Saturday, April 19"खबर जो असर करे"

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द्रौपदी मुर्मू : समाज के अंतिम छोर की प्रतिभा

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- सुरेश हिन्दुस्थानी राष्ट्रपति के चुनाव की मतगणना के पश्चात देश ने नए राष्ट्रपति के रूप में जनजातीय समाज की प्रतिभा द्रौपदी मुर्मू को चुन लिया गया है। राष्ट्रपति के रूप में उनका चयन निश्चित ही एक ऐसा संदेश प्रवाहित कर रहा है, जिसमें एक उम्मीद है, एक विश्वास है। जो उस समाज में आगे बढ़ने का हौसला प्रदान कर रहा है, जिसको अभी तक वंचित माना जाता रहा है। भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनवाकर स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव को सार्थकता प्रदान की है। यहां उल्लेखनीय तथ्य यह है कि द्रौपदी मुर्मू उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन से निकले शब्दों में समाज का अंतिम छोर है। केंद्र की मोदी सरकार ने आज पंडित दीनदयाल जी के सपने को साकार करने की अभिनव पहल की है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी कहते थे कि जिस दिन सम...

ट्रंक कॉल सेवाओं से फाईव जी तक के सफर की साक्षी है वर्तमान प्रौढ़ पीढ़ी

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- लिमटी खरे एक समय था जब दूर रहने वाले अपने रिश्ते नातेदारों, मित्रों से संवाद के लिए खतो खिताब पर ही निर्भरता हुआ करती थी। बहुत जरूरी सूचना अगर होती थी तो टेलीग्राम भेज दिया करते थे। बहुत ही जरूरी सरकारी संदेशों को पुलिस के वायरलेस के जरिए भेजा जाता था जिन्हें ‘रेडियो मैसेज‘ कहा जाता था। इसके बाद आया टेलीफोन का जमाना। टेलीफोन के जमाने में फोन उठाईए, दूसरी ओर से टेलीफोन एक्सचेंज से आपरेटर फोन उठाता, आप उसे नंबर लगाते, फिर वह आपको नंबर मिलाकर देता। यह शहर के अंदर ही होता था। अगर आपको किसी अन्य शहर में फोन लगाना होता तो आपको ट्रंक कॉल बुक करना होता था। इसकी तीन श्रेणियां होती थीं। पहली लाईटनिंग जो सबसे महंगी, फिर एक्सप्रेस उससे सस्ती और सबसे सस्ती आर्डनरी। साथ ही पर्टिकुलर पर्सन अर्थात पीपी कॉल भी बुक होते थे जिसमें जिस व्यक्ति के लिए कॉल बुक किया है वह अगर मिल गया तो ही पैसे देने होते थे।...

हिन्दुत्व में समग्र मानवीय अनुभूति

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- ह्रदय नारायण दीक्षित हिन्दुत्व भारत की प्रकृति है और संस्कृति भी। यह भारत के लोगों की जीवनशैली है। इस जीवनशैली में सभी विश्वासों के प्रति आदर भाव है। लेकिन भारतीय राजनीति के आख्यान में हिन्दुत्व के अनेक चेहरे हैं। उग्र हिन्दुत्व, मुलायम (साफ्ट) हिन्दुत्व, साम्प्रदायिक हिन्दुत्व आदि अनेक विशेषण मूल हिन्दुत्व पर आक्रामक हैं। अंग्रेजी भाषान्तर में हिन्दुत्व को हिन्दुइज्म कहा जाता है। इज्म विचार होता है। विचार 'वाद' होता है। वाद का प्रतिवाद भी एक विचार होता है। पूंजीवाद- कैप्टलिज्म है। समाजवाद सोशलिज्म है। इसी तरह कम्युनिज्म है। अंग्रेजी का हिन्दुइज्म भी हिन्दूवाद का अर्थ देता है। लेकिन हिन्दुत्व हिन्दूवाद नहींं है। हिन्दुत्व समग्र मानवीय अनुभूति है। वीर होना वीरवाद नहींं होता, वीर होने का भाव वीरता है। दयावान होना दयावाद नहींं दयालुता है। हिन्दू होना हिन्दुता या हिन्दुत्व है। कुछ विद्वान ह...

कैसे भारत कमाए ज्यादा डॉलर, रखे रुपये को मजबूत

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- आर.के. सिन्हा डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का लगातार अवमूल्यन होना और देश के हजारों युवाओं के विदेशों में पढ़ने के लिए जाने के आपसी संबंधों को समझना जरूरी है। यकीन मानिए कि इनके बाहर जाने से भी देश की अमूल्य विदेशी मुद्रा का खजाना घटता है। वजह यह है कि जब ये देश से बाहर जाते हैं, तब इन्हें बैंकों से डॉलर लेकर विदेशी शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेना होता है। अगर बात चालू साल की करें तो मार्च तक करीब 1.33 लाख भारतीय विद्यार्थी दुनिया के अलग-अलग देशों में पढ़ने के लिए निकल गए। आजकल आप दिल्ली, मुंबई, बेगलुरु और उन हवाई अड्डों में विदेशों में पढ़ने के लिए जाने वाले नौजवानों को खूब देख सकते हैं, जहां से विदेशों के लिए विमान उड़ान भरते हैं। संसद में हाल ही में बताया गया कि इस साल उच्च शिक्षा ग्रहण करने के इरादे से 1.33 लाख से कुछ अधिक ही बच्चे देश से बाहर चले गए। अगर बात 2021 की करें तो तब यह...

विपक्ष की हालत खस्ता

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के चुनाव ने सिद्ध कर दिया है कि भारत के विरोधी दल भाजपा को टक्कर देने में आज भी असमर्थ हैं और 2024 के चुनाव में भी भाजपा के सामने वे बौने सिद्ध होंगे। अब उपराष्ट्रपति के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के समर्थन से इनकार कर दिया है। यानी विपक्ष की उम्मीदवार उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी बुरी तरह से हारेंगी। अल्वा कांग्रेस की हैं। तृणमूल कांग्रेस को कांग्रेस से बहुत आपत्ति है, हालांकि उसकी नेता ममता बनर्जी खुद कांग्रेस में रही हैं और अपनी पार्टी के नाम में उन्होंने कांग्रेस का नाम भी जोड़ रखा है। ममता ने राष्ट्रपति के चुनाव में यशवंत सिन्हा का भी डटकर समर्थन नहीं किया, हालांकि सिन्हा उन्हीं की पार्टी के सदस्य हैं। अब पता चला है कि ममता बनर्जी, द्रौपदी मुर्मू की टक्कर में ओडिशा के ही एक आदिवासी नेता त...
जुबैर और नूपुर शर्मा

जुबैर और नूपुर शर्मा

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सर्वोच्च न्यायालय ने नूपुर शर्मा और मोहम्मद जुबैर के साथ पूरा न्याय किया है। उसने दोनों के खिलाफ की गई दर्जनों पुलिसिया शिकायतों (एफआईआर) को रद्द करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ जो भी मुकदमे चलें, वे किसी एक ही शहर में चलें। कई शहरों में अगर उन पर मुकदमे चलते रहे तो कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। सबसे पहली तो यही कि कई फैसले परस्पर विरोधी भी हो सकते हैं। दूसरी समस्या यह कि आरोपित व्यक्ति कितने शहरों की अदालतों का चक्कर लगाता रहेगा? तीसरी समस्या उसकी अपनी सुरक्षा की है। वैसे जुबैर को उनके विवादास्पद ट्वीट पर वैसी धमकियां नहीं मिल रही हैं जैसी कि नूपुर शर्मा को मिल रही है। कानून की जिन लोगों को थोड़ी भी समझ है, उन्हें पता है कि जुबैर और नूपुर दोनों को ही अदालत निर्दोष घोषित करने वाली है। नूपुर की गिरफ्तारी तो अभी तक नहीं हुई है लेकिन जुबैर को हफ्तों जेल में डाले रखा गया है...
भाजपा का मिशन 2024, तैयार हो रहा विजन

भाजपा का मिशन 2024, तैयार हो रहा विजन

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- प्रभुनाथ शुक्ल भारतीय जनता पार्टी कभी ऐसी अफवाह 'कौवा कान काटकर उड़ गया' पर ध्यान नहीं देती। वह अफवाह के पूर्व कान टटोलती है। फिर आगे की रणनीति तैयार करती है। इससे साफ है भाजपा जमीन पर काम करती है, हवा में नहीं, क्योंकि उसका सांगठनिक ढांचा बेहद मजबूत और विशाल है। अनुशासन और सुशासन ही उसका मूल मंत्र है। भाजपा विजन तैयार करती है। विपक्ष को कभी हल्के में नहीं लेती है। इसी नीति का नतीजा है कि कांग्रेस जैसे बड़े दल का अस्तित्व संकट में है। भाजपा अपनी राजनीतिक लड़ाई जमीन पर लड़ती है। इस जमीनी लड़ाई विपक्ष में रायते की तरह बिखरा हुआ है। उसके पास मोदी और योगी जैसा विश्वसनीय और भरोसेमंद चेहरा नहीं है। अमित शाह जैसा कोई चाणक्य नहीं है। भाजपा और उसके सहयोगी संगठन अभी से मिशन- 2024 यानी लोकसभा चुनाव की जमीनी तैयार करने में जुट गए हैं। भाजपा 'ऑनलाइन सर्वे' करा रही है। भाजपा सर्वे के लिए मतदाताओं के मो...
संवैधानिक सक्रियता की धाकड़ पारी

संवैधानिक सक्रियता की धाकड़ पारी

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार चयन में राजग का नजरिया व्यापक फलक पर रहा। राष्ट्रपति पद के लिए देश में पहली बार वनवासी समुदाय की महिला को उम्मीदवार बनाया गया। उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ को राजग ने उम्मीदवार बनाया है। पिछले कुछ वर्षों से अस्सी वर्षीय मारग्रेट अल्वा राजनीतिक परिदृश्य से ओझल रही हैं। दूसरी तरफ जगदीप धनखड़ अपनी संवैधानिक सक्रियता के लिए देश में चर्चित रहे हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उन्होंने संवैधानिक निष्ठा की मिसाल कायम की है। इसे उनकी संवैधानिक सक्रियता की धाकड़ पारी के रूप में देश याद रखेगा। पश्चिम बंगाल की प्रतिकूल और अराजक परिस्थिति के बीच वह अपने दायित्व से विचलित नहीं हुए। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिंसा का दौर शुरू हुआ। सत्ता पक्ष का कैडर भाजपा समर्थकों का हिंसक उत्पीड़न कर रहा था। सरकारी मशी...
मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक

मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक

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- ललित गर्ग भारत की आजादी के लिये मिट्टी से लोहपुरुषों यानी सशक्त, शक्तिशाली एवं राष्ट्रभक्त इंसानों का निर्माण करने का श्रेय जिस महापुरुष को दिया जाता है, वह लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश की आशाओं के प्रतीक बने। उनके विचारों और कार्यों ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने में अग्रिम भूमिका निभाई। उन्होंने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ का नारा देकर लाखों भारतीयों को प्रेरित, संगठित और आन्दोलित किया। तिलक व्यक्ति-प्रबंधन कैसे करते, किस तरह आजादी के लिये हर भारतीय के मन में आन्दोलन की भावना भरते, मनुष्यों को कैसे पहचानते थे और सशक्त-आजाद भारत के लिये बृहत्तर आन्दोलनों के लिये कैसे उनके योगदान को प्राप्त करते थे, वह अपने आपमों विस्मय और अनुकरण का विषय है, उसी का अनुकरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तिलक के सपनों का भारत बना रहे...