Saturday, April 5"खबर जो असर करे"

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फेड रिज़र्व ब्याज दर में कटौती: ट्रम्प हताश तो कमला को आस क्यों?

फेड रिज़र्व ब्याज दर में कटौती: ट्रम्प हताश तो कमला को आस क्यों?

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- ललित मोहन बंसल अमेरिका के सेंट्रल बैंक ‘फेड रिजर्व’ ने बुधवार को आधा प्रतिशत अंक ब्याज दर में कटौती कर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प की नींद उड़ा दी है, वहीं डेमोक्रेट कमला हैरिस ने राहत की साँस ली है। पिछले ढाई वर्षों में कीमतें लगातार आसमान छू रही थीं, अमेरिका मंदी (7%) के आग़ोश में जा रहा था। इससे जनसामान्य के लिए ग्रोसरी से लेकर मकानों के मार्टगेज की ऊँची दरें देना मुश्किल हो रहा था। अभी एक सप्ताह पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने टीवी डिबेट में देश में इन्फ़्लेशन में निरंतर तेजी पर चिंता जताई थी और दावा किया था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में इन्फ़्लेशन बढ़ने नहीं दिया। इसके विपरीत डेमोक्रेट कमला हैरिस ने आधा प्रतिशत अंक की कटौती किए जाने का स्वागत किया है। फेड रिज़र्व के चेयरमैन ने विश्वास जताया है कि अब मंदी के दायरे से निकल चुके हैं। अब फ़ेड रिज़र्व की कोशिश है कि सन् 2025 के अंत...
सहकारी क्षेत्र में नई जान फूँकेंगे पीएसीएस

सहकारी क्षेत्र में नई जान फूँकेंगे पीएसीएस

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- शाजी के वी दुनिया भर में ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष- 2025’ के स्वागत की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारत का सहकारिता क्षेत्र मजबूत स्थिति में है और देशभर में नई, मजबूत और तेजी से उभरती हुई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) का प्रसार हो रहा है। आर्थिक और प्रशासनिक सुधारों से लैस ये पीएसीएस अब ग्रामीण और कृषि प्रधान भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यद्यपि भारत में सहकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है लेकिन कुप्रबंधन, संकट के समय पर्याप्त सरकारी समर्थन की कमी और आवश्यक सुधारों की अनुपस्थिति के कारण इसके विकास में रुकावट आई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने दूसरे कार्यकाल में सहकारिता मंत्रालय का गठन करने और अमित शाह को इसकी कमान सौंपने के बाद सहकारिता क्षेत्र में बदलाव दिखने ...
कैसे पैदा होंगे बिना राजनीतिक विरासत वाले युवा नेता

कैसे पैदा होंगे बिना राजनीतिक विरासत वाले युवा नेता

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-प्रियंका सौरभ आज देश को ऐसे युवा नेताओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता है, जो राजनीतिक परिवारों से नहीं आते। भारत को वंशवादी राजनीति से मुक्त होने की जरूरत है। राजनीति और शासन में युवाओं की भूमिका है, विशेष रूप से भारतीय राजनीतिक जीवन में भाई-भतीजावाद और वंशवादी उत्तराधिकार द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के संबंध में। ऐतिहासिक रूप से, युवा नेतृत्व उद्योग और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रहा है। युवा नेता अक्सर नवाचार के मामले में सबसे आगे रहे हैं, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी में, जहां उनके योगदान ने उद्योगों में क्रांति ला दी है। भारत में, जहां आधी से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम है, 18वीं लोकसभा में निर्वाचित प्रतिनिधियों की औसत आयु 56 वर्ष है, जो युवा जनसांख्यिकी और सरकार में उनका प्रतिनिधित्व करने वालों के बीच एक महत्वपूर्ण वियोग को उजागर करती है। भारत को अपने मूल लोकतांत्रिक सिद...
श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध

श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध

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- हृदयनारायण दीक्षित श्रद्धा भाव है और श्राद्ध कर्मकाण्ड। श्रद्धा मन का प्रसाद है। प्रसाद आंतरिक आनंद देता है। पतंजलि ने श्रद्धा को चित्त की स्थिरिता या अक्षोभ से जोड़ा है। श्रद्धा की दशा में क्षोभ नहीं होता। श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध है। भारतीय विद्वानों ने श्रद्धा भाव को श्राद्ध कर्म बनाया। पिता, पितामह और प्रपितामह के लिए अन्न, भोजन, जल आदि के अर्पण तर्पण का कर्मकाण्ड बनाया। श्रद्धा है कि अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलता है। वे प्रसन्न होते हैं और सन्तति को सभी सुख साधन देते हैं। हम भारतवासी वरिष्ठों, पूर्वजों के प्रति श्रद्धालु रहते हैं। संप्रति पितर पक्ष है। इस समय को पितरों के प्रति श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। लोक मान्यता है कि इस पक्ष में पूर्वज पितर आकाश लोक आदि से उतर कर धरती पर आते हैं। हम पूरे वर्ष तमाम गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। इसी में 15 दिन पितरों के प...
इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयरः भविष्य के गंभीर खतरे का संकेत

इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयरः भविष्य के गंभीर खतरे का संकेत

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा लेबनान की राजधानी बेरूत में एक दिन पहले पेजर और उसके बाद वॉकी-टॉकी व सोलर सिस्टम में विस्फोट से दर्जनों मौत और हजारों की संख्या में लोगों के घायल होने के बाद साफ हो गया है कि दुनिया के किसी भी कोने का कोई भी व्यक्ति अपने आपको सुरक्षित महसूस करता हो तो यह उसकी गलतफहमी है। दरअसल, लेबनान की घटना में विरोधियों से बदला लेने का नया हथियार सामने आ गया है। खतरा यह है कि दुश्मन से बदला लेने का साधन न होकर यह आतंक का नया हथियार भी हो सकता। दुनिया में आतंकवादी गतिविधियों को इससे बढ़ावा मिलेगा। इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर का यह नया अंदाज अपने आप में गंभीर और अत्यधिक चिंताजनक हो गया है। इसके दुरुपयोग की आशंकाएं बहुत अधिक हैं। कभी संवाद का माध्यम रहे पेजर का युद्ध के नए हथियार के रूप में सामने आना चिंताजनक होने के साथ भविष्य में नए तरीके के युद्ध का संकेत बनकर सामने आया है। लेबनान...
डिजिटली चुनाव प्रचार, शक्तिशाली हथियार

डिजिटली चुनाव प्रचार, शक्तिशाली हथियार

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- प्रियंका सौरभ गूगल विज्ञापन पारदर्शिता केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान, राजनीतिक दलों एवं उनके सहयोगियों ने पहली जनवरी से 10 अप्रैल के बीच अकेले गूगल के विज्ञापनों पर लगभग 117 करोड़ रुपये खर्च किये। डिजिटल अभियान खर्च में यह वृद्धि चुनावों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बढ़ते प्रभाव को उजागर करती है, जबकि राजनीतिक दलों के बीच कंटेंट विनियमन तथा निष्पक्षता के बारे में चिंता बढ़ाती है। अब चुनाव में डिजिटल अभियान एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है। मतदाताओं तक इसकी व्यापक पहुंच है। डिजिटल प्लेटफॉर्म ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों सहित लाखों मतदाताओं तक पहुंचने की अभूतपूर्व क्षमता प्रदान करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी जनसांख्यिकीय अभियान से वंचित न रह जाए। वर्ष 2019 के चुनाव के दौरान व्हाट्स ऐप के व्यापक उपयोग ने राजनीतिक दलों को पूरे भारत में ग्रामीण मत...
गरीब का पराठा और ब्यूरोक्रेसी को संदेश

गरीब का पराठा और ब्यूरोक्रेसी को संदेश

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- ऋतुपर्ण दवे कभी-कभी बहुत मामूली सी बातें न केवल हर कहीं चर्चा का विषय बन जाती हैं बल्कि इतनी भावुक और प्रभावी कर जाती हैं कि पूछिए मत। लेकिन जब मामला विनम्रता, सहजता और गरीब की पोटली में बंधे पराठे खुलवा कर एक टुकड़ा खाने का हो तो दिल को छू ही जाएगी। उसमें भी यदि जिला कलेक्टर और फरियादी का हो तो हर कहीं उदाहरण और चर्चा का विषय बनेगा ही। ऐसा ही एक वाकया उत्तर प्रदेश के औरेया जिले का है जो पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा है। जहां अपने रुतबे और ठसक के लिए आईएएस-आईपीएस पहचाने जाते हैं वहीं औरेया कलेक्टर इन्द्रमणि त्रिपाठी की इससे विपरीत प्रशंसा हो रही है। हो भी क्यों न उनके दफ्तर में डरा-सहमा सा एक ग्रामीण मजदूर अपनी फरियाद लेकर बहुत दूर से आया। दफ्तर में घुसते ही वहां का माहौल उसे असहज कर, घबरा रहा था। लेकिन तुरंत कलेक्टर इन्द्रमणि त्रिपाठी ने उसकी मनोदशा भांपी, पूछा कि घर वापस पहुंचने मे...
जम्मू-कश्मीर विस चुनाव: विमर्श के विषय

जम्मू-कश्मीर विस चुनाव: विमर्श के विषय

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- प्रवीण गुगनानी उस जमाने की बात याद है, जब प्रत्येक राष्ट्रीय कानून, प्रस्ताव, प्रावधान आदि पर लिखा जाता था -Except Jammu and Kashmir (जम्मू और कश्मीर को छोड़कर) लेकिन अब देश में वैसा नहीं होता। जम्मू कश्मीर अब शेष भारत के नवनिर्माण में सहयोग दे रहा है। आज का कश्मीर नये भारत का नया कश्मीर है।जिस कश्मीर में दशकों तक ऐसा आतंकी वातावरण रहा कि वहाँ भारतीय भी जाने की कल्पना नहीं करते थे, उस कश्मीर में मोदी सरकार ने जी-20 का सम्मेलन करवा दिया, यही नया कश्मीर है। अनुच्छेद 370 को इस प्रदेश की नियति मानने और बताने वाले लोग वस्तुतः बदनियत लोग थे, वे अब मुख्यधारा से बाहर हैं। कांग्रेस ने भी फ़ारूख़ अब्दुल्ला और उसके अन्य प्रिय कश्मीरी अलगाववादियों, उग्रवादियों व आतंकवादियों के साथ चलते हुए अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था। अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद बना था- गुपकार गठबंधन। गुपकार गठबंधन चाहत...
निर्भयाओं’ को निर्भय बनाने के प्रयास और सख्ती के प्रावधान

निर्भयाओं’ को निर्भय बनाने के प्रयास और सख्ती के प्रावधान

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा पश्चिम बंगाल का आरजी कर प्रकरण भले आज उबाल ले रहा हो पर 2012 के निर्भया कांड के बाद हुई सख्ती के बावजूद ऐसी घटनाओं का बंद होना तो दूर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध कम नहीं हो रहे। जैसे कठोर सजा प्रावधान भी बेअसर हो रहे हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध वाले प्रकरणों का न्यायालयों में निस्तारण भी तेजी से हो रहा है। करीब 90 प्रतिशत तक प्रकरणों का न्यायालयों से निस्तारण किया जा रहा है। लेकिन महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कुछ समय गुजरते ही देश में कहीं ना कहीं निर्भया जैसे नृशंस कांड हो रहे हैं जो देश को हिलाकर रख देते हैं। कोलकता आरजी कर अस्पताल में रेप व हत्या की घटना के बाद जिस तरह देशव्यापी माहौल बना, उसके चलते पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिमी बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधानसभा से पारित हो गय...