वाशिंगटन। अमेरिका ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भी भारत की सदस्यता का समर्थन किया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने भारत के महत्वपूर्ण योगदान, बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता और सुरक्षा परिषद सुधारों पर अंतरसरकारी वार्ता प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी को देखते हुए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता देने का समर्थन किया है। उन्होंने वर्ष 2028-29 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत की उम्मीदवारी का स्वागत किया है। भारत और अमेरिका द्वारा जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने बहुपक्षीय प्रणाली को एकतरफा नष्ट करने के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
बयान में कहा गया है कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी, दोनों तरह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने का समर्थन करता है। संस्था को और अधिक समावेशी बनाया जाना चाहिए ताकि वह आज की दुनिया की जरूरतों को अच्छे तरीकों से पूरा कर सके। इस विचार को साझा करते हुए बाइडन ने संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन दोहराया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने पारमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भी भारत को सदस्य बनाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया में संतुलन स्थापित होने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि यदि भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बन जाता है तो अमेरिका के साथ 2008 के समझौते के तहत इसकी यूरेनियम तक पहुंच वर्तमान की तुलना में अधिक होगी। इसके अलावा भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अन्य देशों से यूरेनियम आयात करने में सक्षम होगा।(हि.स.)