– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शक्तिशाली राष्ट्र और समाज निर्माण की दिशा में समर्पित भाव से कार्य करता है। इसमें आधी आबादी अर्थात महिलाओं का योगदान भी अपेक्षित है। संघ के तमाम अनुषांगिक संगठन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। इस बार विजय दशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने जिन प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया, उनमें नारी सशक्तिकरण का विषय प्रमुख रहा। समारोह की मुख्य अतिथि पद्मश्री संतोष यादव ने इस पर गर्व महसूस किया। इस पावन मौके पर डॉ. मोहन भागवत ने मातृशक्ति की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा- भारत आज दुनिया में शक्ति और विश्वास दोनों में बड़ा है। लोग अपने परिवार से मातृशक्ति जागरुकता पर काम करें। तभी समूचे समाज की मातृशक्ति को संगठित किया जा सकता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महिलाओं के प्रबोधन और सशक्तिकरण के साथ उन्हें समाज में बराबरी का स्थान दिलाने के लिए प्रयासरत है। प्रयागराज में चल रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में भी मंथन चल रहा है। पुरुषों और महिलाओं के लिए शाखा भले ही अलग चलती हो लेकिन अन्य सभी गतिविधियों में सारे कार्य महिला और पुरुष मिलकर ही करते हैं। इसलिए संघ अब महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ ही समान अवसर उपलब्ध कराने का पक्षधर है।
कार्यकारी मंडल की बैठक में एक चर्चा हुई कि घर में संस्कारों का वातावरण बनाए रखने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। यह कार्य संघ के स्वयंसेवक को अपने परिवार से प्रारंभ कर समाज के बीच ले जाना है। विचार किया गया कि महिलाओं के सहयोग के बिना पुरुषों के लिए संघ कार्य में समय देना संभव नहीं है। इसलिए परिवार की महिलाओं को भी संघ के क्रियाकलापों की जानकारी होनी चाहिए। इसलिए संघ ने महानगरों में रहने वाले संघ कार्यकर्ताओं की बहन-बेटियों का परिचय वर्ग लगाने का निर्णय किया है। इससे जहां घर तक संघ पहुंचेगा, वहीं काम करने के लिए बड़ी संख्या में बहनें भी आगे आएंगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में उत्पन्न विभिन्न प्रकार की समस्याओं के निराकरण के लिए छह गतिविधियां बनाई हैं। गतिविधियों के माध्यम से संघ कार्यकर्ता समाज में कार्य कर रहे हैं। समाज में विषमता को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता, पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने के लिए पर्यावरण, समाज में सद्भाव निर्माण के लिए सामाजिक सद्भाव, गोवंश की रक्षा के लिए गो सेवा, ग्रामीण विकास के लिए संकल्पित ग्राम विकास और धर्म के क्षेत्र में काम करने के लिए धर्म जागरण गतिविधि के माध्यम से संघ कार्य कर रहा है। इन गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
संघ के इस पुनीत कार्य में राज्यों के सत्ता प्रतिष्ठान बिना किसी संकोच के हाथ बंटाए तो स्थिति बहुत जल्द बदल सकती है। महिला सशक्तिकरण से जुड़े सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता और सरोकार व्यक्त किया जाता है। अच्छी बात यह है कि इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण बिलकुल साफ है। वह कहते भी हैं कि पिछले आठ वर्षों में सरकार ने महिला सशक्तिकरण में कोई कसर नहीं छोड़ी है। महिला नेतृत्व वाले विकास के कारण देश की करोड़ों माताओं, बहनों और बेटियों का जीवन आसान हो गया है। आज महिलाएं देश की प्रगति में बहुत योगदान दे रही हैं।
मोदी सरकार ने अपने आठ साल के कार्यकाल में महिला सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय काम किए हैं। सरकार ‘ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’ का ध्यान रखकर शिक्षा, सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य जैसी हर सुविधा महिलाओं को प्रदान कर रही है। जन धन योजना से लेकर उज्जवला योजना तक इसमें शामिल है। सबसे बड़ा और क्रांतिकारी कदम तीन तलाक को खत्म करना है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)