Friday, November 22"खबर जो असर करे"

केंद्र के सतत प्रयास, पूर्वोत्तर का त्वरित विकास

– अजय दीक्षित

पूर्वोत्तर की भाषा, संस्कृति, खानपान और वेशभूषा को पूरा भारत अपनी धरोहर मानता है। इस क्षेत्र की पहचान को बचाये रखने और इसके संवर्धन के लिए केन्द्रीय सरकार प्रयासरत है । वास्तव में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने असम के गुवाहाटी में पूर्वोत्तर परिषद की 70वीं पूर्ण बैठक की अध्यक्षता के दौरान जो कहा है, आज उससे समझा जा सकता है कि इस संपूर्ण क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र की मोदी सरकार कितनी गंभीर है। देखा जाए तो पूर्वोत्तर के विकास की राह में दशकों से तीन प्रमुख बाधाएं थीं-उग्रवादी समूहों द्वारा हिंसा और अशांति, पूर्वोत्तर में रेल, सड़क और हवाई संपर्क की कमी और पिछली सरकारों का पूर्वोत्तर के विकास पर जोर न देना । अब तक देखने में प्राय: यही आया है कि पिछली सरकारों के लिए पूर्वोत्तर का विकास कभी प्राथमिकता में नहीं रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पिछले आठ सालों में पूर्वोत्तर में शांति लाने, हर प्रकार की कनेक्टिविटी बढ़ाने और इस क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देने के लिए अनेक प्रयास किये हैं ।

जब शाह यह कहते हैं कि देश के पूर्वोत्तर की भाषाओं, संस्कृतियों, खानपान और वेशभूषा को पूरा भारत अपनी धरोहर मानता है और इस क्षेत्र की नैसर्गिक पहचान को बचाये रखने और इसके संवर्धन के लिए मोदी सरकार हर तरह से प्रयासरत है। तब उसके मायने हम सभी को समझना होंगे। मोदी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में पूर्वोत्तर की सभी समस्याओं के मूल को जानकर उनके निवारण के लिए अनेक प्रयास किए हैं ।

मोदी सरकार आज भी पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से यही कह रही है कि बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, पर्यटन, वनीकरण और कृषि के लिए उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के आंकड़ों का भरपूर उपयोग करें और उनका अधिकतम फायदा उठाएं। पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्री अपने राज्यों में उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें, जिससे इस मंच का अधिकतम और बेहतर उपयोग हो सके।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री शाह की मानें तो केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का मानना है कि देश की सभी भाषाओं को एक साथ लेकर ही देश का सर्वागीण विकास संभव है और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ये प्रावधान रखा गया है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए। भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में विश्व में पांचवे स्थान पर है और इसे विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंचाने में योगदान देने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा वित्तीय अनुशासन आवश्यक है ।

साथ ही मोदी सरकार के लिए प्राकृतिक कृषि और डिजिटल कृषि प्राथमिकता का विषय हैं और प्राकृतिक उत्पादों के प्रमाणन के लिए अमूल और पांच अन्य सहकारी समितियों को मिलाकर एक बहुराज्यीय सहकारी समिति बनाने पर काम हो रहा है। सहकारी समिति इन उत्पादों के प्रमाणन के बाद इनके निर्यात को भी सुनिश्चित करने के काम में लगी है। जिससे इनसे होने वाली अधिक आय का मुनाफा सीधे किसानों के बैंक खातों में जाएगा। अंत में यही कहना होगा कि बाढ़मुक्त और नशामुक्त पूर्वोत्तर जैसे महत्वपूर्ण अभियानों के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है। बाढ़ रोकने के उपायों को लेकर भी यहां श्री शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि हाइड्रो पावर प्लांट का उद्देश्य केवल ऊर्जा उत्पादन नहीं है, बल्कि इनका उपयोग बाढ़ की रोकथाम में भी किया जाना है। इसके अलावा 271 वेटलैंड्स के आदर्श उपयोग से भी बाढ़ रोकने में मदद मिल सकती है। उन्होंने इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए पूर्वोत्तर राज्यों को सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग से मुक्त रखने का अनुरोध किया । आशा है इस अनुरोध को पूर्वोत्तर के राज्य गंभीरता से लेंगे ही ।

(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं।)