Monday, April 21"खबर जो असर करे"

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सुखद होती भारतीय एथलेटिक्स की तस्वीर

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- योगेश कुमार गोयल विभिन्न अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ी पिछले कुछ समय से बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। देश को गौरवान्वित करते ऐसे ही खिलाड़ियों में भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा भी शामिल हैं, जिन्होंने टोक्यो ओलम्पिक में इतिहास रचने के एक साल बाद पिछले दिनों अमेरिका के ओरेगन में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। ओलम्पिक खेलों में 121 वर्षों के इतिहास में कोई भी भारतीय एथलीट पदक नहीं जीत सका था और नीरज ओलम्पिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बने थे। टोक्यो में स्वर्ण पदक पदक जीतकर नीरज ने भारतीय एथलेटिक्स के एक नए युग की शुरुआत की थी और अब वह विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में भारत का 19 साल का सूखा भी खत्म कर दिया। उल्लेखनीय है कि विश्...

महात्मा गांधी का सामाजिक प्रयोग

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- गिरीश्वर मिश्र आजकल विभिन्न राजनीतिक दलों के लोक लुभावन पैंतरों और दिखावटी सामाजिक संवेदनशीलता के बीच स्वार्थ का खेल आम आदमी को किस तरह दुखी कर रहा है यह जगजाहिर है। परंतु आज से एक सदी पहले पराधीन भारत में लोक संग्रह का विलक्षण प्रयोग हुआ था। इंग्लैण्ड, दक्षिण अफ्रीका और भारत में जीवन का अधिकांश हिस्सा बिताने के बाद उम्र के सातवें दशक में पहुंच रहे अनुभवी-परिपक्व गांधीजी ने आगे के समय के लिए वर्धा को अपनी कर्मभूमि बनाया था। नागपुर से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वर्धा अब रेल मार्गों और कई राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ चुका है। तब महात्मा गांधी ने धूल-मिट्टी-सने और खेती-किसानी के परिवेश वाले इस पिछड़े ग्रामीण इलाके को चुना और गाँव के साधारण किसान की तरह श्रम-प्रधान जीवन का वरण किया। इसके पीछे उनकी यह सोच और दृढ़ विश्वास था कि भारत का भविष्य देश के गाँवों के सशक्त होने में निहित है। उनकी दृ...

मप्र को “बाघ प्रदेश” बनने में राष्ट्रीय उद्यानों के प्रबंधन की मुख्य भूमिका

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- ऋषभ जैन सभी वन्य जीवों में बाघ को विशाल हृदय वाला संभ्रांत प्राणी माना जाता है। यह गर्व की बात है कि देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश में है और मध्यप्रदेश को बाघ प्रदेश का दर्जा मिला है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई मध्यप्रदेश के लिये विशेष महत्व का दिन है। यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाघों की जातियों की घटती संख्या, उनके अस्तित्व और संरक्षण संबंधी चुनौतियों के प्रति जन-जागृति के लिए मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष विश्व बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाए जाने का निर्णय वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग बाघ सम्मेलन में किया गया था। इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक वे बाघों की आबादी दोगुनी कर देंगे। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मध्यप्रदेश में बाघों के प्रबंधन में निरंतरता और उत्तरोत्तर हुए सुधार बहुत महत्वपूर्ण हैं। बाघों की संख्या में 33 प्रतिशत की वृ...

सरकारी कार्यालयों, संपत्तियों में नहीं हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था!

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- अखिलेश दुबे मॉनसून का आगाज हो चुका है और बरसने वाले पानी को सहेजने के प्रयास नहीं किये जाने से इस साल भी यह पानी जमीन शायद ही सोख पाये। आने वाले साल में भूमिगत जलस्तर और नीचे चला जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये। जिला प्रशासन के साथ ही साथ स्थानीय निकाय भी इस दिशा में संजीदा नहीं दिख रहे हैं। जिले में भूमिगत जल स्तर तेजी से गिर रहा है यह बात किसी से छुपी नहीं है। गिरते भूमिगत जल स्तर और रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर सोशल मीडिया में चर्चाएं तो जमकर होती हैं पर ये चर्चाएं मोबाईल तक ही सीमित रह जाती हैं। इसका कारण यह है कि इसे अमली जामा पहनाने का काम जिन एजेंसीज का है वे इस मामले में पूरी तरह मौन ही साधे रहती हैं। लगातार नीचे खिसक रहे भू-जल को थामने के लिये और पानी की किल्लत से बचाव के लिये प्रत्येक भवन के लिये वाटर हार्वेस्टिंग प्लान अनिवार्य अवश्य कर दिया गया है, लेकिन नगरीय एवं ग...

नई नीति में बढ़िया पढ़ाई, अच्छे दिनों की खुशबू आई

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कुछ दिन पहले काशी में गण्यमान्य शिक्षाविदों के सम्मेलन में नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर लंबा और सार्थक विमर्श किया गया। इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। नई शिक्षा नीति पर प्रधानमंत्री का नजरिया बिलकुल साफ है। वह कह चुके हैं कि कुछेक भाषाओं के वर्चस्व के कारण बौद्धिक आदान-प्रदान और कौशल वृद्धि का दायरा सिकुड़ा है। इस प्रवृति को रोकने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा जैसे चिकित्सा और प्रौद्योगिकी में शिक्षा सुविधाओं को सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। सरकार का प्रयास है कि कोई भी भारतीय सर्वश्रेष्ठ ज्ञान, कौशल, सूचना और अवसरों से वंचित न रहे। भारतीय भाषाओं का विकास केवल एक भावनात्मक मुद्दा नहीं है बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ा वैज्ञानिक आधार है। पिछले दो वर्षों से शिक्षा नीति पर सफल कार्यान्वयन चल रहा...

आदिवासी भारत और कनाडा के

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत में आदिवासियों को कितना महत्व दिया जाता है, इसे आप इसी तथ्य से समझ सकते हैं कि इस समय भारत की राष्ट्रपति आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू हैं। देश के तीन राज्यपाल भी आदिवासी हैं। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके मूलतः मध्य प्रदेश की हैं। आदिवासियों के लिए कई पहल की हैं। भारत में कई आदिवासी मुख्यमंत्री और मंत्री हैं और पहले भी रहे हैं। संसद में भी भारत के लगभग 50 सदस्य आदिवासी ही होते हैं। कई विश्वविद्यालयों के उपकुलपति और प्रोफेसर भी आदिवासी हैं। भारत के कई डाक्टर और वकील भी आपको आदिवासी मिल जाएंगे। सरकारी नौकरियों और संसद में उन्हें आरक्षण की भी सुविधा है लेकिन आप जरा जानें कि अमेरिका और कनाडा के आदिवासियों का क्या हाल है। मैं अपनी युवा अवस्था से इन देशों में पढ़ता और पढ़ाता रहा हूं। मुझे इनके कई आदिवासी इलाकों में जाने का मौका मिला है। यह संयोग है कि मेरे साथी छा...

नहीं रहेंगे पहाड़ और जंगल तो कैसा होगा जीवन

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- योगेश कुमार गोयल दुनिया में मौसम के तेजी से बिगड़ते मिजाज के कारण विभिन्न देशों में प्रकृति की मार नजर आने लगी है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम है कि इस साल देश के कई हिस्से भारी बारिश के कारण बाढ़ की वजह से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं जबकि कई हिस्से मानसून शुरू होने के एक महीने बाद भी ठीक-ठाक बारिश को तरस रहे हैं। दुनिया के कई ठंडे इलाके भी इस वर्ष ग्लोबल वार्मिंग के कारण तप रहे हैं तो कई सूखे इलाके बाढ़ से त्रस्त हैं। जंगल झुलस रहे हैं। बिगड़ते पर्यावरणीय संतुलन और मौसम चक्र में आते बदलाव के कारण पेड़-पौधों की अनेक प्रजातियों के अलावा जीव-जंतुओं की कई प्रजातियों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पर्यावरण के तेजी से बदलते इस दौर में वैश्विक स्तर पर लोगों का ध्यान इन समस्याओं की ओर आकृष्ट करने के लिए प्रतिवर्ष 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है, ...

जेईई व नीट 2023 की प्रभावी तैयारी के लिए ऑनलाइन क्वालिटी कोचिंग सस्ती

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- अरविंद इंजीनियरिंग एवं मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिये विद्यार्थियों को अब महंगी कोचिंग लेने की आवश्यकता नहीं रही। शिक्षा नगरी के प्रमुख कोचिंग संस्थान ‘ई-सरल’ ने जेईई एवं नीट-यूजी, 2023 एवं कक्षा-9वीं व 10वीं के विद्यार्थियों के लिये न्यूनतम कोचिंग फीस पर विशेष कोर्स ‘पढो इंडिया’ मूवमेंट लांच किया है। ई-सरल के सह-संस्थापक एवं मैथ्स के एचओडी डॉ. एनके गुप्ता ने बताया कि इस विशेष कोर्स में अनुभवी फैकल्टी द्वारा स्टडी मैटेरियल तैयार किया गया है। इस कोर्स में कक्षा-11वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों को मात्र 3200 से 3900 रुपये फीस में पूरे साल ऑनलाइन कोचिंग दी जायेगी। इसी तरह, कक्षा-9वीं एवं 10वीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिये वार्षिक फीस मात्र 1200 रू होगी। एक लाख घंटे के वीडियो लेक्चर संस्थान के सह-संस्थापक एवं फिजिक्स के एचओडी आईआईटीयन सारांश गुप्ता ने बताया कि ई-सरल की टीचि...

सार्वजनिक जीवन में मर्यादा की जरूरत

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- गिरीश्वर मिश्र देश को स्वतंत्रता मिली और उसी के साथ अपने ऊपर अपना राज स्थापित करने का अवसर मिला। स्वराज अपने आप में आकर्षक तो है पर यह नहीं भूलना चाहिए कि उसके साथ जिम्मेदारी भी मिलती है। स्वतंत्रता मिलने के बाद आजादी का स्वाद तो हमने चखा पर उसके साथ की जिम्मेदारी और कर्तव्य की भूमिका निभाने में ढीले पड़ कर कुछ पिछड़ते गए। देश को देने की जगह शीघ्रता और आसानी से क्या पा लें, इस चक्कर में भ्रष्टाचार, भेद-भाव तथा अवसरवादिता आदि का असर बढ़ने लगा। इसीलिए देश के आम चुनाव में कई बार भ्रष्टाचार एक मुख्य मुद्दा बनता रहा। देश की जनता उससे मुक्ति पाने के लिए वोट देती रही है। परन्तु परिस्थितियों में जिस तरह का बदलाव आता गया है उसमें देश की राजनीतिक संस्कृति नैतिक मानकों के साथ समझौते की संस्कृति होती गई। आज की स्थिति में धनबल, बाहुबल, परिवारवाद के साथ राजनीति के किरदारों की अपराध में संलिप्तता किस जोर...