– विक्रम उपाध्याय
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने उम्मीद से कहीं अधिक अच्छा बजट पेश किया है। जिनको भी यह आशंका थी कि देश अन्य बड़े देशों की तरह मंदी के दौर में प्रवेश कर रहा है और सरकार भी आर्थिक दुष्चक्र में फंस रही है, उन्हें घोर निराशा मिली है और जिनको यह भरोसा था कि वैश्विक स्तर पर भारत अकेला देश होने वाला है, जो न सिर्फ कोविड और युद्ध के प्रभाव से खुद को निकाल लेगा, बल्कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में खड़ा हो जाएगा, उसके लिए यह बजट सोने में सुहागा है। उद्योग जगत इतना गदगद है कि वह इस बजट को 10 में से 20 नंबर देने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आर्थिक सर्वेक्षण के आने के बाद कहा था कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पूरा प्रयास करेंगी कि यह बजट आंकाक्षाओं और अपेक्षाओं का बजट होने के साथ एक ग्लोबल सितारा के रूप में देश को आगे बढ़ाने वाला बजट पेश करें। और ऐसा ही हुआ। वित्त मंत्री ने इस बजट में भरपूर पैसा, लगभग सभी क्षेत्रों में नई टैक्नोलाॅजी का रोड मैप और भविष्य को संवारने वाला मार्ग दर्शन भी प्रस्तुत किया। 10 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय का बजट, 22 लाख करोड़ रुपये का कृषि लोन, 7900 करोड़ रुपया की आवास योजना, दो लाख 40 हजार करोड़ रुपये रेलवे के लिए और हजारों करोड़ रुपये की सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं एक मजबूत अर्थव्यवस्था के बजट की गारंटी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के भविष्य को संवारने वाले कई प्रयोजनों की घोषणा की है, जिससे आने वाले साल में भारत की तस्वीर बदल सकती है।
आठ साल में भारत की तस्वीर वैसे काफी बदल गई है। जब से नरेन्द्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है, भारत में प्रति व्यक्ति की आय बढ़कर दोगुनी हो गई है। वित्तमंत्री ने बजट भाषण में यह बताया कि इस समय भारत में प्रति व्यक्ति आय एक लाख 97 हजार रुपये है जो कि अब तक का सबसे अधिक है। आज भारत में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोता। मुफ्त खाद्यान्न योजना कोविड के दौरान प्रारंभ की गई थी वह आगे एक साल के लिए और बढ़ा दी गई है और उसके लिए बजट में दो लाख करोड़ रुपये का प्रावधान कर दिया गया है। आम गरीब का जीवन सरल और सुविधायुक्त रहे, इसका प्रयास लगातार आठ साल से यह सरकार करती आ रही है और इस प्रयास का परिणाम भी सामने है। मोदी सरकार ने इस दौरान 11 करोड़ 70 लाख घरों में शौचालय का निर्माण किया है, नौ करोड़ घरों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराया है, वैक्सीन की 220 करोड़ डोज मुफ्त उपलब्ध कराई गई है। पीएम जनधन स्कीम के तहत 47 करोड़ 80 लाख लोगों के खाते खुलवाए गए हैं और दो लाख 20 हजार करोड़ रुपये पीएम किसान निधि योजना के तहत देश के किसानों को सीधे लाभ पहुंचाया है।
यह देश किसानों का है, उनकी आय बढ़े बिना वास्तविक तरक्की नहीं हो सकती। इस बार के बजट में मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए भरपूर वित्त की व्यवस्था के साथ ही उसे टेक्नोलाॅजी और अनुसंधान से सीधे जोड़ दिया है। 22 लाख रुपये के कृषि लोन के प्रावधान के साथ साथ छह हजार करोड़ रुपये का अलग प्रावधान मछुआरों के लिए भी किया गया है। खेती एक विरासत है और इस विरासत को बचाने के लिए इस बजट में गजब का प्रावधान किया गया है। सरकार इस साल एक करोड़ किसानों को रासायनिक खादों के बिना एवं पूरी तरह जैविक खेती के लिए चुनेगी और उन्हें विशेष प्रोत्साहन देगी ताकि हमारी परंपरागत खेती बची रहे और रासायनिक खादों व कीटनाशकों के आयात को भी कम किया जा सके।
स्टार्टअप्स के मामले में भारत विश्व में तीसरा सबसे अधिक स्टार्टअप्स वाला देश है। प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुरूप इस बजट में कृषि क्षेत्र में लिए स्टार्टअप्स की भूमिका बड़ी कर दी गई है। ये स्टार्टअप्स किसानों को यह जानकारी देंगे कि किस क्षेत्र में कौन सी फसल लगाएं। देखभाल कैसे करें। इनकी उत्पादकता कैसे बढ़ाएं और इन्हें कहां और कैसे बेचे। इसी क्रम में सरकार ने सहकारी संस्थाओं को भी इस बजट के जरिए नई जिम्मेदारी है। सहकारी संस्थाएं कृषि उपजों के उचित भंडारण के लिए ढांचागत व्यवस्था का निर्माण करेंगी ताकि किसान उचित समय में अपनी उपज को बाजार में बेचकर अधिकतम मुनाफा कमा सके।
कृषि के साथ सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और कोरोना के बाद इन पर ही सबसे अधिक मार पड़ी है। सरकार ने आज इनके लिए कई बजटीय प्रावधानों की घोषणा की है। एक तो कोविड के दौरान परियोजनाओं को पूरा नहीं करने के कारण जिन एसएमई इकाइयों की धरोहर राशि या प्रोफारमेंस गारंटी के रूप में काटी गई राशि को जब्त कर ली गई थी, वे अब सब लौटाई जाएंगी। दूसरा दो लाख करोड़ रुपये का लोन फंड सृजित किया गया है और क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत बिना किसी कोलेटरल के लोन के लिए भी 9 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। एसएमई इकाइयों को सरकार केवल एक प्रतिशत ब्याज पर यह लोन जारी करेगी।
इस बजट की सबसे बड़ी घोषणा पूंजीगत खर्च की राशि में बढ़ोतरी करना है। सरकार ने पिछले साल की तुलना में इस साल 33 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 10 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत व्यय की घोषणा की है। पूंजीगत व्यय का आशय ऐसे खर्च से है, जिससे सराकर देश के लिए संपत्ति का निर्माण करती है। यह मुख्यतौर पर ढांचागत विकास, मशीनरी और कार्यशील पूंजी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसका आशय है कि सरकार 10 लाख करोड़ रुपये सड़क, बंदरगाह, एयरपोर्ट, रेलवे और अन्य ट्रांसपोर्ट मोड पर खर्च करेगी। इससे देश में बड़े पैमाने पर रोजगार उत्पन्न होगा, क्योंकि ढांचागत क्षेत्र में व्यय का मतलब, सीमेंट, स्टील, ट्रांसपोर्ट और अन्य सहयोगी उद्योगों में भी विकास होना है।
रही बात कर और शुल्क के ढांचे में परिवर्तन की, तो इस बजट में जहां उद्योगों के लिए राहत दी गई है। वही आम और सैलरी क्लाॅस के लोगों के लिए बड़े तोहफे का ऐलान किया गया है। भारत पूरी दुनिया के लिए एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बने इसके लिए आयात शुल्कों में कुछ छूट के ऐलान किए गए हैं, खासकर मोबाइल, टीवी, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जरूरी कच्चे माल के आयात को आसान बना दिया गया है। बहुत दिनों से यह कहा जा रहा था कि मध्य आयवर्ग के लिए यह सरकार कुछ नहीं कर रही है, जबकि यह वर्ग ही देश के उपभोक्ता बाजार को संभालता है। इस बजट में सारी शिकायतें दूर कर दी गई हैं। टैक्स डिडक्शन की सीमा तीन लाख करने के साथ ही अब सात लाख की आय को कर मुक्त कर दिया गया है। टैक्स स्लैब भी ऐसा बना दिया गया है कि अधिकतर करदाताओं को इसका लाभ मिल सकता है। तीन लाख तक निल और तीन से छह लाख तक केवल पांच प्रतिशत कर की दर रखी गई है। अब 15 लाख से अधिक आय वालों को ही 30 प्रतिशत का कर देना है।
कुल मिलाकर इसे भविष्यपरक बजट कहा जा रहा है। यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में न सिर्फ भारत दुनिया का सबसे अधिक तेजी से बढ़ रही अर्थव्यस्था बना रहेगा, बल्कि पांच ट्रिलियन की इकोनोमी बनने की दिशा में तेजी से बढ़ेगा और जर्मनी एवं जापान को पीछे छोड़कर चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं।)