नई दिल्ली। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमत में गिरावट का सिलसिला जारी है। क्रूड के भाव सितंबर के बाद के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। हालांकि आज ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई क्रूड निचले स्तर से रिकवरी करते नजर आए। आज के कारोबार में ब्रेंट क्रूड की कीमत गिरकर 82.31 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गई थी। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) गिरकर 75.86 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया था।
आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में ये गिरावट ऐसे वक्त पर आई है, जब चीन में एक बार फिर कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलने लगा है। संक्रमण फैलने की वजह से चीन के कई शहरों में मिनी लॉकडाउन लगा दिया गया है। साथ ही जिन प्रांतों में कोरोना का संक्रमण अधिक नहीं है, वहां भी एहतियातन कई प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। इन प्रतिबंधों की वजह से चीन के ऑयल इंपोर्ट में कमी आने की संभावना जताई जा रही है। चीन पूरी दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार देश है। ऐसे में अगर चीन में कोरोना के कारण लगाए गए प्रतिबंध जारी रहे, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में काफी कमी आ सकती है।
जानकारों का कहना है कि हाल ही में सऊदी अरब की अगुवाई वाले ओपेक ने कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने के संकेत भी दिए हैं। माना जा रहा है कि यूरोपियन यूनियन जल्द ही रूस से कच्चे तेल की सप्लाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर सकता है। यूरोपियन यूनियन के रुख को देखते हुए ही ओपेक के सदस्य देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में रोजाना 5 लाख बैरल की बढ़ोतरी करने का संकेत दिया है, ताकि रूस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की किल्लत की स्थिति न बन जाए।
बताया जा रहा है कि कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी होने का संकेत मिलने और चीन में कच्चे तेल की खपत में कमी आने की आशंका के कारण ही अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में निगेटिव सेंटिमेंट बन गया है, जिसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट के रूप में दिख रहा है। आज भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड ने 87.05 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से कारोबार की शुरुआत की थी। पहले कुछ देर तक इसमें तेजी का रुख नजर आया, जिससे ब्रेंट क्रूड उछल कर 88 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंचा लेकिन कुछ देर बाद ही ये लुढ़क कर 82.31 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिर गया।
इस गिरावट के बाद सऊदी अरब की ओर से एक बयान जारी कर साफ किया गया कि क्रूड ऑयल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने की बात अभी प्रस्ताव स्तर पर ही है। ओपेक देश अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की मांग पर नजर बनाए हुए हैं। इस संबंध में कोई भी फैसला ओपेक की अगली बैठक में ही किया जाएगा। सऊदी अरब की ओर से जारी इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में भी सुधार होना शुरू हो गया। थोड़ी देर बाद ही ब्रेंट क्रूड उछलकर 88 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच कर कारोबार करने लगा। भारतीय सेना के मुताबिक शाम 4 बजे ब्रेंट क्रूड निचले स्तर से रिकवरी करके 88.07 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) ने आज 80.47 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से कारोबार की शुरुआत की। कुछ देर बाद ही इसमें भी तेज गिरावट आई, जिससे इसकी कीमत गिरकर 75.86 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई लेकिन बाद में डब्ल्यूटीआई क्रूड भी निचले स्तर से रिकवरी करने में सफल रहा। इस रिकवरी के कारण भारतीय समय के मुताबिक शाम 4 बजे डब्ल्यूटीआई क्रूड भी 80.61 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
ऑयल मार्केट के जानकारों का मानना है कि 4 दिसंबर को ओपेक की बैठक के पहले तक ब्रेंट क्रूड की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल से लेकर 80 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में बनी रह सकती है। इसी तरह डब्ल्यूटीआई क्रूड भी 85 डॉलर से लेकर 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार करता नजर आ सकता है। कच्चे तेल की कीमत पर ओपेक की बैठक में लिए जाने वाले फैसले का असर पड़ना तय है। अगर ओपेक के सदस्य देश कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने का फैसला लेते हैं, तो कच्चे तेल की कीमत में कुछ और गिरावट का रुख बन सकता है। लेकिन अगर कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाया गया, तो आने वाले दिनों में ब्रेंट क्रूड 95 से लेकर 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक भी उछल सकता है। (एजेंसी, हि.स.)