ग्लोबल वार्मिंग के चलते कश्मीरी केसर पर गहराया संकट, 90 फीसदी फसल में आई गिरावट
श्रीनगर । कश्मीर घाटी में केसर विरासत का प्रतीक है। किसानों के लिए आय का अहम साधन है, लेकिन आज इसकी खेती पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, इस पारंपरिक खेती पर संकट गहराता जा रहा है।
बेमौसम गर्मी और घटती बारिश-बर्फबारी ने केसर की खेती के लिए जरूरी पर्यावरणीय संतुलन बिगाड़ दिया है। घाटी के किसानों का कहना है कि 80 के दशक के मुकाबले ग्लोबल वार्मिंग से करीब 90 फीसदी फसल में गिरावट आई है।
फसल को बचाएगी ड्रिप इरीगेशन तकनीक : डॉ. समीरा
शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय (स्कॉस्ट) शरनगर में एग्रोमेट्रोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. समीरा कयूम ने केसर उत्पादन प्रभावित होने के पीछे ग्लोबल वार्मिंग को एक बड़ा कारण बताया। उन्होंने अमर उजाला के साथ विशेष बातचीत में कहा कि इस फसल के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि सितंबर में बारिश हो। फूल निकलने से पहले बारिश जरूरी है। नमी की कमी से...