नई दिल्ली/भुवनेश्वर। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के लिए धन के आवंटन में कमी नहीं आई है। यह धन पर आधारित योजना है, जब भी मांग बढ़ती है। इस योजना के लिए ज्यादा धन का प्रावधान कर दिया जाता है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में बजट के बाद अयोजित बैठक में विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा के अलावा एक प्रेस कांफ्रेंस को सबोधित करते हुए यह बात कही।
निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मनरेगा के लिए धन आवंटन में कोई कमी नहीं आई है। धन आधारित इस योजना के लिए जब मांग बढ़ती है, तो अधिक धन का प्रावधान कर दिया जाता है। विपक्षी दलों ने मनरेगा को लेकर वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में ग्रामीण रोजगार योजना के लिए धन को लेकर सवाल खड़े किए है, जिसको लेकर वित्त मंत्री ने यह जवाब दिया।
वित्त मंत्री ने कहा कि विकास की गति बनाए रखने के लिए केंद्रीय बजट 2023-24 में न केवल पूंजीगत व्यय के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, बल्कि राज्यों को पूंजीगत संपत्ति बनाने में अधिक धन आवंटित करने पर भी बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत की विकास यात्रा में पिछड़े और वंचित वर्गों को शामिल करने पर बल दिया गया है। सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंन्द्र नरेंद्र मोदी का विचार है कि, गरीबी से निपटने के लिए गरीबों को बुनियादी जरूरतों के साथ सशक्त बनाना जरूरी है, जो उनकी सरकार का सबसे लक्ष्य भी है। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ लाइन दर लाइन वास्तव में क्रियान्वित हो रही है। (एजेंसी, हि.स.)