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कैट ने नेशनल ट्रेड पॉलिसी लाने की पहल का किया स्वागत

नई दिल्ली (New Delhi)। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) (Department of Industrial Policy and Promotion (DPIIT)) की ओर से नेशनल ट्रेड पालिसी (national trade policy) लाए जाने का कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने स्वागत किया है। कैट ने एक बयान में कहा कि इस कदम से भारत के खुदरा व्यापार में निश्चित रूप से काफी बढ़ोतरी होगी। कैट लंबे समय से इस मांग को जोरदार तरीके से हर फोरम पर उठाता रहा है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने संयुक्त बयान में कहा है कि इस पॉलिसी में एक विशिष्ट प्रावधान होना चाहिए, जिसके अंतर्गत रिटेल व्यापार के केवल 20 प्रतिशत तक के हिस्से को ही ऑनलाइन बेचे जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि इस पॉलिसी को लागू करने से पहले व्यापारियों को विश्वास में लिया जाना बेहद जरूरी है।

कैट की ओर से कहा गया है कि भारतीय रिटेल बाजार का टर्नओवर सालाना 130 लाख करोड़ रुपये का टर्नओवर है, जो हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। बयान में कहा गया है कि भारत में अर्थव्यवस्था के सभी वर्गों के लिए मंत्रालय भी है और पॉलिसी भी, किन्तु विशालकाय भारतीय रिटेल व्यापार के लिए न तो कोई मंत्रालय है एवं न कोई पॉलिसी। इसलिए राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए एक बूस्टर साबित होगी।

ये जानना भी जरूरी है कि देश के रिटेल व्यापार में लगभग 80 प्रतिशत खुदरा व्यापार पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं अर्थात गैर कॉर्पोरेट खुदरा क्षेत्र द्वारा किया जाता है। इसके अलावा कॉर्पोरेट खुदरा क्षेत्र द्वारा लगभग 10 प्रतिशत, ई-कॉमर्स द्वारा लगभग 7 प्रतिशत और प्रत्यक्ष बिक्री द्वारा लगभग 3 प्रतिशत हिस्से का कारोबार होता है।

कैट के बयान में कहा गया है कि ई-कॉमर्स नीति और ई-कॉमर्स व्यापार के लिए नियमों के अभाव में नेशनल ट्रेड पॉलिसी एक अधूरी कवायद साबित होगी, जो केवल आंशिक रूप से लाभकारी होगी। रिटेल व्यापार के चार वर्ग कॉरपोरेट रिटेल, गैर-कॉरपोरेट रिटेल, ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग हैं। इसलिए एक सशक्त एवं सभी मायने में पूर्ण नेशनल रिटेल ट्रेड पालिसी लागू होनी चाहिए, जिसके तहत इस काम में लगे चारों वर्ग आपसी सहभागिता के साथ काम कर सकें और एक-दूसरे के व्यापार को हानि न पहुंचाएं। (एजेंसी, हि.स.)