नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र सरकार (Central government) ने गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर नियंत्रण (hoarding wheat and control prices) रखने के लिए सख्त कदम (takes strict steps) उठाया है। सरकार ने तत्काल प्रभाव से थोक, खुदरा, बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करण फर्मों के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा घटा दी है।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि तत्काल प्रभाव से व्यापारियों एवं थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा दो हजार टन से घटाकर एक हजार टन की गई है। प्रत्येक खुदरा विक्रेता के लिए भंडारण की सीमा 10 टन से घटाकर पांच टन किया गया है। बड़े खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक डिपो के लिए पांच टन और उनके सभी डिपो के लिए यह सीमा कुल मिलाकर एक हजार टन होगी।
मंत्रालय के मुताबिक गेहूं भंडारण करने वाली सभी फर्मों को गेहूं स्टॉक सीमा संबंधी पोर्टल पर अपना पंजीकरण करना होगा। इसके साथ ही प्रत्येक शुक्रवार को अपने स्टॉक के बारे में जानकारी देनी होगी। पोर्टल पर पंजीकृत न कराई गई या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करने वाली फर्म के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 एवं 7 के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा के मुताबिक गेहूं का प्रसंस्करण करने वालीं कंपनी चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बाकी महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 फीसदी रख सकती हैं। उन्होंने बताया कि गेहूं के कृत्रिम अभाव की स्थिति को रोकने और जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया गया है। संशोधित स्टॉक सीमा तत्काल प्रभाव से लागू होगी। व्यापारियों को अपना स्टॉक संशोधित सीमा तक कम करने के लिए 30 दिन का वक्त दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि खाद्य मंत्रालय ने 12 जून को अनाज कारोबारियों पर मार्च 2024 तक स्टॉक रखने की सीमा तय की थी। इसके बाद 14 सितंबर को इस सीमा को घटाकर व्यापारियों एवं थोक विक्रेताओं और उनके सभी डिपो में बड़े खुदरा विक्रेताओं के लिए दो हजार टन कर दिया था। वहीं, सरकार ने मई 2022 से ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके साथ मुक्त बाजार बिक्री योजना के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को रियायती दर पर गेहूं बेचा जा रहा है।