Thursday, November 21"खबर जो असर करे"

भोपाल में शुरु हुआ आम महोत्सव, नौ जिलों से आईं तरह-तरह की वैरायटी

भोपाल (Bhopal)। अगर आम के शौकीन हैं और प्राकृतिक तरीके से पके हुए आम (Naturally Ripe Mangoes) खाना चाहते हैं तो भोपाल के बिट्टन मार्केट (Bittan Market of Bhopal) स्थित नाबार्ड कैंपस (NABARD Campus) पहुंच जाइए। यहां शुक्रवार को आम महोत्सव (Mango Festival) शुरू हुआ है, जिसमें आपको एक-दो नहीं बल्कि 15-20 वैरायटी के आम का स्वाद चखने का मौका मिल जाएगा।

दरअसल, शुक्रवार को भोपाल के विट्टन मार्केट में आम महोत्सव की शुरुआत हुई। इसमें प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में उत्पादित होने वाले खास आमों को किसान बेचने के लिए लाए हैं। नाबार्ड के सहयोग से इस महोत्सव में विंध्य क्षेत्र के पहचान बन चुका सुंदरजा आम है, तो पातालकोट का जरदालू, आम्रपाली, तोतापरी, केसर, राजापुरी जैसे कई आम हैं।

नाबार्ड भोपाल के उप महाप्रबंधक अविनाश सिवलकर ने बताया कि आम महोत्सव में मध्यप्रदेश के नौ से ज्यादा जिलों से किसान भाई तरह-तरह की आमों की वैरायटी लेकर आएं है। आप भी इस महोत्सव में जाकर अपनी आम की चाह को पूरा कर सकते हैं और साथ ही इसमें आपको आम की कई नई वैरायटी भी देखने को मिलेंगी। यह आम महोत्सव 18 जून तक चलने वाला है।

यदि आप डायबिटिक हैं और इस डर से आप आम नहीं खाते तो इस डर को साइड में रखकर मध्य प्रदेश का एक खास आम सुंदरजा खूब खा सकते हैं। इसे खाने से आपकी डायबिटीज बढ़ेगी नहीं, क्योंकि इस आम में शुगर की मात्रा पांच फीसदी से भी कम होती है। इसकी मांग विदेश तक है। सुंदरजा आम मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र के रीवा, गोविंदगढ़ में होता है। इस आम को अपनी खुशबू और गुणों के चलते जीआई टैग भी मिल चुका है। इस आम को लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है।

जरदालू आम छिंदवाड़ा तामिया से किसान लेकर आए हैं। किसान संजय बोहड बताते हैं कि अधिकांश आम बड़े खरीदार खेत से ही आम की बोली लगाकर ले जाते हैं। यह आम दिल्ली, मुंबई से लेकर विदेश तक बेचा जाता है। यह आम साइज में बड़ा होता है, लेकिन इसकी गुठली छोटी होती है, जिससे इसमें पल्प ज्यादा मिलता हैं।

महोत्सव में आप एक किलो सौ ग्राम का नूरजहां आम खरीद सकते हैं। इसकी कीमत दो हजार रुपये प्रति किलो है। ये आम दो से चार किलो तक का आता है। लेकिन, महोत्सव में इस बार ज्यादा वजनी आम को नहीं लाया गया है। ये आम देश भर में कहीं नहीं होता। इस किस्म के आम का उत्पादन केवल मध्य प्रदेश के आलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा में ही किया जाता है। इस आम का उत्पादन केवल 10 पेड़ों से ही किया जाता है। दरअसल इस आम को बचाना बेहद मुश्किल होता है। क्योंकि ये आम बड़ा और वजनदार होता है। भारी होने के कारण ये हल्की सी तेज हवा से ही ये पेड़ से गिर जाता है।