत्तराखंड सरकार को चारधाम यात्रा से हर वर्ष बड़ा मुनाफा होता लेकिन फिर भी यहां सुगमता उतनी बेहतर नहीं है जितना मानी जाती है। यह बात इसलिए कही जा रही है कि हर वर्ष कई श्रद्धालु मारे जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यदि वहां उतनी सुविधा नही हैं जितनी आवश्यकता है। बताया जाता है कि चारधाम में कुछ जगह ऐसी जहां सांस की तकलीफ हो जाती है जिसको कवर अप करने के लिए वहां सुविधा नहीं मिल पाती और यदि थोड़ी बहुत है भी तो बेहद सीमित लोगों के लिए हैं जिससे हर किसी को जल्दी सुविधा नहीं मिलती और कुछ लोग सुविधा के अभाव में अपनी जान गंवा बैठते हैं। यदि ऐसा कभी-कभी हो तो ठीक है लेकिन हर बार ऐसा होना पीड़ाजनक है।
वहां से आए श्रद्धालु ने बताया कि चारों धामों में केदारनाथ और यमुनोत्री धाम ऐसे हैं जहां पर पैदल ट्रैक करना पड़ता है। यमुनोत्री में एक तरफ 5 किलोमीटर यानी टोटल 10 किलोमीटर की यात्रा है और केदारनाथ में दोनों तरफ की मिलाकर 32 किलोमीटर की बेहद चुनौतीपूर्ण यात्रा है। यदि यहां आपके पास अच्छे जूते व साधन नही हैं तो बहुत परेशानी हो जाती है। अधिक ठंड के कारण अधिक वजन व सांस की तकलीफ वाले लोगों को अधिक एहतियात रखने की जरूरत होती है। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी किट भी होना अनिवार्य है।जैसा कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए अलग-अलग स्थिति मानी जाती है। बद्रीनाथ और गंगोत्री की यात्रा की ज्यादा कठिन नहीं मानी जाती और कहा जाता है जो लोग आयु व स्वास्थ्य के चलते चार धाम नहीं कर सकते वह यह दोनों धाम जा सकते हैं चूंकि यह बद्रीनाथ व केदारनाथ से सरल यात्रा है। केदारनाथ व बद्रीनाथ की यात्रा बहुत कठिन मानी जाती है।
वैसे तो सरकार तमाम तीर्थस्थलों के पुनर्निर्माण में लगी हुई है लेकिन जो मौजूदा विरासत है उसके लिए कुछ करना चाहिए। इस यात्रा का लोग बेसब्री इंतजार करते हैं और मान्यता के अनुसार इसे करने से स्वर्ग का रास्ता खुलता है। हर किसी सनातनी की इच्छा होती है कि वह जिंदगी में एक बार चारधाम यात्रा जरूर करे। इसलिए ऐसे जगहों पर गुणवत्ता के साथ काम होना चाहिए जिससे लोगों में भगवान के प्रति और सरकार के प्रति विश्वास बना रहे।
(लेखक, स्वतंत्र पत्रकार हैं।)