भोपाल (Bhopal)। मुरैना में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh .) का तीन दिवसीय प्रांत कार्यकर्ता सम्मेलन (Province Workers Conference) शनिवार को संपन्न हुआ। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Sarsanghchalak Dr. Mohan Bhagwat) की मौजूदगी में सम्मेलन के अंतिम दिन संघ के मध्य भारत प्रांत के निर्वाचन हुए, जिसमें अशोक पांडेय पुनः प्रांत संघचालक निर्वाचित हुए। इस मौके पर प्रांत संघचालक ने प्रांत कार्यकारिणी की भी घोषणा की। प्रांत सह–संघचालक के रूप में डॉ. राजेश सेठी (भोपाल) की घोषणा की गई। पूर्व में प्रांत सह–कार्यवाह हेमंत सेठिया (राजगढ़) अब प्रांत कार्यवाह नियुक्त हुए। प्रांत सह–कार्यवाह के रूप में संतोष मीणा (भोपाल) की घोषणा हुई। पूर्व प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर की घोषणा क्षेत्र कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में की गई। इससे पूर्व सम्मेलन में आठों विभागों के निर्वाचन भी संपन्न हुए। इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कार्यकर्ताओं का प्रबोधन किया।
प्रांत कार्यकारिणी :
प्रांत प्रचारक– स्वप्निल कुलकर्णी, प्रांत सह प्रचारक– विमल गुप्ता, प्रांत शारीरिक शिक्षण प्रमुख– कृपाल सिंह, प्रांत सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख– त्रिवेश लोधी, प्रांत बौद्धिक प्रमुख– पंकज शर्मा, प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख– प्रमोद पंवार, प्रांत व्यवस्था प्रमुख– कमल जैन, प्रांत सह व्यवस्था प्रमुख– रामवीर जी, प्रांत सेवा प्रमुख– विक्रम सिंह, प्रांत सह सेवा प्रमुख– जितेंद्र राठौर, प्रांत संपर्क प्रमुख– सुनील जैन, प्रांत सह संपर्क प्रमुख– गिरीश जोशी, प्रांत सह संपर्क प्रमुख– नवल शुक्ला, प्रांत प्रचार प्रमुख– मुकेश त्यागी, प्रांत सह प्रचार प्रमुख– अखिलेश श्रीवास्तव और प्रांत सह प्रचार प्रमुख– लोकेंद्र सिंह सहित अन्य की घोषणा प्रांत कार्यकारिणी में की गई।
भविष्य को ध्यान में रखकर आत्मविकास करें कार्यकर्ता: डॉ. भागवत
कार्यकर्ता सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हम दुनिया में नया इतिहास घटित होते हुए देख रहे हैं। भारत भी करवट बदल रहा है। पिछले कई वर्षों में अनेक महानुभावों ने जो पुरुषार्थ किया है, उनका परिणाम आज दिख रहा है। हम सब निकट भविष्य में भारत को विश्वगुरु के रूप में देखेंगे, इसके लिए हमें भी अपनी तैयारी करनी होगी।
उन्होंने कहा 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। लेकिन अभी हमारा लक्ष्य पूर्ण नहीं हुआ है। अभी तो आधार बना है। वास्तविक कार्य करने का समय तो अब आया है। हम 2025 तक अपने संगठन की रचना पूरी करें। भविष्य में समाज को राष्ट्रीय दिशा देने के लिए हमारे कार्यकर्ताओं को अपना आत्म विकास करना होगा। आज संघ की ओर अपेक्षा से देखा जा रहा है। समाज जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर लोग संघ से चाहते हैं। हमें ऐसे समाज का निर्माण करना है, जो अपने प्रश्नों का समाधान करने में स्वयं सक्षम हो।
सरसंघचालक ने कहा कि समाज में संघ के अलावा भी बहुत सारी सज्जन शक्ति रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्य कर रहे हैं। हमें समाज की सज्जन शक्ति का भी सहयोग लेना चाहिए और उन्हें भी सहयोग करना चाहिए। इस अवसर पर अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य, क्षेत्र संघचालक अशोक सोहनी, क्षेत्र कार्यवाह अशोक अग्रवाल, क्षेत्र सह कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
प्रांत कार्यकर्ता सम्मेलन में विभिन्न समाज प्रमुखों के साथ सरसंघचालक डॉ. भागवत की भेंट हुई। इस अवसर पर सरसंघचालक ने कहा कि 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में लघु भारत अयोध्या में दिख रहा था और सम्पूर्ण भारत में अयोध्या की अनुभूति हो रही थी। यह अनुभूति स्थायी रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक समय में भारत में जाति एक व्यवस्था थी, जो जन्म के आधार पर नहीं, अपितु कार्य–व्यापार के आधार पर थी। जैसे आज भी हम देखते हैं कि डॉक्टर का पुत्र डॉक्टर, अधिवक्ता का पुत्र अधिवक्ता बनाना पसंद करता है। जाति व्यवस्था ने मुगलों के आक्रमण के दौरान अपने हिंदू समाज के लोगों का संरक्षण किया। परंतु कालांतर में यह जाति व्यवस्था एक कुरीति में बदल गई। पूज्य संतों ने भी अनेक अवसरों पर हमें यह बात समझाने का प्रयत्न किया है। आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर छुआछूत को समाप्त करें।
डॉ. भागवत ने कहा कि जैसे शरीर में प्रत्येक अंग की आवश्यकता है। प्रत्येक अंग को सुरक्षित और स्वस्थ रखेंगे, तब ही शरीर स्वस्थ रहेगा। इसलिए हम सब मिलकर हिंदू समाज की चिंता करें। उन्होंने कहा कि संघ में भले ही सामाजिक सद्भाव कार्य की शुरुआत 2007 से हुई है लेकिन संघ में जात–पात का भेद प्रारंभ से नहीं है। सामाजिक समरसता के लिए संघ प्रारंभ से कार्य कर रहा है।
उन्होंने उपस्थित सभी समाज प्रमुखों से आग्रह किया कि हम सबको मिलकर अपने हिंदू समाज को अच्छा और सुंदर बनाना। सभी जाति बिरादरी माह में एक बार बैठने की योजना करें और विचार करें कि हम सद्भाव के इस कार्य को खंड, मंडल और बस्ती तक कैसे लेकर जाएं।
इस अवसर पर वाल्मीकि समाज के भगवानदास वाल्मीकि, माहौर समाज के नत्थीलाल माहौर, प्रजापति समाज के आशाराम प्रजापति, नागर समाज के राजेंद्र नागर, श्रीवास समाज के मातादीन श्रीवास, राठौर समाज के श्यामलाल राठौर, ब्राह्मण समाज के सुरेश शास्त्री, मांझी समाज के प्रमोद मांझी, वैश्य समाज के डॉ. अनिल गुप्ता, जैन समाज के मनोज जैन, स्वर्णकार समाज के मदनलाल वर्मा, सिंधी समाज के प्रताप राय और कायस्थ समाज के दिनेश भटनागर उपस्थित रहे।