Monday, April 21"खबर जो असर करे"

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पूर्व राष्ट्रपति कलाम के बाद अब दूसरा बड़ा वैश्विक संदेश

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- सियाराम पांडेय 'शांत' द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना ऐतिहासिक परिघटना तो है, यह भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक भी है। इससे देश-दुनिया में बड़ा राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश गया है। इस देश को महिला राष्ट्रपति तो पहले भी मिल चुकी हैं लेकिन आदिवासी महिला राष्ट्रपति पहली बार मिली हैं। उपेक्षित, शोषित, वंचित आदिवासी समाज की वे आवाज बनकर उभरेंगी, यह संदेश दुनिया भर को देने की कोशिश की गई है। इस तरह का संदेश वर्ष 2002 में तब गया था जब प्रख्यात वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के राष्ट्रपति चुने गए थे। तब भारत ही नहीं दुनिया भर के मुस्लिम समाज में यह संदेश गया था कि भारत का राष्ट्रपति मुस्लिम है और उससे भी पहले वह पढ़ा-लिखा नेक इंसान है। द्रौपदी मुर्मू के चुनाव में यह भी साबित हुआ है कि कोई भी राजनीतिक दल नहीं चाहता कि आदिवासी समाज उनसे नाराज हो। इसीलिए अधिकांश राजनीतिक दलों ने द्रौपदी म...

भारत में बाघों के शिकार की वजह चीन भी !

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- मुकुंद केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मानसून सत्र के दौरान सोमवार (26 जुलाई, 2022) को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी है कि भारत में पिछले तीन साल में शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से 329 बाघों की मौत हुई है। इस जानकारी में साफ किया गया है कि 2019 में 96, 2020 में 106 और 2021 में 127 बाघ मारे गये। इनमें 68 बाघ प्राकृतिक कारणों, पांच अप्राकृतिक कारणों और 29 बाघ शिकारियों के हमलों में मारे गए। सरकार ने इन आंकड़ों में यह सफाई दी है कि शिकार की घटनाओं में कमी आई है। 2019 में 17 बाघों की शिकारियों ने जान ली। 2021 में यह संख्या घटकर चार रह गई। इस अवधि में देशभर में बाघों के हमलों में 125 लोग मारे गए। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के मुताबिक भारत में 2021 में कुल बाघों की मौत की संख्या एक दशक में सबसे ज्यादा है। इस साल 29 दिसंबर तक प्राधिकरण क...

सूखे से बेजार किसानों के लिए सहारा बनी ‘सम्मान निधि’

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- पंकज यूपी के पिछड़े जिलों में शुमार बलिया में किसानों पर इस बार मानसून की बेरुखी से सूखे की मार पड़ी है। हालांकि, बारिश न होने से सहमे किसानों के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'किसान सम्मान निधि' सहारा साबित हो रही है। जिले में पिछले वर्ष एक लाख 58 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ की खेती हुई थी। इस बार खरीफ की खेती का दायरा सिकुड़ गया है। आषाढ़ के बाद सावन माह भी आधा बीतने को है। आसमान में उमड़-घुमड़ रहे बादल किसानों के जले पर सिर्फ नमक छिड़क रहे हैं। इसका नतीजा यह यह है कि बारिश न होने से इस बार महज करीब 72 हजार हेक्टेयर में ही खरीफ की विभिन्न फसलें लगाई गई हैं। इसमें मुख्य रूप से मक्का और धान बोया गया है। सबसे अधिक मार धान की रोपाई पर पड़ी है। अलबत्ता, मक्का, ज्वार और बाजरा की पर्याप्त खेती हुई है। इसके पीछे कम बारिश का होना बताया जा रहा है। लगभग एक माह से बारिश न होने से सबसे अधिक...

नई उड़ान पर योगी का यूपी

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- शशिकांत जायसवाल योगी 2.0 में उत्तर प्रदेश ने नए संकल्पों के साथ देश में नंबर एक अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ नई उड़ान भरनी शुरू कर दी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती सौ दिन काफी अहम रहे। इस अवधि में सरकार ने बड़ी लकीर खींची है। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने के लक्ष्य के साथ काम शुरू हो चुका है। सलाहकार भी चुन लिया गया है। विभागों को 10 सेक्टरों में बांटकर अगले पांच साल तक का खाका खींचा गया है। उसी के अनुसार सूक्ष्म, लघु और दीर्घकालीन योजनाएं बनाकर कार्य किया जा रहा है। अगले पांच साल में सरकार के प्रयास परवान चढ़े तो यह तय है कि देश में उत्तर प्रदेश की दशा और दिशा बदल जाएगी। उद्योग अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी महत्ता को समझते हुए अपने पिछले कार्यकाल में जब इंवेस्टर्स समिट का आयोजन करने की घोष...

मेडिकल की हिंदी में पढ़ाई, मप्र को भायी

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक आजादी के 75 वें साल में मैकाले की गुलामगीरी वाली शिक्षा पद्धति बदलने की शुरुआत अब मध्य प्रदेश से हो रही है। इसका श्रेय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और चिकित्सा शिक्षामंत्री विश्वास सारंग को है। मैंने पिछले साठ साल में म.प्र. के हर मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि मेडिकल और कानून की पढ़ाई वे हिंदी में शुरू करवाएं लेकिन मप्र की वर्तमान सरकार भारत की ऐसी पहली सरकार है, जिसका भारत की शिक्षा के इतिहास में नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। केंद्र सरकार म.प्र. से प्रेरणा ग्रहण कर समस्त विषयों की उच्चतम पढ़ाई का माध्यम भारतीय भाषाओं को करवा दे तो भारत को अगले एक दशक में ही विश्व की महाशक्ति बनने से कोई ताकत रोक नहीं सकती है। विश्व की जितनी भी महाशक्तियां हैं, उनमें उच्चतम अध्ययन और अध्यापन स्वभाषा में होता है। डॉक्टरी की पढ़ाई मप्र में हिंदी माध्यम से होने के कई फायदे ह...

कारगिल विजय दिवस: झुंझुनू के लाल, बहादुरी में बेमिसाल

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- रमेश सर्राफ धमोरा देश रक्षा के लिये सेना में शहादत देना राजस्थान की परम्परा रही है। झुंझुनू जिले के गांवों में लोक देवताओं की तरह पूजे जाने वाले शहीदों के स्मारक इस परम्परा के प्रतीक हैं। इस जिले के वीरों ने बहादुरी का जो इतिहास रचा है उसी का परिणाम है कि भारतीय सैन्य बल में उच्च पदों पर सम्पूर्ण राजस्थान की ओर से झुंझुनू जिले का ही वर्चस्व रहा है। झुंझुनू जिले में प्रारम्भ से ही सेना में भर्ती होने की परम्परा रही है तथा यहां के गांवों में घर-घर में सैनिक होता था। सेना के प्रति यहां के लगाव के कारण अंग्रेजों ने यहां एक सैनिक छावनी की स्थापना कर ‘शेखावाटी ब्रिगेड ‘का गठन किया था। जिले के वीर जवानों को उनके शौर्य के लिये समय-समय पर अलंकरणों से नवाजा जाता रहा है। अब तक इस जिले के कुल 120 से अधिक सैनिकों को वीरता पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। यह पूरे देश में किसी एक जिले में सर्वाधिक संख्या...

युवा पीढ़ी की नैतिकता और सोशल मीडिया का उपयोग

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- डॉ. सत्यवान सौरभ नैतिक दृष्टिकोण वे दृष्टिकोण हैं जो हमारे नैतिक विश्वासों पर आधारित होते हैं और हमारे सही या गलत की अवधारणा को व्यक्त कर सकते हैं। वे नैतिक सिद्धांतों से अधिक मजबूत हैं। चूंकि नैतिक मानक सभी के लिए समान नहीं होते हैं, वे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं। नैतिक दृष्टिकोण के गुणों में विश्वास, श्रद्धा, अच्छाई, सत्यता आदि शामिल हैं। नैतिक दृष्टिकोण का सकारात्मक निहितार्थ यह है कि ये दृष्टिकोण मजबूत भावनाओं के साथ जुड़े हुए हैं। इसलिए, सामाजिक बहिष्कार के डर के कारण सामान्य समाजों के बीच गलत व्यवहार को रोकता है। जैसे- बाल शोषण, अनाचार। सोशल मीडिया संचार, समुदाय-आधारित इनपुट, बातचीत, सामग्री-साझाकरण और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करता है। लोग इसका उपयोग संपर्क में रहने और दोस्तों, परिवार और विभिन्न समुदायों के साथ बातचीत करने के लिए करते हैं। दुनिया की 58.4% आबादी...

द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से साकार हुआ बिरसा मुंडा का सपना

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- आर.के. सिन्हा आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू देश की 15 वीं राष्ट्रपति निर्वाचित हो गईं हैं। अब उन्हें सोमवार (25 जुलाई) को पद और गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में दिलवाई जाएगी। वह जब भारत के प्रथम नागरिक के रूप में शपथ ग्रहण करेंगी तब देश के लगभग 10 करोड़ आदिवासी निश्चित रूप से दिल से गौरवान्वित महसूस करेंगे। भारत की साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की कुल जनसंख्या का साढ़े आठ फीसदी हिस्सा आदिवासियों का है। जरा गौर करें क 2011 की जनगणना में हिन्दू देश की कुल आबादी में 96.93 करोड़ के साथ लगभग 80 फीसद थे। उनके बाद मुसलमान 17.22 करोड़ की आबादी के साथ दूसरे स्थान पर थे। उनकी आबादी 14.2 फीसद थी। ईसाई जनसंख्या 2.78 करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर थी। सिखों की आबादी 2.08 करोड़ के साथ चौथे स्थान थी। इससे समझा जा सकता है कि आदिवासियों को उनका सामान्य सा हक देने में भी कितना विलंब क...

अदालतों में मुकदमों के अंबार को कम करने पर हो मंथन

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा लाख प्रयासों के बावजूद देश की अदालतों में मुकदमों का अंबार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। एक मोटे अनुमान के अनुसार देश की अदालतों में सात करोड़ से अधिक केस लंबित हैं। इनमें से करीब 87 फीसदी केस देश की निचली अदालतों में लंबित हैं तो करीब 12 फीसदी केस राज्यों के उच्च न्यायालयों में लंबित चल रहे हैं। देश की सर्वोच्च अदालत में एक प्रतिशत केस लंबित हैं। पिछले दिनों जयपुर में आयोजित एक समारोह के दौरान न्यायालयीय प्रक्रिया और सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी करने वाले वकीलों की फीस को लेकर अच्छी खासी चर्चा हुई। इस समय अदालत में सुबह साढ़े नौ बजे सुनवाई आरंभ करने की पहल पर भी विमर्श जारी है। सरकार ने मानसून सत्र में कुछ बदलावों के साथ मध्यस्थता विधेयक लाने का संकेत दिया है। न्यायालयों में मुकदमों के अंबार से सभी पक्ष चिंतित हैं। इस अंबार को कम करने के लिए कोई ऐसी रणनीत...