Friday, September 20"खबर जो असर करे"

कैट ने सरकार से ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बाद राष्ट्रीय जवाबदेही कानून की मांग की

-ट्विन टावर ध्वस्तीकरण मामले में जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई न होना निराशाजनक

नई दिल्ली। देश में व्याप्त भ्रष्टाचार (Corruption) का प्रतीक यूपी के नोएडा (Noida) में ट्विन टावरों को ध्वस्त (Twin towers demolished) करना बिल्डरों, सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत का भयावह गठजोड़ का बेशर्मी भरा उदाहरण है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने रविवार को यह बात कही। खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अधिकारियों और राजनेताओं की जवाबदेही तय करने और उनको दंडित करने के लिए एक राष्ट्रीय जवाबदेही कानून बनाने की जोरदार मांग भी की है।

खंडेलवाल ने दृढ़ता से कहा कि वर्तमान स्थिति में सरकारी प्रशासन को अधिक चुस्त-दुरुस्त करने तथा जिम्मेदार बनाने के लिए एक राष्ट्रीय जवाबदेही कानून के गठन की नितांत जरूरत है। कैट महामंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में पहली बार इतना बड़ा कदम उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट और मोदी तथा योगी सरकार दोनों को बधाई दी, लेकिन यह भी कहा कि इस बात का गहरा खेद है कि अभी तक जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों और तत्कालीन संबंधित राजनेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

खंडेलवाल ने कहा कि इस मामले में जहां देश का बड़ा नुकसान हुआ है। वहीँ, बड़ी संख्यां में लोगों के अपना घर होने का सपना पूरी तरह से टूट गया है, जबकि जिन अधिकारियों की मिलीभगत से यह निर्माण हुआ वो आज भी सरेआम खुले घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 अप्रैल, 2014 को निर्देश दिया कि नोएडा प्राधिकरण के जिन अधिकारियों ने निर्माण की स्वीकृति दी है। उनकी पहचान कर उनके विरुद्ध उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास क्षेत्र अधिनियम 1976 के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाया जाए और यूपी अपार्टमेंट अधिनियम, 2010 के तहत भी उनके खिलाफ कार्रवाई हो।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन यह बेहद खेदजनक है कि अभी तक जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो इस तरह के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था। इतना ही नही, उन जिम्मेदार राजनेताओं के खिलाफ भी कोई कदम नहीं उठाया गया, जो ऐसे अधिकारियों का संरक्षण दे रहे थे। खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली में 2007 से 2009 तक यही स्थिति रही थी, जब दिल्ली के व्यापारियों के खिलाफ सीलिंग और तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई थी।

खंडेलवाल ने कहा कि अवैध निर्माणों को संरक्षण देने वाले किसी एक अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। देशभर में ऐसे हजारों उदाहरण हैं, जहां अधिकारी अपने आधिकारिक दायित्वों का पालन नहीं करने और कर्तव्यों का निर्वहन करने में अक्षम साबित हुए और उनके खिलाफ कभी भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि उनके प्रशासनिक सुधारों के एजेंडे के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में राष्ट्रीय जवाबदेही कानून का एक तंत्र तुरंत बनाया जाए, जिसमें अधिकारियों की जिम्मेदारियों का समय पर निर्वहन न करने और कर्तव्य की उपेक्षा के लिए उन पर दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान हो। (एजेंसी, हि.स.)