Friday, September 20"खबर जो असर करे"

पंच प्रण को पूरा करने में संतों की भूमिका अग्रणी: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत काल में हम एक विकसित भारत के निर्माण की ओर बढ़ रहे हैं। इसके लिए देश ने पांच संकल्प लिए हैं और पंच प्रण को पूरा करने में संतों की भूमिका अग्रणी है।

प्रधानमंत्री बुधवार को श्रीविजय वल्लभ सुरीश्वरजी की 150वीं जयंती के अवसर पर एक वीडियो संदेश के माध्यम से सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आचार्य श्रीविजय वल्लभ सुरीश्वरजी को समर्पित एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि अतीत में आचार्यों ने समाज कल्याण मानव सेवा शिक्षा और जनचेतना की समृद्ध परंपरा का विकास किया है, जिसका विस्तार जारी रहना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि नागरिक कर्तव्यों को सशक्त बनाने में संतों का मार्गदर्शन हमेशा महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने वोकल फॉर लोकल के प्रचार में आचार्यों की भूमिका पर जोर दिया और कहा कि यह उनकी ओर से राष्ट्र की एक महान सेवा होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप के अधिकांश अनुयाई व्यवसाय से संबंधित हैं, ऐसे में आप उनसे केवल भारत में बने सामानों के व्यापार का संकल्प लेने का आग्रह कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह महाराज साहिब को एक बड़ी श्रद्धांजलि होगी। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष निकाला कि आचार्यश्री ने हमें प्रगति का यह मार्ग दिखाया है और हम इसे भविष्य के लिए जारी रख सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने भारत में संत परंपरा के पदाधिकारियों और दुनियाभर में जैन धर्म के सभी मानने वालों को नमन किया। मोदी ने अनेक संतों के साथ रहने और उनका आशीर्वाद लेने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने गुजरात के उस समय को याद किया, जब उन्हें बड़ोदरा और छोटा उदयपुर के कांवट गांव में संत वाणी सुनने का अवसर मिला था। आचार्य श्रीविजय वल्लभ सुरीश्वरजी की 150 जयंती के समारोह की शुरूआत को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने आचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने के पल को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एक बार फिर तकनीक की मदद से वे संतों के बीच हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया युद्ध, आतंक और हिंसा के संकट का सामना कर रही है और इस दुष्चक्र से बाहर निकलने के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन की तलाश में है। मोदी ने कहा कि आचार्यश्री के दिखाए मार्ग और जैन गुरुओं की शिक्षा इन वैश्विक संकटों का समाधान है। आचार्य जी ने अहिंसा, एकांत और त्याग का जीवन जिया और इन विचारों के प्रति लोगों में विश्वास फैलाने का निरंतर प्रयास हम सभी के लिए प्रेरणादाई है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि गुजरात ने देश को दो वल्लभ दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह संयोग यह कि आज आचार्यजी की 150वीं जयंती का समारोह पूरा हो रहा है और कुछ दिनों बाद हम सरदार पटेल की जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने जा रहे हैं। स्टैचू ऑफ पीस संतों की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है और स्टैचू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। मोदी ने कहा कि यह केवल ऊंची- ऊंची प्रतिमाएं ही नहीं है बल्कि यह एक भारत श्रेष्ठ भारत का सबसे बड़ा प्रतीक भी है। दो वल्लभ के योगदान पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला के सरदार साहब ने भारत को एकजुट किया था जो रियासतों में विभाजित था जबकि आचार्य जी ने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की और भारत की एकता, अखंडता और संस्कृति को मजबूत किया।

धार्मिक परंपरा और स्वदेशी उत्पादों को एक साथ कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है इस पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने आचार्य जी को उद्धृत किया और कहा कि किसी देश की समृद्धि उसकी आर्थिक समृद्धि पर निर्भर करती है और स्वदेशी उत्पादों को अपनाकर कोई भी भारत की कला संस्कृति और सभ्यता को जीवित रख सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आचार्य जी के कपड़े सफेद होते थे और हमेशा खादी के बने होते थे। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि आजादी का अमृत काल में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का संदेश अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रगति का मंत्र है। इसलिए आचार्य विजय वल्लभ सुरीश्वर जी से लेकर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य श्री नित्यानंद सुरीश्वरजी तक यह मार्ग मजबूत हुआ है और हमें इसे और मजबूत करना है। (एजेंसी, हि.स.)