Friday, November 22"खबर जो असर करे"

मणिपुर में शांति बहाली का बड़ा प्रयास

– दीपक कुमार त्यागी

मणिपुर की राज्य सरकार और केन्द्र सरकार का यह दायित्व है कि वह देशहित में वहां जल्द शांति बहाली करके, फिर से मैतेई व नगा-कुकी समुदाय में आपस में विश्वास बहाली के लिए दूरगामी ठोस रणनीति बनाकर जातीय विद्वेष को समाप्त करने के लिए धरातल पर कार्य करें। वैसे हाल ही में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने मणिपुर दौरे के दौरान ठोस पहल की है। भारत के सीमावर्ती पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किलोमीटर है और वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी 2,855,794 है। यह राज्य अपनी विभिन्न विविधताओं को एक सूत्र में पिरोकर संजोकर रखने वाले एक बेहद संवेदनशील राज्य माना जाता है।

मणिपुर की सीमाएं उत्तर में नगालैंड और दक्षिण में मिजोरम, पश्चिम में असम के साथ पूर्व में म्यांमार देश से मिलती हैं, जो सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है। लेकिन आज चिंताजनक बात यह है कि पिछले कुछ समय से मणिपुर अपने ही निवासियों के द्वारा लगाई गई जातीय अशांति की आग में जल रहा है। मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा मिलने के बाद आरक्षण समर्थकों व विरोधियों के बीच हंगामा बरपा हुआ है। आरक्षण मिलने के बाद तीन मई 2023 को नगा व कुकी आदिवासियों ने राज्य के दस पहाड़ी जिलों में एकजुटता मार्च निकाल कर मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का विरोध दर्ज कराया था। इस दौरान कुछ अराजकतत्वों ने चुराचांदपुर में एंग्लो-कुकी युद्ध स्मारक के गेट के एक हिस्से को जलाकर चिंगारी भड़का दी। इसके बाद पूरा मणिपुर जातीय हिंसा की लपटों में झुलस गया है। हालात इस कदर बिगड़ गए कि सेना को मोर्चा संभालना पड़ा।

आज लगभग सवा महीने बाद भी राज्य के हालात पूरी तरह से नहीं सुधरे हैं। इम्फाल-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-2) हाइवे पर आज भी दंगाई कब्जा जमाए हैं। गैस, तेल, दवाई व राशन जैसी आवश्यक वस्तुओं को आम जनमानस तक पहुंचाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती बना हुआ है। मणिपुर में मई माह में भड़की हिंसा ने अब तक 105 लोगों के अनमोल जीवन को लील लिया है। हिंसा के चलते 50 हजार 650 से ज्यादा लोग बेघर होकर सरकार द्वारा बनाए 350 राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं। केंद्र सरकार की कोशिश है कि हालात पटरी पर लौटे।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 29 मई से 1 जून तक मणिपुर के दंगाग्रस्त क्षेत्रों में दौरा करा किया है। शांति बहाली के लिए धरातल पर जाकर विभिन्न क्षेत्रों में पक्ष व विपक्ष के लोगों से मुलाकात की है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि दंगाग्रस्त मणिपुर का यह दौरा किसी भी दंगाग्रस्त क्षेत्र में अब तक भारत के गृहमंत्री का सबसे लंबी अवधि का दौरा है। मणिपुर के लोगों को भी उम्मीद है कि अब जल्द ही राज्य में शांति लौटेगी। पूर्वोत्तर राज्यों के जानकार भी मान रहे हैं कि आंतरिक सुरक्षा के मामले में बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे मणिपुर में जल्द ही अमन-चैन कायम होगा। मणिपुर फिर से अपनी सांस्कृतिक विविधता को संजोते हुए विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर होकर नव भारत निर्माण में योगदान करेगा।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)