– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
जी- 20 पर देश में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर विचार-विमर्श के दौरान सर्वदलीय बैठक में सत्ता पक्ष ने दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर राष्ट्रीय हितों को महत्व दिया है। जी 20 समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का अंतर सरकारी मंच है। इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। सर्वदलीय बैठक में यह संदेश दिया गया कि जी 20 की अध्यक्षता देश के लिए गौरव की बात है। विश्व स्तर पर राष्ट्रीय सहमति की अभिव्यक्ति दिखनी चाहिए। इस समय भाजपा सत्ता में है। लेकिन यह विषय किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं है। सर्वदलीय बैठक के माध्यम से सरकार ने यही संदेश दिया है। वैसे इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाना अनिवार्य नहीं था। पिछले अनुभव भी ठीक नहीं थे। कोरोना आपदा प्रबंधन के संबंध में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी यही देखने को मिला था। अनेक विपक्षी पार्टियों ने इसे सरकार पर हमला बोलने का अवसर मान लिया था। चीन और पाकिस्तान से तनाव सर्जिकल स्ट्राइक आदि के समय भी विपक्षी नेता राष्ट्रीय सहमति से अलग थे। फिर भी जी 20 पर सरकार ने बड़प्पन दिखाया।
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कदम-कदम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमलावर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे उन्हें सौ सिर वाला रावण बता चुका हैं। ममता बनर्जी भी इसी अंदाज के हमलों में पीछे नहीं रही है। वस्तुतः विगत आठ वर्षों से अनेक विपक्षी नेता बेचैन हैं। नरेन्द्र मोदी को मिला जनादेश इन्हें कभी हजम नहीं हुआ। सर्वदलीय बैठक में कई नेता तो अपनी आठ वर्षों से चली आ रहीं भड़ास निकालने ही दूर दराज से पहुंचे थे। इनका कहना था कि जी 20 की अध्यक्षता मिलना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। यह तो क्रम से मिलती है। इनकी दूसरी आपत्ति यह थी कि लोगो में कमल का फूल है। इन नेताओं को कमल के फूल से नफरत है। शायद उन्हें लगता है कि इसके कारण ही वह सत्ता से दूर हो गए हैं। स्पष्ट है कि सरकार ने तो उदारता दिखाई, लेकिन अनेक विपक्षी नेता अपनी संकीर्णता नहीं छोड़ सके। यह ठीक है कि जी 20 की अध्यक्षता क्रम से मिलती है। लेकिन नरेन्द्र मोदी के कार्य करने का अंदाज अलग है। विपक्षी नेता वहां तक सोच भी नहीं सकते।
नरेन्द्र मोदी ने इस अध्यक्षता को भारत के लिए बड़े अवसर के रूप में स्वीकार किया है। वह अनौपचारिकता के निर्वाह तक ही सीमित नहीं रहना चाहते। वह इस बहुत महत्वपूर्ण संगठन के माध्यम से दुनिया को संदेश देना चाहते हैं। विश्व में शांति और सौहार्द का चिंतन भारत में ही किया गया। यह भारत है जिसने वसुधैव कुटुम्बकम का विचार दिया है। मोदी ने कहा भी था कि यह युद्ध का युग नहीं होना चाहिए। जब भारत दुनिया को यह संदेश देने की तैयारी कर रहा है तब कमल को प्रतीक रूप में स्वीकार करना ही उचित था। यह समृद्धि के साथ प्रकृति संरक्षण का भी संदेश देता है।आज दुनिया को इसकी आवश्यकता है। इसीलिए नरेन्द्र मोदी ने अध्यक्षता को एक अवसर माना है। इस दिशा में वह प्रयास कर रहे हैं। भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलना गर्व की बात है। मोदी ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के माध्यम से हमारे समक्ष भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर स्थापित करने का यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। जी-20 की अध्यक्षता के तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में जनता की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
भारत को पहली दिसंबर से आधिकारिक रूप से जी-20 समूह की अध्यक्षता मिल चुकी है। भारत पूरे एक साल तक दुनिया के आर्थिक रूप से संपन्न देशों के समूह जी-20 की अध्यक्षता करेगा। अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में जी-20 एक प्रमुख मंच है, जो वैश्विक जीडीपी का 85 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है। कारोबार का 75 प्रतिशत से ज्यादा और दुनिया की दो-तिहाई आबादी का भी यह प्रतिनिधित्व करता है। इस दौरान भारत की यात्रा पर पहुंचीं जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक ने कहा कि भारत दुनिया के कई देशों के लिए रोल मॉडल है। जर्मनी यूरोपीय संघ में हमारा सबसे बड़ा भागीदार है। भारत जी-20 अध्यक्षता के दौरान ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के आदर्श वाक्य के साथ जलवायु संकट से निपटने पर विशेष ध्यान दे रहा है। जलवायु परिवर्तन का मुद्दा हमारी साझी जिम्मेदारी पर प्रकाश डालता है। जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत देश में दो सौ से अधिक बैठकें के आयोजित की जाएंगी। अगले साल जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन भी होगा।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत को एक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक मोड़ पर जी-20 की अध्यक्षता मिली है। भारत कोविड के बाद खाद्य, उर्जा और समतामूलक स्वास्थ्य समाधान सहित तात्कालिक महत्व के विषयों पर जी 20 देशों के बीच एकराय बनाकर समर्थन जुटाने का प्रयास करेगा। जी-20 में भारत वैश्विक साउथ की आवाज बनेगा। अफ्रीकी, एशियाई और लैटिन अमेरिकी देश भारत पर भरोसा करते हैं। मंच का इस्तेमाल कर विकसित और विकासशील देशों के बीच की खाई को पाटने का काम भारत करेगा। जी-20 की स्थापना 1999 में विभिन्न देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के जरिए की गई थी।
साल 2007 में वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर सरकारों को शामिल करने के साथ इसे “अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच” के रूप में नामित किया गया। इस में अब बीस सदस्य देश शामिल हैं। नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जी-20 अध्यक्षता में भारत का एजेंडा समावेशी, महत्वकांक्षी, कार्योंमुखी और निर्णायक होगा। जी-20 की अध्यक्षता पूरे देश की है और यह पूरी दुनिया को भारत की ताकत दिखाने का एक अवसर है। आज भारत के प्रति वैश्विक जिज्ञासा और आकर्षण है, जो भारत की जी-20 अध्यक्षता की क्षमता को और बढ़ाता है। जी-20 अध्यक्षता पारंपरिक बड़े महानगरों से परे भारत के कुछ हिस्सों को प्रदर्शित करने में मदद करेगी। इस प्रकार हमारे देश के प्रत्येक हिस्से की विशिष्टता को सामने लाएगी। बड़ी संख्या में आगंतुक भारत आएंगे। इससे पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)