Friday, November 22"खबर जो असर करे"

भाजपा की उत्तर-पूर्व विजय-गाथा और मिशन-2023

– अजय दीक्षित

सन् 2023 में विधानसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी ऐसे लोगों को तैयार कर रही है, जिनकी समाज में अच्छी पकड़ है। साथ ही, विदेशों में बसे प्रदेश के नौकरीपेशा और बिजनेसमैन लोगों को लुभाया जा रहा है, जिससे वे भाजपा के फेवर में माहौल बना सकें। इसके लिए पार्टी का विदेश सम्पर्क विभाग तेजी से काम कर रहा है। विदेश सम्पर्क विभाग ने दो बड़े कार्यक्रमों के जरिए विदेशों में बसे मध्य प्रदेश के युवाओं और परिवारों को जोड़ने की शुरुआत की है। इन्हें लगातार प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और आयोजनों में वर्चुअली जोड़ा जायेगा।

सन् 2018 में हुए विधानसभा चुनाव मे मामूली अन्तर से भाजपा प्रदेश की सत्ता से बाहर हो गई थी। हालांकि बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद भाजपा फिर काबिज हो गई। एंटी इन्कमबेंसी से निपटने बीजेपी अब कैंपेन चला रही है। भाजपा विदेश सम्पर्क विभाग ने प्रदेश के ऐसे परिवारों में मिठाई और बधाई संदेश पहुंचाया, जिनके बेटा-बेटी या परिजन विदेशों में बसे हैं। भोपाल के भटीजा परिवार का बेटा भवनेश भटीजा स्विटजरलैंड में है। विदेश सम्पर्क विभाग की टीम ने उनके घर पहुंचकर दिवाली की मिठाई देकर बधाई दी। डॉ. दीपक कौल का बेटा वाशिंगटन में पढ़ाई कर रहा है। डॉ. दीपक के घर टीम ने मिठाई देकर आशीर्वाद लिया। इसी तरह, कुलवंत कौर सैनी का बेटा मनप्रीत सिंह सैनी जर्मनी में हैं।

दिवाली की बधाई पाकर गगनदीप सिंह सैनी भी भावुक हो उठे। विदेश सम्पर्क विभाग के सह-संयोजक सुधांशु गुप्ता ने उन्हें गले से लगा दिया । गगनदीप की मां कुलविंदर कौर और भाई सुरजीत कनाडा में हैं । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने करीब 40 देशों में बसे भारतीयों से वर्चुअल मीटिंग कर महाकाल लोक का लोकार्पण कार्यक्रम देखने की अपील की थी। इस पर विदेशों में बसे मध्य प्रदेश के नागरिकों और भारतीयों ने लाइव प्रसारण देखा था। उज्जैन के कार्यक्रम के बाद दुनिया भर से मध्य प्रदेश के नागरिकों ने इसका अच्छा फीडबैक दिया था।

बीजेपी नेतृत्व का प्लान है कि विदेशों में बसे भारतीयों और मध्यप्रदेश के नागरिकों, स्टूडेंट्स, बिजनेसमैन वर्ग को सोशल मीडिया पर सरकार द्वारा किये जा रहे कामों का फीडबैक शेयर करने के लिए तैयार किया जाये। पार्टी के लोग मानते हैं कि सोशल मीडिया का नेटवर्क ग्लोबल है। दूसरे देशों में बसे प्रदेशवासियों से उनके परिवार, दोस्त और मध्य प्रदेश के लोग इससे जुड़े हैं। ऐसे में एनआरआई यदि भाजपा सरकार के कामों की सराहना करेंगे, तो सकारात्मक माहौल बनेगा।

मिशन 2023 को लेकर बीजेपी के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। बढ़ती मंहगाई, बेरोज़गारी, आदिवासी आन्दोलन के अलावा महिला अपराध जैसे कई मुद्दों पर बीजेपी को चुनौती मिल रही है। चुनाव में सकारात्मक बनाने के लिए प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने रिटायर्ड आईएएस और आईपीएस अफसरों को जोड़ने के लिए पिछले हफ्ते भोपाल के भोजपुर क्लब में बैठक की थी। बीजेपी एफपीओ ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े रिटायर्ड आईएएस एसएनएस चौहान ने बैठक के लिए मध्यस्थता की थी। मीटिंग में सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर ऋषि कुमार शुक्ला, पूर्व डीजीपी स्वराज पुरी, पूर्व आईएएस एसके मिश्रा, अजातशत्रु रघुवीर श्रीवास्तव, एसएस उप्पल, महेश चौधरी, कविन्द्र कियावत, डीडी अग्रवाल एस एन रूपला, केपी राही, एसएनएस चौहान, नरेश पाल, बीएस कुलेश, अशोक वर्मा, राजीव सक्सेना, पूर्व आईपीएस आरके मराठे, अरुसिया समेत अन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी।

बैठक में शामिल हुये एक अफसर ने बताया कि भाजपा नेतृत्व की अपेक्षा है कि एलीट क्लास से सार्वजनिक फीडबैक मिले। भाजपा द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और महाकाल लोक, खंडवा फ्लोटिंग सोलर प्लांट जैसे बड़े प्रोजेक्ट के फायदे समाज को बताएं। देखें इस योजना से क्या लाभ मिलता है। फिलहाल हम सभी को यह समझना होगा कि भाजपा मात्र हिन्दी प्रदेश की हिन्दू पार्टी नहीं है, उसका पूरे भारत में वर्चस्व है। अटल बिहारी वाजपेयी ने पूर्वोत्तर के विकास को लेकर अलग से मंत्रालय बनाया था जो ‘डोनर’ नाम से प्रसिद्ध है । DONER अर्थात् डेवलपमेन्ट ऑफ नॉर्थ ईस्ट रीजन। प्रधानमंत्री मोदी व केन्द्र के अन्य नेता बहुत बार उत्तर-पूर्व का दौरा कर चुके हैं। वे उत्तर-पूर्व को भारत का अभिन्न अंग मानते हैं। यह भी आरोप लगाया जाता है कि नेहरू जी ने तो 1962 के चीन युद्ध के बाद असम को ‘बाय बाय’ कर दिया था।

उत्तर-पूर्व में आठ राज्य आते हैं- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैण्ड, मिजोरम, सिक्किम, असम, त्रिपुरा और मेघालय। आज इन आठ राज्यों में से छह राज्यों में भाजपा की सरकार है या भाजपा उन सरकारों में पार्टनर है। असम में 2016 और 2021 से भाजपा की सरकार है, त्रिपुरा में 2018 से भाजपा की सरकार है, अरुणाचल प्रदेश में 2016 और 2019 से भाजपा की सरकार है, 2003 में तो तत्कालीन मुख्यमंत्री गिगौन अपांग कांग्रेस से नाता तोड़ कर सारे विधायक भाजपा में शामिल हो गये थे।

मणिपुर में 2017 और 2022 से भाजपा की सरकार है। नागालैण्ड में 2018 से भाजपा सरकार में एक सहयोगी दल है। मेघालय में भी भाजपा सरकार में जूनियर पार्टनर है। मिजोरम और सिक्किम में भाजपा आधिकारिक रूप से सरकार में नहीं है फिर भी वहां की क्षेत्रीय पार्टी केन्द्र से टकराव में नहीं है। छोटी-छोटी बातों में कभी-कभी टेंशन जरूर हो जाती है। वहां के सत्ताधारी दल अभी भी नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक एलाइंस से जुड़े हैं जिसमें भाजपा भी शामिल है।

सन् 2014 में भाजपा उत्तर पूर्व में लोकसभा के लिए 32% सीटें जीत पाई थी परन्तु 2019 में यह प्रतिशत बढ़कर 56 हो गया। भाजपा अपने को हिन्दी-हिन्दू पार्टी के टैग से अलग होना चाहती है यद्यपि उसके प्रवक्ता अभी भी हिन्दुत्व की बात करते हैं। अभी बौद्धों के सम्मेलन में दिल्ली में जो शपथ ली गई जिसमें हिन्दू देवी-देवताओं को नकारा गया, वह डॉक्टर अम्बेडकर का नारा है और हर वर्ष लाखों बौद्ध उस शपथ को दोहराते हैं। नागालैण्ड और मिजोरम में यद्यपि उनके अपने प्रकृत धर्म हैं फिर भी वे ईसाई हो गए हैं और उनकी परम्पराएं और रीति-रिवाज हिन्दू रीति-रिवाजों से मेल नहीं खाते।

असल में कुल जनसंख्या का 34.2% मुसलमान है। वहां बांग्लादेश से घुसपैठ की भी प्रबल समस्या है। नागालैण्ड में 88%, मेघालय में 75%, और अरुणाचल प्रदेश में 33% ईसाई हैं। अरुणाचल में बड़ी संख्या में बौद्ध भी हैं। असल में उत्तर-पूर्व में भौगोलिक कारण ही नहीं हैं। वहां का पहनावा, खानपान, रीति रिवाज भी हिन्दू रीति-रिवाज से मेल नहीं खाते परन्तु उत्तर पूर्व में राजनैतिक दृढ़ता की कमी है। आज जो लोग भाजपा में हैं उनमें से 50% पहले किसी दूसरे राजनैतिक दल में थे। मणिपुर और असम के वर्तमान मुख्यमंत्री तो पहले कट्टर कांग्रेसी थे। मणिपुर में 80% वर्तमान मंत्री पहले कांग्रेस में थे। अब केन्द्रीय सरकार ने उत्तर पूर्व के सभी आठ राज्यों को बड़े पैमाने पर केन्द्रीय फण्ड आवंटित किया है।

त्रिपुरा, नगालैण्ड और मेघालय में सन् 2023 में राज्यों की विधानसभा के लिए चुनाव होंगे। उत्तर-पूर्व के लोगों के साथ दिल्ली और दूसरे शहरों में हो रहे भेदभाव के प्रति भी केन्द्रीय सरकार अब जागरूक है और वह अपराधियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने को तैयार है। विकास की धारा उत्तर पूर्व में बहने लगी है। बिजली की आपूर्ति में उछाल आया है। सन् 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 14 सीटें जीती है जबकि 2014 में उसके पास मात्र छः सीटें थीं। अन्य क्षेत्रीय दलों की पहचान भी कम हुई है। लगता है कि आगामी चुनाव में भाजपा मध्य प्रदेश में ही नहीं अन्य राज्यों के साथ केंद्र स्तर पर भी अच्छा प्रदर्शन करेगी ।

(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं।)