बैतूल । जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखंड भीमपुर के कुछ ग्रामों में कम रकबे में उगाई जाने वाली गडमल बैतूल जिले को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायेगी। कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अथक प्रयासों के बाद राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली में हुए रिसर्च के पश्चात गडमल को नई दलहनी फसल के रूप में चिन्हित किया है। रिसर्च पेपर जमा होने सहित अन्य औपचारिकताओं के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा बैतूल जिले की गडमल को नई दलहनी फसल के रूप में पंजीकृत किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि हाई न्यूट्रीशियन वैल्यू एवं लो कार्बोहाइडे्रट से परिपूर्ण गडमल के नई दलहनी फसल के रूप में चिन्हित हो जाने के बाद इसके संरक्षण, उत्पादन बढ़ाने सहित वेल्यू एडीशन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली जवाहरलाल नेहरू कृषि वि.वि. जबलपुर तथा अन्य कृषि विश्व विद्यालयों द्वारा अनुसंधान किया जायेगा। जिसके बाद बैतूल जिले में गडमल की तकनीकि खेती की शुरूआत होगी। बैतूल जिले में नई दिलहनी फसल गडमल की खेती व्यापक पैमाने पर शुरू होने से जहां अनुसूचित जनजाति सहित अन्य वर्ग के कृषकों की आर्थिक स्थिती मजबूत होगी वही राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर बैतूल जिले को नई पहचान मिलेगी। गडमल के नई दलहनी फसल के रूप में आइडेंटीफाइड होने में कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के कृषि वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है।
केव्हीके में तीन वर्षों से हो रहे थे प्रयोग
कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के प्रमुख डॉ. व्ही.के. वर्मा ने बताया कि भीमपुर ब्लाक के दामजीपुरा सहित आसपास के ग्रामों में कुछ अजजा वर्ग के कुछ किसानों द्वारा छोटे रकबे में गडमल की खेती की जाती है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. वर्मा के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में गडमल को दलहनी फसल उड़द की प्रजाति माना जाता था। केंद्र के वैज्ञानिकों ने लगभग तीन वर्ष पूर्व गडमल के बीज लाकर कृषि विज्ञान केंद्र में प्रयोग शुरू किये गये। पहले वर्ष में गडमल की फसल फेल हो गई। जिसके बाद कृषि वैज्ञानिकों ने दामजीपुरा क्षेत्र में जाकर गडमल फसल का अवलोकन किया गया। उन्होंने बताया कि दूसरे वर्ष में प्रयोग के दौरान फसल सिर्फ फ्लाावरिंग स्टेज पर आई तबकि तीसरे वर्ष में क्रॉप सक्सेसफुल रही।
गडमल दलहनी फसल है परंतु उड़द नहीं
उन्होंने बताया कि गडमल को लेकर केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किये गये प्रयोगों के बाद यह स्पष्ट हो गया कि गडमल दलहनी फसल है परंतु उड़द नहीं है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. वर्मा ने बताया कि २० मार्च २०२२ को कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के दौरे पर आये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन उपमहानिदेशक डॉ. एस.के. चौधरी को गडमल फसल को लेकर किये गये प्रयोगों की रिपोर्ट एवं डाटा दिया गया। चौधरी रिपोर्ट के साथ ही गडमल के बीज के सैम्पल भी रिसर्च के लिए ले गये।
रिसर्च के बाद ये आया नया मोड़
उल्लेखनीय है कि कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार द्वारा गडमल को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट और बीज के सेम्पलों पर राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरों भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान किया गया। अनुसंधान की रिपोर्ट के आधार पर बैतूल जिले की गडमल को नई दलहनी फसल के रूप में चिन्हित किया गया। जिसके बाद गडमल के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरों भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार द्वारा २२ दिसंबर को दामजीपुरा ग्राम में गडमल दिवस मनाकर गडमल की पैदावार करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरों के वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप त्रिपाठी, केव्ही.के प्रमुख डॉ. व्ही.के. वर्मा, वैज्ञानिक आर.डी. बारपेटे, डॉ. मेघा दुबे शामिल हुए।
इस दौरान डॉ. त्रिपाठी द्वारा गडमल के बीज, फूल पौधे के नमूने भी एकत्रित किये। जवाहरलाल नेहरू कृषि वि.वि. जबलपुर से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के प्रमुख डॉ. वर्मा ने बताया कि वैज्ञानिक अध्ययन के पश्चात गडमल को देश और विश्व स्तर पर पहचान दिलाने एवं सुरक्षित करने के साथ ही बैतूल जिले के नाम से जीओटैग दिलवाने के प्रयास किये जायेंगे।
तरक्की का आधार बनेगी गडमल- डॉ. चौधरी
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के उप महानिदेशक डॉ. एसके चौधरी ने हिस को बताया कि भारत सरकार द्वारा दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे प्रयासों के दौर में बैतूल जिले के जनजातीय इलाकों में पैदा होने वाली गडमल का नई दलहनी फसल के रूप में चिन्हित होना बैतूल जिले के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि भविष्य में गडमल को पूर्ण खाद्य दलहनी फसल के रूप में मान्यता भी मिलेगी।
डॉ. चौधरी के मुताबिक गडमल की न्यूट्रीशियन वैल्यू अधिक होने एवं लो कॉर्ब होने के कारण यह डाइबिटिक लोगों के लिए खाद्य के रूप में अच्छा विकल्प बन सकता है। भविष्य में गडमल के वेल्यू एडीशन पर भी काम किया जायेगा। जिससे नई दलहन फसल गडमल बैतूल जिले के आदिवासी सहित अन्य वर्ग के किसानों की तरक्की का आधार बनेगी। डॉ. चौधरी के मुताबिक गडमल को नई दलहनी फसल के रूप में चिन्हित करने में कृषि विज्ञान केंद्र बैतूल के प्रमुख डॉ. व्हीके वर्मा उनकी टीम सहित राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरों के वैज्ञानिकों का विशेष योगदान रहा है।
बैतूल के लिए गौरव की बात- डॉ. वर्मा
कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के प्रमुख डॉ. व्हीके वर्मा ने हिस को बताया कि जिले के भीमपुर क्षेत्र में उत्पादित गडमल का नई दलहनी फसल के रूप में चिन्हित होना बैतूल के लिए गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि आईसीआर में रजिस्टे्रशन होने के बाद गडमल पर व्यापक पैमाने पर अनुसंधान होगा। जिसके बाद बीज तैयार करने से लेकर बीज उत्पादन कार्यक्रम में गडमल को शामिल किया जायेगा। उन्होंने बताया कि भविष्य में गडमल से बैतूल जिले को राष्ट्रीय-अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने के साथ ही इसकी खेती से जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। (हि.स.)