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स्व-रोजगार, उद्यमिता भारत के डीएनए में है : वित्त मंत्री सीतारमण

– छठवीं दत्तोपन्त ठेंगड़ी स्मृति राष्ट्रीय व्याख्यानमाला में शामिल हुई केन्द्र वित्त मंत्री

भोपाल। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि उद्यमिता, स्व-रोजगार भारत (India) के बेसिक कैरेक्टर में है। यह इस देश के डीएनए में है। भारत की सशक्त आर्थिक व्यवस्था (strong economic system) में छोटे, मध्यम उद्योगों का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दत्तोपंत ठेंगड़ी जी (Dattopant Thengadi) के विचारों के अनुरूप ही फ्री मार्केट, फ्री अर्थव्यवस्था और मुक्त प्रतिस्पर्धा के लिए नीति बनाई है।

वित्त मंत्री सीतारमण भोपाल प्रवास के दौरान मंगलवार शाम को रवीन्द्र भवन में दत्तोपन्त ठेंगड़ी शोध संस्थान द्वारा छठवें दत्तोपन्त ठेंगड़ी स्मृति राष्ट्रीय व्याख्यानमाला-2022 में ’21वीं सदी के वैश्विक परिदृश्य में भारत का आर्थिक सामर्थ्य’ विषय पर मुख्य अथिति के रू में संबोधित कर रही थीं। उन्होंने ठेंगड़ी जी के वैचारिक योगदान को याद करते कहा कि वे संगठन शिल्पी थे। उन्होंने उस समय सरकार के प्रोत्साहन के बिना वैचारिक धरातल पर अनेक संस्थान बनाए। सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट विचारधारा के विपरीत धारा में संगठनों को खड़ा किया। 30-40 साल पहले जो नींव उन्होंने रखी थी, वह आज वटवृक्ष हो गई है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1985 में चीन ने भारतीय मजदूर संघ को इस नाते आमंत्रित किया कि वह कामगारों का सबसे बड़ा संगठन है। उन्होंने कहा कि भारत जब आजादी के सौ वर्ष पूर्ण करेगा, उस समय हमारी मानसिकता में भी परिवर्तन होना चाहिए। विरासत को याद करें और आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए खड़े हों। नीति बनाते समय भारतीय ज्ञान परंपरा का भी ध्यान रखें क्योंकि यही हमारी ताकत है।

सीतारमण ने कहा कि विदेशों में भारत की ब्रांड में परिवर्तन आया है। आज विदेशी भी उत्साह के साथ योग दिवस मना रहे हैं। आयुर्वेद, सिद्धविद्या और हिमालयन औषधियों को दुनिया भर में स्थान मिला है। देश में अब ठेंगडी जी के विचारों के अनुरूप सभी को समान अवसर और सबको समान सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे प्रकृति का शोषण न करें। उसका दोहन करें और अपनी लाइफ स्टाइल को पर्यावरण के अनुरूप परिवर्तित करें।

2 साल के अंदर 108 यूनीकॉर्न
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारे युवाओं के योगदान के कारण ही भारत में स्टार्टअप क्रांति हो रही है। आज देश में 2 साल के अंदर 108 यूनीकॉर्न खड़े हो गये हैं और यह दुनिया में तीसरी बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तकनीक का उपयोग कर दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की है। लोगों के खातों में सीधे लाभ पहुंचाया गया है और धोखाधड़ी की संभावनाएं समाप्त हो गई हैं। भारत का आर्थिक सामर्थ्य इसी से पता चलता है कि वह संविधान के सभी वादों को पूरा करने में समर्थ हुआ है।

ठेंगड़ी के विचारों पर चल रही है सरकार
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियों में दत्तोपंत ठेंगड़ी के स्वदेशी विचारों को स्थान मिल रहा है। बाधाएं हटाकर आत्मनिर्भरता को बढ़ाया जा रहा है। संविधान के सभी वचनों को मोदी सरकार पूरा कर रही है। ठेंगड़ी जी द्वारा दिए गए ‘सबका हित’ सिद्धांत को सरकार पूरा कर रही है। विश्व की समस्याओं के समाधान का रास्ता भारत से ही निकलेगा। उनके बताए गए ‘थर्ड वे’ से ही रास्ता निकलेगा। युवा भारत और समर्थ भारत ही आर्थिक सामर्थ्य हैं।

ठेंगड़ी के विचार आज भी प्रासंगिक: शिवराज
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत ने दुनिया को ज्ञान का प्रकाश दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन से हजारों वर्ष पूर्व भारत ने ‘वसुदेव कुटुंबकम’ का मंत्र दिया। सभ्यता, संस्कृति और अर्थव्यवस्था में भारत को सबसे ऊपर था। 200 वर्ष पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान तिथि से 33 से लेकर 30 प्रतिशत था। मुगल काल में भी वैश्विक अर्थ व्यवस्था में हमारी जीडीपी का योगदान 25 प्रतिशत था। लेकिन, अंग्रेजों के राज में यह घटकर 4 प्रतिशत रह गया और 1970 तक आते आते मात्र 3 प्रतिशत ही रह गया। पिछले 8 वर्षों में भारत ने बड़ी आर्थिक तरक्की की है। आज वैश्विक व्यवस्था में हमारा योगदान 9.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी के विचार आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने ही कहा था कि मनुष्य को रोटी, कपड़ा, मकान के अलावा बुद्धि, मन और आत्मा का सुख भी चाहिए और वह समाज के लिए अनुशासित भी होना चाहिए। आज चारों ओर भारत का बढ़ता हुआ सामर्थ्य दिखाई दे रहा है। (एजेंसी, हि.स.)