Friday, November 22"खबर जो असर करे"

भारत तय करेगा विश्व की दिशा एवं दशा

– डॉ. विपिन कुमार

भारत अगले साल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी और अध्यक्षता करेगा। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जी-20 सम्मेलन के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण कर दिया है। जी-20 अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समन्वय के सबसे बड़े एवं प्रतिष्ठित मंचों में से एक है। इसके सदस्य देशों में संपूर्ण विश्व की दो तिहाई जनसंख्या समाहित है और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं देशों से आता है। ये देश पूरे विश्व के 75 प्रतिशत व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं और अब जब भारत इस समूह की अगुवाई करने जा रहा है । ऐसे में यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व और स्वाभिमान का विषय है। यह वास्तव में आजादी के अमृतकाल में हमारी प्रतिबद्धता को नई मजबूती प्रदान करेगा।

गौरतलब है कि भारत इस निकाय की अध्यक्षता 01 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक करेगा और इसकी निगरानी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एक सचिवालय का भी गठन किया गया है। भारत ने इसके संस्थापक सदस्य के तौर पर हमेशा गंभीर वैश्विक मुद्दों को उठाने की कोशिश की है। यह निश्चित है कि वह अपनी अध्यक्षता में पर्यावरण संरक्षण, कृषि विकास , महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार, तकनीक, संस्कृति और पर्यटन जैसे कई मुद्दों को प्रमुखता के साथ उठाएगा।

खैर, फिलहाल मैं यहां केवल आर्थिक भागीदारी और अवसरों में लैंगिक समानता के मुद्दे को रेखांकित करना चाहूंगा। आज जी-20 के सदस्य देश असमानता की इस खाई को मिटाने के प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उज्जवला योजना, जनधन योजना, मुद्रा योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना जैसी कई योजनाओं को शुरू किया है। इससे नारी शक्ति को बढ़ावा मिल रहा है। वहीं, जी-20 देश महिला उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्रयास कर रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक से अधिक वित्तीय मदद और जरूरी सूचना मिलें। उदाहरण के लिए 2020 में अमेरिका में महिलाओं को कारोबार में आगे ले जाने के लिए 100 मिलियन डॉलर से अधिक आवंटित किए गए और इटली में उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए 47 मिलियन डॉलर उपलब्ध कराए गए।

वहीं, इस मुद्दे पर भारत पूरी दुनिया की राह को आसान कर सकता है। आज भारत में करीब 1.5 करोड़ ऐसी महिलाएं हैं, जिनके स्वामित्व में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम चल रहे हैं और ये प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः 2.7 करोड़ लोगों को आजीविका का साधन उपलब्ध कराते हैं। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के नेतृत्व को मजबूत करने के लिए जिन योजनाओं को शुरू किया है, उससे साल 2030 तक करीब 3 करोड़ उद्यम महिलाओं के स्वामित्व में होंगे और इससे करीब 15 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा।

वित्तीय समावेशन, महिला उद्यमिता और स्थायी आजीविका के बीच एक घनिष्ठ संबंध है। समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के कारण आर्थिक असमानता भी बनी रहती है। दूसरी ओर इससे शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल संबंधित चुनौतियों का भी जन्म होता है। आज जब पूरी दुनिया महामारी से उबर रही है तो महिलाओं के नेृतत्व को आर्थिक सुधारों के लिए एक प्रमुख कुंजी माना जा रहा है। हालांकि, यह राह इतनी आसान नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के 190 में से 86 देशों में महिलाओं के रोजगार और उद्यमिता पर लैंगिक आधार पर कानूनी प्रतिबंध लगाए गए हैं।

आज भारत जी-20 की अध्यक्षता संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार है। वह महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध है। इस दिशा में बेहतर वैश्विक रणनीति बने तो हमारे इन अनुभवों का लाभ पूरी दुनिया को व्यापक स्तर पर मिल सकता है। ऐसा होने से स्पष्ट रूप से सामाजिक गतिशीलता को एक नई ऊंचाई मिलेगी।

(लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं।)